"यह युद्ध नहीं बल्कि कानून के शासन की बात है": OROP मामले में SC ने रक्षा मंत्रालय को लगाई फटकार

One Rank One Pension case: मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने दो टूक कहा- 'अदालती प्रक्रिया की शुचिता बनी रहनी चाहिए. यह युद्ध नहीं, बल्कि कानून के शासन की बात है. अपना घर व्यवस्थित करें. रक्षा सचिव अपना नोटिफिकेशन वापस लें.

जुलाई 2022 में भारतीय सेना में लागू वन रैंक वन पेंशन ( OROP) को लेकर दायर पुर्नविचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया था.

नई दिल्ली:

वन रैंक वन पेंशन (OROP) नीति के तहत पेंशन भुगतान के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार (27 फरवरी) को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि अदालत के आदेशों का पालन करना होगा. अदालत ने इसके साथ ही रक्षा मंत्रालय के पेंशन मामलों के सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है. कोर्ट ने पूछा कि अदालती आदेश के बावजूद पेंशन किश्तों में देने का फैसला क्यों लिया गया? सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि हम अवमानना नोटिस जारी कर देंगे.
 
 वन रैंक वन पेंशन पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने दो टूक कहा- 'अदालती प्रक्रिया की शुचिता बनी रहनी चाहिए. यह युद्ध नहीं, बल्कि कानून के शासन की बात है. अपना घर व्यवस्थित करें. रक्षा सचिव अपना नोटिफिकेशन वापस लें. अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम रक्षा मंत्रालय को अवमानना नोटिस जारी करेंगे.' इस मामले पर अब होली के बाद सुनवाई होगी.

वहीं, सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से हुजेफा अहमदी ने कहा, 'लगभग 4 लाख पेंशनभोगियों की मृत्यु हो चुकी है. दरअसल, 20 जनवरी को रक्षा सचिव ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि वो OROP के तहत पेंशन को चार किश्तों में देंगे. जबकि 9 जनवरी 2023  को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा था कि 15 मार्च तक सभी को भुगतान किया जाए. इस दौरान एजी आर वेंकटरमणि ने कहा था-‌ 'मैं व्यक्तिगत रूप से इस मामले की निगरानी रख रहा हूं. इसे जल्द ही भुगतान किया जाएगा. 25 लाख पेंशनभोगी हैं. लिस्ट अंतिम स्क्रीनिंग के लिए मंत्रालय के पास आ गई है. यह रक्षा मंत्रालय की फाइनेंस शाखा के पास है.' 

OROP का भुगतान सशस्त्र बलों के उन कर्मियों को किया जाता है, जो समान सेवा अवधि के साथ समान रैंक पर सेवानिवृत्त होते हैं, भले ही उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख कुछ भी हो. जुलाई 2022 में भारतीय सेना में लागू वन रैंक वन पेंशन ( OROP) को लेकर दायर पुर्नविचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज  किया था. 

पूर्व सैनिकों की संस्था 'इंडियन एक्स-सर्विसमेन मूवमेंट' ने सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले पर पुर्नविचार की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने उसे ठुकरा दिया. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ , जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रमनाथ की बेंच ने पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी. 

16 मार्च 2022 को सशस्त्र बलों में वन रैंक वन पेंशन ( OROP)मामले में केंद्र को बड़ी राहत मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा बलों में "वन रैंक वन पेंशन" योजना शुरू करने के तरीके को बरकरार रखा था. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- 'हमें OROP के अपनाए गए सिद्धांत में कोई संवैधानिक खामी नहीं दिखी. कोई विधायी जनादेश नहीं है कि समान रैंक वाले पेंशनभोगियों को समान पेंशन दी जानी चाहिए. सरकार ने एक नीतिगत फैसला लिया है जो उसकी शक्तियों के दायरे में है. 1 जुलाई 2019 से पेंशन फिर से तय की जाएगी और 5 साल बाद संशोधित की जाएगी. 3 माह के अंदर बकाया भुगतान करना होगा.' 

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