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This Article is From Jan 16, 2024

SC ने अवमानना की सजा भुगत रहे वकील की बिना शर्त माफी के हलफमामे को स्वीकार करने से किया इनकार

 CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस माफीनामे से कहीं नहीं महसूस होता है कि आपको अपने किए का कोई पछतावा है. आप अपने माफीनामे को सरल और सीधा रखें.

SC ने अवमानना की सजा भुगत रहे वकील की बिना शर्त माफी के हलफमामे को स्वीकार करने से किया इनकार
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कोर्ट की अवमानना के जुर्म में छह महीने कैद की सजा भुगत रहे वकील वीरेंद्र सिंह की बिना शर्त माफी के हलफमामे को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है.  CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस माफीनामे से कहीं नहीं महसूस होता है कि आपको अपने किए का कोई पछतावा है. आप अपने माफीनामे को सरल और सीधा रखें. बिना शर्त माफी की भावना उसमें दिखनी चाहिए. कोर्ट अब अगले शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करेगा. 

दूसरा हलफनामा दायर करने का आदेश

इधर दोषी की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि 12 जनवरी के आदेश के अनुसार वकील को हाईकोर्ट और निचली अदालत में पेश किया गया था. उन्होंने माफी के लिए हलफनामा भी पेश किया है.  लेकिन CJI चंद्रचूड़ की बेंच ने हलफनामा पढ़ा और फिर उसकी भाषा पर सवाल उठाए.  बेंच ने कहा कि ये कहीं से भी बिना शर्त माफी का हलफनामा नहीं लगता. इसलिए इसे मंजूर नहीं किया जा सकता. लिहाजा शुक्रवार तक दूसरा हलफनामा दाखिल किया जाए.

वकील को मिली है अनूठी सजा

वहीं मामले में एक सरकारी वकील ने भी कहा कि वकील ने उनके और हाईकोर्ट की ओर से पेश होने वाले वकील पर भी आरोप लगाए हैं जिनसे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है.  बेंच ने कहा कि ये आरोप भी वापस लिए जाने चाहिए.  दरअसल जजों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले एक वकील को सुप्रीम कोर्ट ने सजा माफी के लिए एक अनूठी सजा दी है. दोषी वकील को 16 जनवरी तक ट्रायल कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में जाकर जजों से बिना शर्त माफी मांगने को कहा गया.

जजों के पास जाकर माफी मांगने की है सजा

खास बात ये है कि आदेश में कहा गया कि पुलिस अपनी हिरासत में उसे अदालतों में लेकर जाएगी और वकील व्यक्तिगत तौर पर उन जजों से माफी मांगेंगे.  फिर सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि उसकी 6 महीने की सजा माफ की जाए या नहीं. दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट  ने 9 जनवरी को वकील वीरेंद्र सिंह को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया और उसे 6 महीने की सजा के साथ- साथ 2000 रुपये का जुर्माना लगाया था.  साथ ही ये भी कहा कि अगर जुर्माना नहीं भरा तो सात दिन की कैद और भुगतनी होगी. 

CJI डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने क्या कहा? 

12 जनवरी को इस मामले को CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच के सामने रखा गया.  दोषी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विभा दत्ता मखीजा ने माना कि जजों पर टिप्पणियां करके उसने गलती की है. मखीजा ने कहा कि वह अब पश्चाताप से भर गए हैं..  उन्होंने निश्चित रूप से अपना सबक सीख लिया है.  वैसे भी सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलों में ज्यादा जुर्माने और कम कैद की सजा सुनाता है. दोषी को अंतरिम जमानत भी दी जा सकती है.  हालांकि CJI चंद्रचूड़ ने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि हाईकोर्ट के पास कोई विकल्प नहीं था. हालांकि उन्हें माफी मांगने का मौका दिया गया था लेकिन उसने माफी नहीं मांगी.  हालांकि हाईकोर्ट ने उन्हें चेतावनी दी, लेकिन उन्होंने कहा कि वह अपनी टिप्पणी पर कायम हैं. 

जजों पर पक्षपातपूर्ण तरीके से कार्य करने का लगा था आरोप

उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि चूंकि घृणित आरोप लगाने वाला वकील अदालत का एक अधिकारी है, इसलिए ऐसे कार्यों पर 'कठोरता' से जांच करना आवश्यक है. वकील ने जुलाई 2022 में उच्च न्यायालय  के समक्ष एक याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने कई जजो पर मनमाने ढंग से, मनमाने ढंग से या पक्षपातपूर्ण तरीके से कार्य करने का आरोप लगाया था. उन्होंने अपनी याचिका में जजों का भी नाम लिया था. 

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