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झारखंड में जांच की अनुमति मांगने आई CBI को SC की फटकार 

झारखंड सरकार ने भी हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अलग याचिका दाखिल की है. मामले में प्रारंभिक जांच करने की अनुमति मांगने वाली CBI द्वारा दायर अंतरिम आवेदन पर  CJI  गवई ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू सवाल किए.

झारखंड में जांच की अनुमति मांगने आई CBI को SC की फटकार 
  • सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड विधानसभा में नियुक्तियों की जांच के मामले में CBI के राजनीतिक इस्तेमाल पर सवाल उठाए.
  • झारखंड हाईकोर्ट ने विधानसभा में अवैध नियुक्तियों की जांच के लिए CBI को आदेश दिया था.
  • CJI बीआर गवई ने CBI से पूछा कि राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ जांच तंत्र का प्रयोग क्यों किया जा रहा है.
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नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड विधानसभा में नियुक्तियों की जांच के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो पर बड़े सवाल उठाए हैं.. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि  उसका इस्तेमाल राजनीतिक लड़ाई लड़ने के लिए क्यों किया जा रहा है. CJI बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ  झारखंड विधानसभा द्वारा झारखंड हाईकोर्ट के सितंबर 2024 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में झारखंड राज्य विधानसभा में नियुक्तियों और पदोन्नतियों में कथित घोटाले  की CBI जांच का निर्देश दिया गया था. नवंबर, 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी.

राजनीतिक लड़ाइयों के लिए प्रयोग 

झारखंड सरकार ने भी हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अलग याचिका दाखिल की है. मामले में प्रारंभिक जांच करने की अनुमति मांगने वाली CBI द्वारा दायर अंतरिम आवेदन पर  CJI  गवई ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा, 'आप अपनी राजनीतिक लड़ाइयों के लिए इस तंत्र का इस्तेमाल क्यों करते हैं? हम आपको कई बार बता चुके हैं. इससे पहले तमिलनाडु TASMAC मामले और कर्नाटक MUDA मामले के संबंध में CJI  ने ED और CBI से पूछा था  कि उनका इस्तेमाल राजनीतिक लड़ाइयों के लिए क्यों किया जा रहा है.'  

कपिल सिब्‍बल का तर्क 

इस मौके पर झारखंड विधानसभा की ओर से  कपिल सिब्बल ने कहा कि यह चौंकाने वाला है कि जब भी कोई मामला आता है, CBI पहले ही उस अदालत में पेश हो जाती है. ASG ने जवाब दिया कि इस मामले में नहीं. सिब्बल ने आगे कहा कि सिर्फ यहीं नहीं, पश्चिम बंगाल में भी कई मामलों में, माननीय जज ने इसे देखा है.

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राजू ने जवाब दिया कि कारण स्पष्ट है, जब कोई अपराध होता है तो हम पेश होते हैं. एक सोशल एक्टिविस्ट शिवशंकर शर्मा ने झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर झारखंड के अधिकारियों को विधानसभा में अवैध नियुक्तियों के संबंध में जांच आयोग के 30 संदर्भ बिंदुओं के क्रियान्वयन के संबंध में तत्कालीन राज्यपाल द्वारा तत्कालीन स्पीकर को 2018 में दिए गए निर्देश को लागू करने का निर्देश देने की मांग की थी. 

उच्‍च अधिकारियों की मिलीभगत! 

शर्मा ने कथित अवैध नियुक्तियों की CBI द्वारा जांच की भी मांग की. सितंबर, 2024 में हाईकोर्ट ने शर्मा की याचिका स्वीकार कर ली और निर्देश दिया कि झारखंड विधानसभा में अवैध नियुक्ति/पदोन्नति के मामले में हुई कथित अनियमितताओं की प्रारंभिक जांच CBI द्वारा की जाए. हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया कि यह मामला झारखंड विधानसभा में की गई अवैध नियुक्तियों से संबंधित है, जिसमें कथित तौर पर तत्कालीन विधानसभा स्पीकर, जो कैबिनेट मंत्री के पद पर आसीन बताए जाते हैं, सहित राज्य के उच्च अधिकारियों की मिलीभगत शामिल है.

इसलिए इस मामले की जांच CBI जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंपना वांछनीय होगा ताकि तत्कालीन विधानसभा स्पीकर सहित सभी संबंधित व्यक्ति आश्वस्त हो सकें कि एक स्वतंत्र एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है.चूंकि झारखंड राज्य के उच्च अधिकारी झारखंड विधानसभा में विभिन्न पदों के लिए नियुक्तियों में शामिल हैं, जैसा कि रिपोर्ट में बताया गया, इसलिए निष्पक्ष, ईमानदार और पूर्ण जाँच के लिए, और विशेष रूप से, जब जनता का विश्वास बनाए रखना आवश्यक हो, उचित जांच संभव नहीं है. 

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