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मुंगेर लोकसभा सीट : लालू के रचे गए जातीय चक्रव्यूह में ललन सिंह को नीतीश के विकास और मोदी लहर का सहारा

Lok Sabha Elections 2024: पटना से सटे हुए मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में जनता दल यूनाइडेट के बड़े चेहरे और मौजूदा सांसद ललन सिंह का मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल की अनीता देवी से है, जो कि बाहुबली अशोक महतो की पत्नी हैं.

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मुंगेर लोकसभा सीट : लालू के रचे गए जातीय चक्रव्यूह में ललन सिंह को नीतीश के विकास और मोदी लहर का सहारा
मुंगेर में जेडीयू के सांसद ललन सिंह के सामने आरजेडी के जातीय चक्रव्यूह से पार पाने की चुनौती है.
मुंगेर:

Lok Sabha Elections: बिहार (Bihar) में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के चाणक्य और चुनावी खेल के माहिर खिलाड़ी ललन सिंह (Lalan Singh) मुंगेर (Munger) लोकसभा सीट से दूसरी बार मैदान में हैं. उन्होंने अपने प्रभाव का उपयोग करके विकास की कई योजनाएं जमीन पर उतारीं और अब ऊपर से उनको मोदी लहर का सहारा है. हालांकि वे इस बार लालू यादव (Lalu Yadav) की जातीय चुनावी चौसर से थोड़े परेशान भी हैं. उन्हें उम्मीद है कि विकास और मोदी लहर के आगे यह जातीय गणित टिक नहीं पाएगा. 

पटना से सटे हुए मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में जनता दल यूनाइडेट के बड़े चेहरे ललन सिंह मौजूदा सांसद हैं. मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में करीब 20 लाख मतदाता हैं. यहां लगभग 35,000 ऐसे युवा मतदाताओं की संख्या बढ़ी है, जो पहली बार मतदान करेंगे. छह विधानसभा सीटों वाली यह लोकसभा सीट कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है. राजधानी पटना से सटे होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है.

सुबह आठ बजते ही मुंगेर के सांसद ललन सिंह का काफिला सड़कों पर निकल पड़ता है. एक गांव के बाद दूसरा गांव, एक सभा के बाद अगली सभा... पिछले एक महीने से यह सिलसिला लगातार चल रहा है. जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और नीतीश कुमार के बेहद करीबी मित्र ललन सिंह दूसरी बार मुंगेर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं.

जेडीयू ने मुंगेर में झोंकी ताकत

ललन सिंह सफलता को लेकर आश्वस्त दिखते हैं, लेकिन चुनाव और जंग में आप तब तक निश्चित नहीं हो सकते जब तक लड़ाई पूरी न हो जाए, इसीलिए यहां पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. पार्टी के अन्य बड़े नेता भी यहां लोगों को रिझाने में लगे हैं. लोगों को यह समझाने की कोशिश हो रही है कि कैसे नीतीश कुमार और मोदी की जोड़ी उनकी किस्मत बदल देगी. जातीय गठजोड़ को तोड़कर चुनाव को विकास के मुद्दे पर लाने का भी प्रयास किया जा रहा है. 

जेडीयू के वरिष्ठ नेता अंजनी कुमार ने कहा कि, “यहां सभी काम हमारे उम्मीदवार ने किया है, सब कुछ… चाहे रोड होल या बिजली... यहां जाति नहीं चलेगी.“  

राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को नीतीश कुमार का चाणक्य कहा जाता है. वे जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सूत्रधार भी रहे हैं. अब जब ललन सिंह मैदान में उतरे है तो वे एक जातीय चक्रव्यूह में फंस गए हैं. यह चक्रव्यूह लालू यादव ने अनीता देवी को मैदान में उतारकर उनके लिए बिछाया है. अनीता देवी बाहुबली अशोक महतो की पत्नी हैं.

सन 2019 में ललन सिंह ने साढ़े पांच लाख वोट हासिल किए थे और करीब डेढ़ लाख से ज़्यादा मतों से जीत हासिल की थी. उन्होंने दूसरे बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को पराजित किया था. 

मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में दलित मतदाता सबसे अधिक 

मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के जातीय गणित को देखें तो यहां सबसे बड़ा तबका दलितों का है, जो कुल 15 लाख की आबादी में करीब तीन लाख हैं. इसके बाद नंबर आता है पिछड़े वर्ग की जातियों (OBC) का,जो लगभग दो लाख हैं. अगड़ी जातियों के लोग लगभग दो लाख के आसपास हैं और राजपूत डेढ़ लाख हैं.

लालू यादव के पीछे पूरे दम खम के साथ यादव और मुसलमान वोटर खड़ा हैं, जिनकी संख्या भी तीन लाख के आसपास है. इन आंकड़ों को समझना जरूरी इसलिए है क्योंकि यही बिहार में चुनाव के नतीजे तय करते हैं.  

प्रचार में दिन-रात एक कर रहीं अनीता देवी 

ललन सिंह को टक्कर दे रहीं अनीता देवी ने भी दिन-रात एक कर दिए हैं. वे हमें रात के नौ बजे एक सुदूर गांव में ईंट भट्ठे पर अपने कुनबे के साथ रात का भोजन करते हुए मिलीं. उनका यह भ्रमण कार्यक्रम रात 12 बजे तक चलता है और फिर सुबह आठ बजे से यही सिलसिला शुरू हो जाता है. हालांकि अनीता देवी राजनीति में बिलकुल नई हैं, पर उनके पति का इस क्षेत्र में काफ़ी नाम है. वे बाहुबली हैं, आपराधिक छवि है... उन्होंने 17  साल सलाखों के पीछे बिताए हैं और जब बाहर आए तो तुरंत शादी करके अपनी पत्नी को मैदान में उतार दिया. ये वही अशोक महतो हैं जिन पर OTT Netflix पर 'खाकी-द बिहार चैप्टर' सीरीज बनी. हालांकि उनका कुनबा मानता है कि वे अपराधी कम, राबिनहुड ज्यादा हैं.

अनीता देवी ने कहा कि,  “यहां कोई काम नहीं हुआ है, किसी का कोई काम... जो गरीब हैं, वे और भी गरीब होते चले गए... लोगों को हम पर भरोसा है.” 

एक ओर जहां ललन सिंह बिहार की रजनीति का बड़ा नाम है वहीं अनीता देवी को आरजेडी ने टिकट देकर जाति साधने की कोशिश की है. जहां ललन सिंह मानते हैं कि लोग नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के किए गए विकास कार्यों को देखेंगे और किसी भी जातीय समीकरण के झांसे में नहीं आएंगे, वहीं अनीता देवी को उमीद है कि लालू यादव का कुनबा और साथ ही उनकी अपनी जाति का समर्थन उनका बेड़ा पार करेगा.
“जातियों के चक्कर में लालू जी ने बिहार को डुबा दिया“

ललन सिंह ने कहा, “हम लोग विकास पर चुनाव लड़ रहे हैं. जाति की बात हम नहीं जानते. जो जाति पर चुनाव लड़ रहे, उनके पास कोई मुद्दा नहीं है. जातियों के चक्कर में लालू जी ने बिहार को डुबा दिया. “

ललन सिंह अपने किए गए विकास कार्यों, नीतीश कुमार के आशीर्वाद और मोदी लहर पर भी उम्मीदें टिकाए हुए हैं. उनका विश्वास है कि नीतीश कुमार का जादू जाति के बंधनों को तोड़ देगा. नीतीश कुमार कभी इसी क्षेत्र के सांसद हुआ करते थे, इसलिए इस इलाके में उनकी खुद की खासी पकड़ है. चाहे वह सड़कों का जाल हो या जातिगत जनगणना की बात हो, आयुष्मान कार्ड, उज्ज्वला गैस कनेक्शन, हर घर नल का जल हो, या फिर वृद्ध पेंशन की बात, ललन सिंह अपनी सभी सभाओं में इन बातों का जिक्र करना नहीं भूलते हैं. 

हर चुनावी लड़ाई की तरह यह जंग भी कठिन है लेकिन ललन सिंह इस तरह की जंग के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. कहा जाता है कि शाम, दाम, दंड भेद, इन सब में इनका कोई सानी नहीं है. वे चुनाव के खेल के पुराने महारथी हैं. वहीं अनीता देवी अपने पति के बाहुबल और आरजेडी व कांग्रेस के संख्या बल से अपनी नैया पार लगाने की कोशिश करेंगी.

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