विज्ञापन

पर्यावरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र के इस फैसले को किया रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें उद्योग और शैक्षणिक भवनों के लिए 2006 की अधिसूचना से छूट देने का कोई कारण नज़र नहीं आता. यदि 20,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल में कोई भी निर्माण कार्य किया जाता है तो स्वाभाविक रूप से पर्यावरण पर इसका प्रभाव पड़ेगा.

पर्यावरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र के इस फैसले को किया रद्द

पर्यावरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए शैक्षणिक भवनों को पर्यावरणीय मंजूरी से छूट देने का केंद्र का फैसला रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें औद्योगिक या शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए निर्मित भवनों के साथ अन्य भवनों में भेदभाव करने का कोई कारण नजर नहीं आता. यह सर्वविदित है कि शिक्षा अब केवल सेवा-उन्मुख पेशा नहीं रह गई है. शिक्षा आजकल एक फलता-फूलता उद्योग भी बन गया है. CJI बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि अदालतें लगातार पर्यावरण संरक्षण पर जोर देती रही हैं. यह लगातार माना जाता रहा है कि प्राकृतिक संसाधनों को अगली पीढ़ी के लिए ट्रस्ट में रखा जाना चाहिए. साथ ही अदालतों ने विकास गतिविधियों की आवश्यकता को भी ध्यान में रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा शैक्षणिक भवनों को पर्यावरणीय मंजूरी से छूट देने के फैसले को रद्द कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की 29 जनवरी, 2025 की अधिसूचना के उस हिस्से को रद्द कर दिया, जिसमें औद्योगिक शेड, स्कूल, कॉलेज और छात्रावासों से संबंधित निर्माण परियोजनाओं को पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) अधिसूचना, 2006 के तहत पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी लेने से छूट दी गई थी. पीठ ने कहा कि संशोधित अनुसूची के खंड 8(ए) के नोट 1 में दी गई यह छूट मनमाना और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के उद्देश्य के विपरीत है हालांकि अधिसूचना के बाकी हिस्से को बरकरार रखा गया

पीठ ने कहा कि हमें उद्योग और शैक्षणिक भवनों के लिए 2006 की अधिसूचना से छूट देने का कोई कारण नज़र नहीं आता. यदि 20,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल में कोई भी निर्माण कार्य किया जाता है तो स्वाभाविक रूप से पर्यावरण पर इसका प्रभाव पड़ेगा, भले ही भवन शैक्षणिक उद्देश्य से ही क्यों न हो. हमें औद्योगिक या शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए निर्मित भवनों के साथ अन्य भवनों में भेदभाव करने का कोई कारण नजर नहीं आता. यह सर्वविदित है कि शिक्षा अब केवल सेवा-उन्मुख पेशा नहीं रह गई है. शिक्षा आजकल एक फलता-फूलता उद्योग भी बन गया है

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com