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आज लोकसभा में बना अनूठा सीन, जानिए पीएम मोदी और राहुल साथ-साथ क्यों चले

बीजेपी सांसद ओम बिरला 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष चुन लिए गए हैं. लोकसभा में बुधवार को उनका चुनाव ध्वनिमत से हुआ. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी. बाद में नेता विपक्ष राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा अध्यक्ष के आसन तक ओम बिरला को लेकर गए.

आज लोकसभा में बना अनूठा सीन, जानिए पीएम मोदी और राहुल साथ-साथ क्यों चले
नई दिल्ली:

बीजेपी सांसद ओम बिरला 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष चुन लिए गए हैं. लोकसभा में बुधवार को उनका चुनाव ध्वनिमत से हुआ. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी. बाद में नेता विपक्ष राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा अध्यक्ष के आसन तक ओम बिरला को लेकर गए. यह एक संसदीय परंपरा है. लोकसभा अध्यक्ष को निष्पक्ष माना जाता है. उसे सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष के हितों का भी ध्यान रखना पड़ता है. इसी वजह से नेता सदन और नेता विपक्ष उन्हें आसन तक लेकर जाते हैं और उन्हें बधाई देते हैं.

इस बार लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव में सर्वसम्मति बनाने की कोशिश की, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली. विपक्ष ने लोकसभा उपाध्यक्ष का पद मांग लिया. लेकिन सरकार ने इसको लेकर कोई आश्वासन नहीं दिया. इसके बाद विपक्ष ने अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया. लेकिन आज सदन में मतदान की नौबत नहीं आई, लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव ध्वनिमत से ही हो गया. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाते नेता विपक्ष राहुल गांधी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाते नेता विपक्ष राहुल गांधी.

कब कब हुआ लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव

आजाद भारत में लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए केवल तीन बार 1952, 1967 और 1976 में ही चुनाव हुए हैं. साल 1952 में कांग्रेस सदस्य जी वी मावलंकर को लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुना गया था. मावलंकर को प्रतिद्वंद्वी शांताराम मोरे के खिलाफ 394 वोट मिले, जबकि मोरे सिर्फ 55 वोट हासिल करने में सफल रहे. साल 1967 में टी विश्वनाथम ने कांग्रेस उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव लड़ा.रेड्डी को विश्वनाथम के 207 के मुकाबले 278 वोट मिले और वह अध्यक्ष चुने गए.

इसके बाद पांचवीं लोकसभा में 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से  आपातकाल लगाए जाने के बाद पांचवें सत्र की अवधि एक साल के लिए बढ़ा दी गई थी.तत्कालीन अध्यक्ष जीएस ढिल्लों ने एक दिसंबर, 1975 को इस्तीफा दे दिया था.कांग्रेस नेता बलिराम भगत को पांच जनवरी, 1976 को लोकसभा अध्यक्ष चुना गया था.इंदिरा गांधी ने भगत को लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुनने के लिए प्रस्ताव पेश किया था, जबकि कांग्रेस (ओ) के प्रसन्नभाई मेहता ने जनसंघ नेता जगन्नाथराव जोशी को चुनने के लिए प्रस्ताव पेश किया था.भगत को जोशी के 58 के मुकाबले 344 वोट मिले. 

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