
पर्स सीन नेट (Purse seine net)यानी महाजाल से समुद्र में मछली पकड़ने पर लगाई गई पाबंदी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने नोटिस पर कार्यवाही पूरी होने के बाद इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने को कहा है, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की पाबंदी पर रोक नहीं लगाई है. गौरतलब है कि तमिलनाडु सरकार ने इस महाजाल से मछली पकड़ने पर 17 फरवरी 2022 से रोक लगाई हुई है, याचिकाकर्ता इसे हटवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट आए हैं. सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु में मछली पकड़ने के कारोबारियों की ओर से गणशेखर और अन्य याचिकाकर्ताओं ने तमिलनाडु मरीन फिशिंग रेगुलेशन रूल्स 1983 की धारा 17(7) को चुनौती दी है.
जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ के सामने दलील दी गई कि 15 जून से तीन महीनों का सीजन ही मछली पकड़ने के लिए बेहतर होता है. हर साल 15 अप्रैल से 15 जून दो महीनों के लिए बड़े जहाजों के जरिए मशीनी महाजाल से मछली पकड़ने पर रोक रहती है. ये दो महीने यानी 61 दिन मछलियों के प्रजनन के होते हैं. 15 जून से मछली पकड़ने का सीजन शुरू होता है तब छोटे बड़े जाल में बहुतायत में मछलियां पकड़ी जाती हैं. महाजाल यानी पर्स सीन नेट ऐसा जाल होता है जो मछलियों सहित अन्य समुद्री जीवों जैसे कछुए और अन्य प्रजातियों को भी समेट कर ले आता है फिर उनको वापस समुद्र में छोड़ना पड़ता है. सीजन शुरू होने के बाद मछली पकड़ने के इस काम में 15 लाख से ज़्यादा मछुआरा परिवारों की आजीविका निर्भर करती है. राज्य की अर्थव्यवस्था में इस नीले अर्थशास्त्र का अहम योगदान है. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि ये पाबंदी केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ और मनमानी है. राज्य सरकार ने ये फरमान जारी करने से पहले विशेषज्ञ समिति से भी कोई मशविरा नहीं लिया है.
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