उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि उत्तर प्रदेश के अधिकारियों का इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेशों के खिलाफ उससे संपर्क करना “आए दिन” का किस्सा बन गया है और वे “अदालत के आदेशों का सम्मान नहीं करते हैं.” मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब एक वकील ने भूमि अधिग्रहण के एक मामले से संबंधित अवमानना मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी करने के खिलाफ नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) की एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और मुख्य कार्यकारी अधिकारी की याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की.
अधिकारी के समय पर अदालत के समक्ष पेश नहीं होने पर उच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया था. एक वकील ने बताया कि देर से पेश होने पर एक महिला आईएएस अफसर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था. पीठ ने कहा, “उन्हें पेश होने दीजिए. उन्हें समझने दीजिए.” न्यायालय ने कहा, “आप एक आईएएस अधिकारी हैं, आप नियम जानते हैं…हर दिन हम देखते हैं कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन हो रहा है. यह नियमित है, हर दिन किसी न किसी अधिकारी को आकर अनुमति लेनी पड़ती है. यह क्या है? आप अदालत के आदेशों का सम्मान नहीं करते हैं.”
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