
पहलगाम आतंकी हमला और उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद में विपक्ष ने सरकार को घेरने का पूरा प्लान बना रखा था. विपक्ष की रणनीति कमोवेश 5 सवालों के इर्दगिर्द घूम रही थी, लेकिन सरकार की पूरी तैयारी थी.लोकसभा में पहले दिन बहस के दौरान विपक्ष इन सवालों पर सरकार को घेर पाता, इसके पहले ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह,विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सिलसिलेवार ढंग से हर सवाल की धार को कुंद किया. विपक्ष की ओर से गौरव गोगोई, टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मोर्चा संभाला.
1. कितने प्लेन गिराए गए?
विपक्ष खासकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कई बार ये सवाल उठाया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को क्या नुकसान पहुंचा, भारत के कितने लड़ाकू विमान गिराए गए. हालांकि लोकसभा में बहस की शुरुआत के साथ ही राजनाथ सिंह ने इस सवाल को ही नकार दिया. रक्षा मंत्री ने कहा कि ये सवाल ही बेमानी है. विपक्ष ये क्यों नहीं पूछता कि भारतीय सेना ने कितने प्लेन मार गिराए. चीन से 1962 युद्ध से लेकर 1971 युद्ध के उदाहरण भी उन्होंने सामने रखे. रक्षा मंत्री ने कहा कि एग्जाम में रिजल्ट मायने रखता है, ये नहीं कि कितनी पेंसिल टूटी, कितनी देरी हुई...
2. पहलगाम के आतंकी कहां गए
पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद विपक्ष लगातार पूछ रहा था कि आखिर इन आतंकियों को क्यों नहीं पकड़ा जा सका. सरकार ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद सुरक्षाबल लगातार अभियान चला रहे थे. 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के 97 दिन बाद सोमवार को सेना ने बड़ा ऑपरेशन कर तीन आतंकियों को ढेर कर भी दिया. इसमें पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड हाशिम मूसा भी बताया जा रहा है. ऐसे में विपक्ष के लिए इस सवाल पर अब सरकार को आगे घेरना मुश्किल होगा.
3. ऑपरेशन सिंदूर क्यों रोका गया
विपक्ष की ओर से कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने सवाल उठाया कि सरकार कह रही है कि ऑपरेशन सिंदूर का मकसद आतंकी ढांचों को खत्म करना था, ऐसे आतंकी हमलों का माकूल जवाब देना था,लेकिन जब पाकिस्तान घुटने टेक चुका था तो हम पीछे क्यों हटे. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लिए प्रयास क्यों नहीं किया गया. रक्षा मंत्री और फिर विदेश मंत्री ने यह साफ किया कि आतंकवाद को लेकर भारत की नई जीरो टॉलरेंस पॉलिसी है. आतंकवाद के खिलाफ ये भारत की नई डॉक्ट्रिन है. 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक और फिर 2015 में पहलगाम हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर ने ये पैमाना तय कर दिया है कि किसी भी आतंकी घटना की पाकिस्तान को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.
4. क्या ट्रंप ने मध्यस्थता की
विपक्ष का दूसरा सबसे हथियार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का 25-26 बार यह कहना था कि उन्होंने व्यापार न करने की धमकी देकर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाया. इस पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कहा कि 22 अप्रैल को पीएम मोदी को ट्रंप ने फोन कर हमले को लेकर शोक जताया था और फिर दोनों नेताओं के बीच बात 17 जून को हुई. ऐसे में ट्रंप की मध्यस्थता का सवाल ही कहां उठता है. अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस की उस कॉल का भी जिक्र उन्होंने किया, जिसमें आगाह किया गया था कि 9 मई को पाकिस्तान बड़ा हमला करने वाला था, इस पर पीएम मोदी ने दो टूक कहा था कि करारा जवाब दिया जाएगा. गृह मंत्री अमित शाह ने भी विपक्ष को घेरते हुए कहा कि विपक्ष को संविधान की शपथ लेने वाले विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं है और बाहर के किसी बयान को वो बार-बार उछाल रहा है.
5. पहलगाम हमले पर भारत को कूटनीतिक समर्थन
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई और अन्य विपक्षी नेताओं ने ये सवाल उठाया कि भारत की विदेश नीति असफल रही है. पहलगाम हमले को लेकर भारत कूटनीतिक मोर्चे पर क्या कामयाबी मिली. इस पर विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र संघ के 193 देशों में से पाकिस्तान के अलावा केवल तीन सदस्यों ने ऑपरेशन सिंदूर का विरोध किया था. भारत किसी बाहरी दखल या परमाणु हमले की ब्लैकमेलिंग के आगे नहीं झुका. क्वॉड और ब्रिक्स सम्मेलन में पहलगाम हमले की निंदा की गई. अमेरिका ने हमले की जिम्मेदार लेने वाले लश्कर ए तैयबा के मुखौटा संगठन द रजिस्टेंस फोर्स को प्रतिबंधित आतंकी संगठन घोषित किया. पाकिस्तान भी इसे मानने को मजबूर हुआ.
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