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अदालतें निर्दयी नहीं हो सकतीं... हल्द्वानी रेलवे ट्रैक के पास अतिक्रमण हटाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट

उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की 30 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा हटाने के नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने सख्त टिप्पणी की.

अदालतें निर्दयी नहीं हो सकतीं...  हल्द्वानी रेलवे ट्रैक के पास अतिक्रमण हटाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट
रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जा मामले पर सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:

उत्तराखंड के हल्द्वानी रेलवे ट्रैक के पास अतिक्रमण हटाने (Supreme Court On Haldwani Encroachment) के मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि जो वहां रह रहे हैं, वो भी इंसान हैं, और वे दशकों से वहां रह रहे हैं. अदालतें उनके प्रति निर्दयी नहीं हो सकतीं. अदालतों को भी संतुलन बनाए रखने की ज़रूरत है और राज्य को भी कुछ करने की ज़रूरत है. सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि रेलेवे ने अब तको कोई कार्रवाई नहीं की है. 

रेलवे को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की 30 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा हटाने के नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने कहा कि उत्ताराखंड के चीफ सेकेट्री, केंद्र के अफसर और रेलवे के अफसर मीटिंग करें और ये योजना बनाई जाए कि आखिर लोगों का पुनर्वास किस तरह से होगा. अदालत ने कहा कि चार हफ्तों के भीतर इस योजना पर काम किया जाना चाहिए. मामले पर अगली सुनवाई पांचवे हफ्ते में होगी. 

अतिक्रमण हटाने के पीछे रेलवे का तर्क

सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे से कहा कि अगर आप लोगों को बेदखल करना चाहते हैं तो नोटिस जारी करें. इसके लिए जनहित याचिका का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. वहीं रेलवे की तरफ से कहा गया कि उनकी योजना वहां पर बंदे भारत ट्रेन चलाने की है. इसीलिए प्लेटफॉर्म को बढ़ा करने की जरूरत है. रेलवे  की तरफ से दलील दी गई कि ट्रैक पर पानी भर जाता है. उत्तराखंड सरकार कानूनी रुप से हकदार लोगों का पुनर्वास कर सकती है. 

पुनर्वास को लेकर रेलवे अपनी योजना बताए

 पिछले साल जनवरी में हल्द्वानी में नियोजित बेदखली अभियान से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने पर रोक लगा दी थी. लेकिन अब सुनवाई के दौरान जज ने कहा है कि वह रेलवे की बात के समझ रहे हैं, लेकिन इसमें बेलेंस करने की जरूरत हैं. अदालत बस ये जानना चाहती है कि कितनी जमीन रेलवे को चाहिए और पुनर्वास को लेकर रेलवे की क्या योजना है. सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे ने रिकॉर्ड पर कहा कि उन्हें अपनी ज़मीनों के बारे में जानकारी नहीं है. आगे बढ़ने का एक रास्ता है, जो हमें खोजना होगा. 

50 हजार लोगों को ऐसे नहीं हटा सकते

अदालत ने अपने आदेश में कहा इस मामले में जल्द करवाई की जरूरत है. उस जगह पर 4365 घर है, वहां पर 50 हजार लोग रह रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के दौरान हमें कुछ वीडियो और फोटो दिए गए हैं. जिससे पता चलता है कि कई परिवार वहां कई सालों से रह रहे हैं. रेलवे की पुनर्वास योजना ऐसी होनी चाहिए जिससे सब सहमत हों. इसके साथ ही प्रभावित परिवारों की तुरंत पहचान होनी चाहिए. 

रेलवे की 30 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा

बता दें कि उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की 30 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा हटाने के नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने कहा कि उतराखंड के चीफ सेकेट्री, केंद्र के अफसर और रेलवे के अफसर मीटिंग करें और ये योजना बनाई जाए कि आखिर लोगों का पुनर्वास किस तरह से होगा. अदालत ने कहा कि चार हफ्तों के भीतर इस योजना पर काम किया जाना चाहिए. मामले पर अगली सुनवाई पांचवे हफ्ते में होगी. 

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