विज्ञापन
This Article is From Feb 20, 2025

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार बंद करना चाहती है नौ विश्वविद्यालय, बीजेपी इसलिए कर रही है विरोध

कर्नाटक कैबिनेट की एक सब कमेटी ने आर्थिक संकट का हवाला देते हुए प्रदेश के नौ विश्वविद्यालयों को बंद करने की सिफारिश की है. कांग्रेस सरकार के इस फैसले का विरोध हो रहा है.मुख्य विपक्षी बीजेपी और दक्षिणपंथी छात्र संगठनों का कहना है कि इससे राज्य की उच्च शिक्षा प्रभावित होगी.

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार बंद करना चाहती है नौ विश्वविद्यालय, बीजेपी इसलिए कर रही है विरोध
नई दिल्ली:

कर्नाटक कैबिनेट की एक सब कमेटी ने आर्थिक संकट का हवाला देते हुए प्रदेश के नौ विश्वविद्यालयों को बंद करने की सिफारिश की है. कांग्रेस सरकार के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है. राज्य की विपक्षी पार्टी बीजेपी और दक्षिणपंथी छात्र संगठन सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. इन विश्वविद्यालयों को बंद करने का फैसला उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की अध्यक्षता वाली एक सब कमेटी ने लिया है. इस कमेटी की रिपोर्ट पर अंतिम फैसला कर्नाटक कैबिनेट की बैठक में लिया जाएगा. जिन विश्वविद्यालयों को बंद करने का फैसला किया गया है, उनकी स्थापना उस समय हुई थी, जब कर्नाटक में बीजेपी की सरकार थी.

कौन से विश्वविद्यालय बंद किए जाने हैं

कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने जिन विश्वविद्यालयों को बंद करने का फैसला किया है, वे हैं हसन विश्वविद्यालय, चामराजनगर विश्वविद्यालय, हावेरी विश्वविद्यालय, कोडागु विश्वविद्यालय, कोप्पल विश्वविद्यालय, बागलकोट विश्वविद्यालय, महारानी क्लस्टर विश्वविद्यालय बेंगलुरु, मांड्या विश्वविद्यालय और नृपतुंगा विश्वविद्यालय.हाल ही में स्थापित किए गए 10 विश्वविद्यालयों में से केवल बीदर विश्वविद्यालय ही सही पाया गया है. इन विश्वविद्यालयों की स्थापना राज्य में बीजेपी की सरकार के दौरान हुआ था. बीजेपी सरकार ने 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन यूनिवर्सिटी' नीति के तहत इन विश्वविद्यालयों की स्थापना की थी. राज्य सरकार फंड और बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी की वजह से इन विश्वविद्यालयों को व्यवहार्य नहीं माना है.  

उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की अध्यक्षता वाली एक कैबिनेट कमेटी ने यह फैसला लिया है.

उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की अध्यक्षता वाली एक कैबिनेट कमेटी ने यह फैसला लिया है.

इन विश्वविद्यालयों को बंद करने का फैसला राज्य सरकार ने पिछले हफ्ते किया. इसके बाद से ही विपक्षी पार्टियां और छात्र संगठन इसका विरोध कर रहे हैं. बीजेपी का कहना है कि सरकार के इस कदम से सब तक उच्चा शिक्षा पहुंचाने की मुहिम कमजोर होगी, खासकर ग्रामीण इलाकों में.उसका कहना है कि इस मुहिम का उद्देश्य उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर)को बढाना था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है. उसका आरोप है कि सरकार अपने राजनीतिक हित के लिए छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है. 

क्या कहना है उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का

इन विश्वविद्यालयों को बंद करने का फैसला कर्नाटक कैबिनेट की एक कमेटी की सिफारिश पर किया गया है.इस कमेटी के प्रमुख राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार थे. उनका कहना है कि इन सभी 10 विश्वविद्यालयों में केवल एक ही काम कर रहा था. वहीं बाकी के नौ विश्वविद्यालयों के पास जमीन और पैसे तक की तंगी थी. उन्होंने कहा कि इस फैसले में छात्रों के हितों का ख्याल रखा गया है. उन्होंने कहा कि सरकार राज्य में उच्च शिक्षा की हालत सुधारने के रास्ते तलाश रही है, जिनमें संसाधनों को अत्यधिक न बढ़ाना पड़े. कैबिनेट की इस कमेटी का गठन कर्नाटक राज्य उच्च शिक्षा परिषद की एक रिपोर्ट के बाद किया गया था. इस रिपोर्ट में इन विश्वविद्यलयों को चलाने के लिए पहले पांच साल के लिए 342 करोड़ रुपये की आवश्यकता बताई गई थी. 

ये भी पढ़ें: पूर्वांचल+बिहार, कौन हैं दिल्ली के मंत्री पंकज सिंह और क्या है सियासी सार, समझिए

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com