सुप्रीम कोर्ट ने कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति की पुनर्नियुक्ति को रद्द करने का फैसला सुनाया है. अदालत ने कहा कि पुनर्नियुक्ति राज्य सरकार के हस्तक्षेप के कारण खत्म हुई है. ये फैसला केरल सरकार के लिए एक झटका है.
सुप्रीम कोर्ट कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में डॉ. गोपीनाथ रवींद्रन की पुनर्नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुनाया. कन्नूर विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य डॉ. प्रेमचंद्रन कीज़ोथ और अकादमिक परिषद के सदस्य शिनो पी जोस ने गोपीनाथ रवींद्रन की पुनर्नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि 60 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति को दोबारा वीसी कैसे नियुक्त किया जा सकता है. कन्नूर विश्वविद्यालय के नियम कहते हैं कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के किसी भी व्यक्ति को वीसी के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता है.
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में चांसलर गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने पुनर्नियुक्ति का पुरजोर विरोध किया. फैसला सुनाते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि हमने चार प्रश्नों का समाधान किया है.
उक्त चार सवाल थे कि क्या कार्यकाल पद पर पुनर्नियुक्ति की अनुमति है, जिस पर हमने कहा कि कार्यकाल के लिए पद पर दोबारा नियुक्ति नहीं हो सकती. दूसरा सवाल ये कि 60 वर्ष की आयु होने पर पुनर्नियुक्ति के लिए आवेदन नहीं होगा, तीसरा ये कि पुनर्नियुक्ति के लिए चयन समिति का होना आवश्यक नहीं है. चौथा ये कि क्या वीसी ने पूरी निर्णय प्रक्रिया को ख़राब करते हुए अपनी शक्ति त्याग दी या आत्मसमर्पण कर दिया.
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