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This Article is From Feb 01, 2016

अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली और केंद्र सरकार फिर भिड़ीं

अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली और केंद्र सरकार फिर भिड़ीं
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)।
नई दिल्ली: किसके क्या अधिकार हैं, इसे लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में भिड़ गईं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा और सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि आप जहां चाहें लड़ें लेकिन कोर्ट में सिर्फ कानून की बात होगी।

मौत के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया
मामला दिल्ली की नंदनगरी का है जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। उसकी पत्नी रबिया ने दिल्ली पुलिस को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था। रबिया ने दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर सीबीआई जांच और मुआवजा देने की मांग की। कोर्ट ने सीबीआई जांच के अलावा दो लोगों की मजिस्ट्रेट के सामने गवाही के लिए कहा। साथ ही उप राज्यपाल और दिल्ली सरकार को मुआवजे के लिए विचार करने को कहा।

दिल्ली पुलिस किसके मातहत?
दिल्ली पुलिस ने इसकी अपील हाईकोर्ट की डबल बेंच में की। इसी को लेकर दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि पुलिस दिल्ली सरकार के कानून विभाग से इजाजत के बिना अपील नहीं कर सकती और पुलिस के लिए केंद्र के वकील पैरवी नहीं कर सकते। लेकिन ASG मनिंदर सिंह ने कहा कि दिल्ली सरकार से इजाजत जरूरी नहीं है क्योंकि पुलिस दिल्ली सरकार के अंतर्गत नहीं आती। कानून के मुताबिक लैंड, ला एंड आर्डर और पुलिस केंद्र के अधीन हैं। और वैसे भी किसके क्या अधिकार हैं, इस पर हाईकोर्ट में मामला चल रहा है। यहां सवाल यह है कि क्या हाईकोर्ट मजिस्ट्रेट के सामने गवाहों के बयान के आदेश दे सकता है या नहीं ?

इस बहस पर रोक लगाते हुए जस्टिस जे एस खेहर ने कहा कि कोर्ट में सिर्फ कानूनी बात पर ही विचार होगा। केंद्र को दस्तावेज दिल्ली सरकार को देने के निर्देश के साथ सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी। इसके साथ ही जस्टिस खेहर ने सुनवाई से खुद से अलग कर लिया और कहा कि दूसरी बेंच इसकी सुनवाई करेगी।

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