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गुजरात ATS का बड़ा खुलासा: पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसियों के जासूसी नेटवर्क का भंडाफोड़

अंकिता शर्मा की फर्जी पहचान का प्रयोग करते हुए पाकिस्तानी हैंडलरों ने गोवा में रहने वाले रिटायर्ड आर्मी सुबेदार अजयकुमार सुरेंद्रसिंह से संपर्क किया था. यह संपर्क पहली बार 2022 में उनके दीमापुर पोस्टिंग के दौरान हुआ. इसके बाद PIO (Pakistani Intelligence Operator) ने उनसे आर्मी यूनिट, पोस्टिंग और मूवमेंट से जुड़ी जानकारी मांगी, जो उन्होंने साझा भी की.

गुजरात ATS का बड़ा खुलासा: पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसियों के जासूसी नेटवर्क का भंडाफोड़

गुजरात ATS ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसियों द्वारा संचालित जासूसी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है. ATS के डिप्टी पुलिस सुपरिंटेंडेंट के. वसंतराव की अगुवाई में बनाई गई टीम ने ह्यूमन इंटेलिजेंस और फाइनेंशियल इंटेलिजेंस के आधार पर इस पूरे रैकेट को उजागर किया. सोशल मीडिया और फर्जी ऑनलाइन पहचान के जरिए जाल बिछाया गया.

जांच में सामने आया कि पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसियां सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप्स और फर्जी ऑनलाइन पहचान बनाकर भारतीय पुरुषों, महिलाओं और सुरक्षा बलों से जुड़े लोगों को फंसाती थी. बदले में उनसे संवेदनशील सैन्य जानकारी और दूसरी महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की जाती थी. कई बार पैसे के लेनदेन के जरिए भी इन्हें जासूसी गतिविधियों में शामिल किया जाता था.

रिटायर्ड आर्मी सुबेदार को बनाया निशाना

जांच में पता चला कि अंकिता शर्मा की फर्जी पहचान का प्रयोग करते हुए पाकिस्तानी हैंडलरों ने गोवा में रहने वाले रिटायर्ड आर्मी सुबेदार अजयकुमार सुरेंद्रसिंह से संपर्क किया था. यह संपर्क पहली बार 2022 में उनके दीमापुर पोस्टिंग के दौरान हुआ. इसके बाद PIO (Pakistani Intelligence Operator) ने उनसे आर्मी यूनिट, पोस्टिंग और मूवमेंट से जुड़ी जानकारी मांगी, जो उन्होंने साझा भी की.

इसके बाद उनके मोबाइल फोन में PIO ने एक ट्रोजन मैलवेयर फाइल भेजी, जिसे इंस्टॉल करवाया गया, ताकि बिना व्हाट्सऐप पर भेजे सीधे उनके फोन से संवेदनशील डेटा एक्सेस किया जा सके. दमन में रहने वाली महिला भी निकली जासूसी गिरोह का हिस्सा. जांच आगे बढ़ने पर दमन में रहने वाली रश्मनी रविंद्र पाल का नाम सामने आया. पूछताछ में उसने कबूला कि वह पाकिस्तानी हैंडलर अब्दुल सत्तार और खालिद के लिए काम करती थी.

उसे प्रिया ठाकुर नाम की फर्जी पहचान देकर भारतीय आर्मी के जवानों से दोस्ती कर संवेदनशील जानकारी निकलवाने का काम सौंपा गया था. इसके लिए उसे कई सैनिकों के मोबाइल नंबरों की लिस्ट दी जाती थी, जिनमें से उसने कई लोगों को फँसाने की कोशिश की थी. रश्मनी सीधे पाकिस्तान के नंबर (+92) पर हैंडलर सत्तार से बात करती थी. उसे पैसे भी भेजे जाते थे, जिनके लिए उसने एयरटेल पेमेंट बैंक में नया अकाउंट खोला था.

IP एड्रेस और कॉल डिटेल से खुला पूरा नेटवर्क

ATS ने मोबाइल डाटा, व्हाट्सऐप कॉल, दस्तावेज़ और वित्तीय लेन-देन की जांच की। IP एड्रेस से पता चला कि अंकिता शर्मा उर्फ रवधका”  मल्तान और सरगोधा, पाकिस्तान से ऑपरेट कर रही थी.

अब्दुल सत्तार—लाहौर, पाकिस्तान से खालिद — VPN और मलेशियाई नंबर का उपयोग कर पाकिस्तान से ऑपरेट कर रहा था. ATS पुलिस स्टेशन में  FIR  दर्ज कर दोनों आरोपियों, अजयकुमार सुरेंद्रसिंह (उम्र 47), गोवा निवासी, रश्मनी रविंद्र पाल (उम्र 35), दादरा नगर हवेली निवासी को भारतीय दंड संहिता की धारा 61 और 148 के तहत गिरफ्तार किया गया है. टीम अन्य शामिल लोगों की तलाश में जुटी है.

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