"वापस जाने का सवाल ही नहीं है" : ED निदेशक के कार्यकाल विस्तार के खिलाफ दायर याचिका पर SC

पिछली सुनवाई में राजनीतिक पार्टी नेताओं द्वारा दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि याचिकाकर्ता बीजेपी से हैं या कांग्रेस से. हम इस मामले में प्रारंभिक पहलुओं का परीक्षण करेंगे. 

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

प्रवर्तण निदेशालय के निदेशक संजय मिश्रा के कार्यकाल विस्तार के खिलाफ दायर याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने टिप्पणी की कि वो केवल यह तय कर सकता है कि  बाद के विस्तार को अनुमति है या नहीं. अदालत को इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि याचिकाकर्ता किसी विशेष पार्टी से संबंधित हैं या नहीं. गलत या सही, हम पहले ही विस्तार को बरकरार रख चुके हैं. वापस जाने का सवाल ही नहीं है.

कोर्ट ने कहा कि केवल मुद्दा ये है कि क्या बाद के विस्तार की अनुमति थी ? संवैधानिक संशोधनों में भी किया गया है. वहीं, कार्यकाल बढ़ाने के केंद्र के फैसले का विरोध करते हुए एमिकस क्यूरी केवी विश्वनाथन ने फिर कहा कि विस्तार मूल कार्यकाल से अधिक नहीं होना चाहिए क्योंकि यह लोकतंत्र के लिए बेहतर होगा. कोई भी सरकार इस प्रावधान का दुरुपयोग करने में सक्षम नहीं होनी चाहिए. हम एकमात्र निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अधिसूचनाएं अवैध हैं, विशुद्ध रूप से कानून के मामले में दुर्भावनापूर्ण आरोप नहीं हैं. 

बता दें कि मामले में अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होगी और केन्द्र सरकार अपना पक्ष रखेगी. मंगलवार को हुई सुनवाई में राजनीतिक पार्टी नेताओं द्वारा दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि याचिकाकर्ता बीजेपी से हैं या कांग्रेस से. हम इस मामले में प्रारंभिक पहलुओं का परीक्षण करेंगे. 

इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को मामले की सुनवाई टल गई थी. सालिसिटर जनरल तुषार मेहता के मौजूद ना रहने पर कोर्ट ने  नाराज़गी जताई थी और कहा था, " पिछली सुनवाई को टालते हुए ही हमने कहा था कि आगे सुनवाई नहीं टाली जाएगी. केंद्र की तरफ से किसी ना किसी को पेश होना चाहिए था." 

दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से पेश ASG एसवी राजू ने सुनवाई टालने की मांग की थी. 22 फरवरी को हुई पिछली सुनवाई में अमिकस क्यूरी केवी विश्वनाथन ने अदालत को बताया कि इस तरह का विस्तार अवैध है. विनीत नारायण आदि मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के हवाले से कहा कि यह मुद्दा वर्तमान निदेशक के बारे में बिल्कुल नहीं था, बल्कि सिद्धांत के बारे में था. 

हालांकि, केंद्र की ओर से  सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध किया था. कहा था कि मिश्रा के विस्तार को विपक्षी नेताओं ने गंभीर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना करने के कारण चुनौती दी है. याचिकाकर्ता का कोई लोकस नहीं है. 

पीठ ने हालांकि कहा कि यह इस तथ्य से चिंतित नहीं है. वहीं, केंद्र सरकार ने कार्यकाल विस्तार को सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि याचिकाकर्ता भ्रष्टाचार की जांच का सामना कर रहे अपने नेताओं को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. असली मकसद पार्टी अध्यक्ष और कांग्रेस के कुछ पदाधिकारियों के खिलाफ की जा रही जांच पर सवाल उठाना है. 

हलफनामे में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं में रणदीप सिंह सुरजेवाला (कांग्रेस), जया ठाकुर (कांग्रेस), साकेत गोखले (TMC), महुआ मोइत्रा (TMC) शामिल है. इन पार्टियों के प्रमुख नेता ED की जांच के दायरे में हैं. यह सुनिश्चित करने के लिए याचिका दायर की गई है कि  ED निडर होकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन ना कर पाए.

याचिकाकर्ता पार्टी के कई नेताओं के खिलाफ जांच के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर मामले का खुलासा करने में भी विफल रहे हैं.

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