केंद्रीय शहरी और आवास एवं पेट्रोलियम मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता हरदीप सिंह पुरी (Petroleum Minister Hardeep Singh Puri) ने कहा है कि पंजाब (Punjab) की पिछली सरकारों ने राज्य की आर्थिक हालत खस्ता कर दी है और उसे पहले नंबर से 14वें पर पहुंचा दिया है. NDTV से खास बातचीत में पुरी ने कहा कि यहां शिक्षा और रोजगार की बहुत खराब हालत है. उन्होंने कहा, पंजाब में रेत माफिया, भू माफिया, शराब माफिया और ड्रग्स माफिया का डर है, जबकि जिन राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं, वहां डबल इंजन के साथ काम हो रहा है, जैसे यूपी."
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब अकाली दल के साथ हमारा गठबंधन था, तब हम 117 सदस्यों वाली विधानसभा में 22-23 से ज्यादा सीटों पर नहीं लड़ते थे. उस गठबंधन में जब उनकी सरकार भी थी, तब हम जूनियर पार्टनर थे. पुरी ने अपने पूर्ववर्ती सहयोगी अकाली दल पर आरोप लगाया कि उन्होंने ना हमारा कोई सिख चेहरा उठने दिया, ना कोई हिंदू चेहरा उठने दिया बल्कि उन्होंने अपना कब्जा बना कर रखा था.
पुरी ने कहा कि पहली बार पंजाब में 73 उम्मीदवार हमारे चुनाव चिन्ह कमल पर चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें 65 BJP के हैं, जबकि आठ अन्य हैं, जो कमल निशान पर चुनाव मैदान में हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब का सरवाईबल और ग्रोथ हमारा चुनावी मुद्दा है. पंजाब में इंडस्ट्री का सत्यानाश हो चुका है, पिछले 2 साल में 15000 इंडस्ट्री पंजाब से निकलकर यूपी गुजरात और बाकी राज्यों में चली गई है.
जब उनसे पूछा गया कि पंजाब की आज जो भी हालत है उसमें अकाली बीजेपी सरकार का भी रोल है क्योंकि पिछले 25 में से 15 साल अकाली दल और बीजेपी की सरकार रही है तो ऐसे में आप पल्ला कैसे झाड़ सकते हैं? इस पर पुरी ने कहा, "हम पल्ला नहीं झाड़ रहे. हम उस समय भी कहते थे. उस समय भी यह बड़े पैमाने पर फीलिंग थी. कुछ ऐसे लोग हैं जो हाल में ही हमारी पार्टी को छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल हो गए. हमारे सीनियर लीडर उनके बारे में कहा करते थे कि अगर ऐसे लोग आप की पार्टी में होंगे तो आपकी पार्टी कभी उठ ही नहीं सकती."
जब पुरी से पूछा गया कि यह कहना कि केवल अकाली दल ने ऐसा किया है यह गलत है क्योंकि आपके लोग खुद उनके साथ कोलैबोरेट कर रहे थे, तब उन्होंने कहा, "ये सही बात है लेकिन बहुत खुशी की बात है कि उनका नेचुरल हैबिटेट वही था. वह इस चुनाव के चक्कर में वहां पर चले गए हैं और चुनाव भी लड़ रहे है. पुरी ने बताया कि एक बड़े वरिष्ठ नेता हमारी पार्टी से चले गए हैं. वह इसलिए नहीं गए हैं कि उनका कोई आइडियोलॉजिकल डिफरेंस है बल्कि वह इसलिए गए हैं क्योंकि वह अपने बेटे के लिए आनंदपुर साहिब से टिकट मांग रहे थे.
किसान आंदोलन का क्या प्रभाव आप चुनाव पर देख रहे हैं? इस पर पुरी ने कहा, किसान आंदोलन हुआ था और वह अब खत्म हो चुका है. अब जो विरोध हो रहा है....जो विरोध हो रहा था, वह इस बात पर हो रहा था कि किसान कानून लाए गए. अब तो किसान कानून प्रधानमंत्री जी ने वापस ले लिए हैं. उस विषय पर तो हो नहीं सकता.
पुरी ने कहा, "मैं हमेशा कहता रहा हूं कि कोई भी ऐसे मुद्दे हैं तो उन पर चर्चा हो सकती है. जैसे कुछ लोगों को मुआवजा देना है, लेकिन जब तक राज्य सरकार लिस्ट नहीं देगी, तब तक मुआवजा कैसे दिया जाएगा. अब वो कह रहे हैं कि हम आपको नहीं आने देंगे. लोकतंत्र में पोजीशन लेना और विरोध करना आपका हक है लेकिन यह कहना कि मेरी बात नहीं मानोगे तो मैं यह नहीं करने दूंगा, वह नहीं करने दूंगा, यह बड़ी अजीब चीज है.
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जब उनसे पूछा गया कि 750 किसानों की जान जाने के बाद कृषि कानून वापस लिए गए, क्या केवल कानून वापस लेने से उन किसानों की जान वापस आ जाएगी? इस पर पुरी ने कहा, "जब भी कोई आंदोलन होता है तो उसमें समस्या होती हैं. मुझे लगता है कि गठबंधन टूटने से और किसान आंदोलन के बाद भारतीय जनता पार्टी उठी है और लोगों में यह बात भी गई है कि अगर ऐसे चलेगा तो फिर स्टेट बर्बाद हो जाएगा.
आपकी पार्टी कितनी सीटें जीत सकती है? सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारे सिंबल पर 73 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, जिसमें 65 हमारे हैं और बाकी 8 कैप्टन साहब की पार्टी के हैं. अगर इन 73 सीटों में से हम 50% सीट भी जीत लेते हैं तो सरकार हमारी बनेगी. उन्होंने कहा कि हम सभी सीटों पर सीरियस चुनाव लड़ेंगे. यह चुनाव चुनाव लड़ने का भी है और पार्टी को खड़ा करने का भी है क्योंकि बहुत ही सीटों पर हमारी पार्टी पहली बार चुनाव लड़ रही है तो हमको अपना काडर भी बनाना है.
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