उत्तराखंड के ऊधमसिंहनगर के नानकमत्ता गुरुद्वारे के डेरा प्रमुख बाबा तरसेम सिंह की कथित तौर पर हत्या करने वाला शूटर अमरजीत सिंह बिटटू उर्फ गंडा को विशेष कार्यबल (एसटीएफ) और पुलिस की संयुक्त टीम ने हरिद्वार जिले के कलियर में हुई एक मुठभेड़ में मार गिराया .
अमरजीत सिंह बिट्टू ऊर्फ गंडा के सिर पर एक लाख रुपये का इनाम था . पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने यहां संवाददाताओं को बताया कि सोमवार आधी रात के बाद हुई मुठभेड़ के दौरान, हत्या मामले का दूसरा आरोपी सरबजीत सिंह फरार हो गया, जिसकी सरगर्मी से तलाश की जा रही है.
पंजाब के तरन तारन जिले के रहने वाले सरबजीत सिंह पर भी एक लाख रू का इनाम घोषित है. उन्होंने बताया कि सोमवार देर शाम एसटीएफ को गुप्त सूचना मिली कि 28 मार्च को हत्याकांड में वांछित इनामी बदमाश सहारनपुर से हरिद्वार जिले के भगवानपुर और कलियर होकर उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जाने वाले हैं.
उन्होंने बताया कि सूचना पर हरिद्वार में पुलिस और एसटीएफ ने जगह-जगह संयुक्त रूप से सघन जांच अभियान चलाया. उन्होंने बताया कि इसी दौरान आधी रात के बाद लगभग साढ़े बारह बजे भगवानपुर में गागलहेडी तिराहे पर मोटरसाइकिल से आ रहे दो संदिग्ध लोगों को जब पुलिस टीम द्वारा रोकने का प्रयास किया गया तो वे दोनों बचते हुए इमलीखेड़ा-कलियर की तरफ भागने लगे.
कुमार ने बताया कि कुछ दूरी पर पुलिस ने दोनों बदमाशों को घेर लिया जिस पर उन्होंने गोलियां चलानी शुरू कर दीं . उन्होंने बताया कि पुलिस की जवाबी कार्रवाई में एक बदमाश को गोली लगी जबकि दूसरा अंधेरे का लाभ लेकर मौके से भाग निकला .
उन्होंने बताया कि घायल बदमाश को तुरंत सिविल अस्पताल रुड़की ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया . प्रदेश पुलिस प्रमुख ने बताया कि मृत आरोपी की पहचान पंजाब के अमृतसर के रहने वाले अमरजीत सिंह उर्फ बिट्टू (48) के रूप में हुई .
आरोप है कि बिटटू 28 मार्च की सुबह करीब सवा छह बजे अपने साथी सरबजीत के साथ मोटरसाइकिल पर पीछे बैठकर होकर नानकमत्ता गुरूद्वारे में आया और बरामदे में बैठे डेरा, कार सेवा, प्रमुख बाबा तरसेम सिंह के ऊपर राइफल से गोली चलाकर कथित तौर पर हत्या कर दी तथा मौके से फरार हो गया. भागने से पहले उन्होंने बाबा के सेवादार पर भी गोली चलाई .
इस संबंध में नानकमत्ता पुलिस थाने में भारतीय दंड विधान की धारा 302, 307, 34 और 120बी के तहत मुकदमा पंजीकृत है. बिट्टू उर्फ गंडा का लंबा आपराधिक इतिहास है और उसके विरूद्ध उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अपने साथियों के साथ मिलकर आतंकवादियों को पनाह देने, खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाने, बैंक लूटने आदि के कई मामले दर्ज हैं .
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए हत्याकांड के खुलासे के लिए एक छह सदस्यीय एसआइटी का गठन करने के अलावा 11 टीमों का गठन किया गया. जांच के दौरान मामले में सात अन्य आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. हत्याकांड में सरबजीत सिंह के अलावा अन्य दो आरोपयिों, सुल्तान सिंह व सतनाम सिंह की गिरफ्तारी के लिए उत्तर प्रदेश और दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर दबिश दी जा रही है .
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