सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के सरकार के पांच अगस्त, 2019 के फैसले को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट के अनुच्छेद 370 फैसले से कुछ घंटे पहले, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पोस्ट किया कि "कुछ लड़ाइयां हारने के लिए लड़ी जाती हैं".
कपिल सिब्बल ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा "कुछ लड़ाइयां हारने के लिए लड़ी जाती हैं. संस्थागत कार्रवाइयों के सही और गलत होने पर आने वाले सालों में बहस होती रहेगी. इतिहास ही अंतिम निर्णायक है."
Courts
— Kapil Sibal (@KapilSibal) December 11, 2023
Some battles are fought to be lost
For history must record the uncomfortable facts for generations to know
The right and wrong of institutional actions will be debated for years to come
History alone is the final arbiter
of the moral compass of historic decisions
इस मामाले में याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, जफर शाह, दुष्यंत दवे और अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने बहस की थी.
दूसरी ओर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने संबंधी सरकार के फैसले को उच्चतम न्यायालय द्वारा बरकरार रखे जाने के निर्णय का स्वागत करते हुए सोमवार को कहा कि इससे साबित हो गया कि केंद्र सरकार का फैसला ‘पूरी तरह से संवैधानिक' था.
शाह ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैं उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करता हूं, जिसमें अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के फैसले को बरकरार रखा गया है.'
सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने अपने और न्यायमूर्ति बी आर गवई एवं न्यायमूर्ति सूर्यकांत की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे रद्द करने की शक्ति है.
शीर्ष अदालत ने पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को अलग करने के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखा. केंद्र सरकार ने इस दिन अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था और पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में विभाजित कर दिया था.
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