- केंद्रीय सूचना आयोग के खाली पदों को भरने के लिए राहुल गांधी के साथ PM मोदी और अमित शाह की बैठक हुई थी.
- बैठक में राहुल ने सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में OBC, SC-ST और अल्पसंख्यकों को मौका न मिलने की शिकायत की.
- लेकिन सूचना आयोग में अब तक हुई नियुक्ति को देखें तो पता चलता है कि राहुल गांधी की आपत्ति खोखली है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री कार्यालय में पीएम मोदी और अमित शाह के एक बैठक की थी. करीब 88 मिनट तक चली इस बैठक में केंद्रीय सूचना आयोग के खाली पड़े पदों को भरने पर विचार किया गया. केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) में अभी मुख्य सूचना आयुक्त सहित 8 पद खाली हैं. जिन्हें भरने के लिए बनाए गए पैनल में प्रधानमंत्री, एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री के साथ-साथ नेता प्रतिपक्ष होते हैं. इसी नाते राहुल गांधी बुधवार को हुई बैठक में शामिल हुए. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राहुल गांधी ने इस बैठक में सूचना आयुक्तों की भर्ती पर अपनी शिकायत दर्ज कराई. राहुल गांधी ने कहा कि सूचना आयुक्तों में OBC, SC-ST वर्ग के लोगों को मौका नहीं मिलता है.
कांग्रेस के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी ने बैठक में मुख्य सूचना आयुक्त, 8 सूचना आयुक्त और 1 सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति को लेकर पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के सामने देश की 90 फीसदी यानी दलित, आदिवासी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय को बाहर रखने के ख़िलाफ़ आपत्ति जताई.
2005 में बना चुनाव आयोग, यूपीए के 9 साल में किसी वंचित को नहीं मिली जगह
राहुल गांधी के इस आपत्ति की हकीकत अब सामने आई है. केंद्रीय सूचना आयोग की स्थापना 2005 में की गई थी. 2005 से 2014 तक यूपीए की सरकार थी. लेकिन यूपीए सरकार के दौरान सूचना आयोग में एससी-एसटी समुदाय से किसी की नियुक्ति नहीं हुई. ना ही सदस्य के रूप में और ना ही अध्यक्ष के रूप में.

एनडीए सरकार ने SC-ST समाज से सदस्य बनाया
2014 में जब केंद्र की सत्ता पर एनडीए की सरकार बनी, तब 2018 में पहली बार ST समुदाय से सुरेश चंद्रा को सूचना आयोग में सदस्य बनाया गया.
- इसके बाद फिर 2020 में एनडीए सरकार के टर्म में ही SC समाज से हीरालाल समारिया को सूचना आयुक्त बनाया गया. बाद में 2023 में हीरालाल समारिया को सूचना आयोग का अध्यक्ष भी बनाया गया.
खाली पड़े 8 में 5 पद पर वंचित वर्गों के नाम की सिफारिश
सूत्रों के अनुसार, सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कल जिन 8 रिक्त पदों पर विचार किया गया, उनमें से केंद्र सरकार ने एक अनुसूचित जाति, एक अनुसूचित जनजाति, एक अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), एक अल्पसंख्यक प्रतिनिधि और एक महिला के नाम की सिफारिश की है.
कुल मिलाकर, अनुशंसित 8 नामों में से पांच नाम वंचित वर्गों से थे. ऐसे में सूचना आयोग में देश की 90 फीसदी आबादी के नहीं होने का राहुल गांधी का दावा निराधार हैं.
यह भी पढ़ें - पीएम मोदी-शाह संग बैठक में राहुल गांधी ने किन मुद्दों पर जताई असहमति, जानें सबकुछ
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं