
- उपराष्ट्रपति पद के लिए NDA ने सीपी राधाकृष्णन और इंडिया ब्लॉक ने जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया.
- दोनों उम्मीदवार दक्षिण भारत से हैं, सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु से और जस्टिस रेड्डी आंध्र प्रदेश से आते हैं.
- (राधाकृष्णन के पास 4 दशक का राजनीतिक अनुभव है, जबकि जस्टिस रेड्डी का करियर मुख्यतः न्यायिक क्षेत्र में रहा है.
उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के बाद इंडिया गठबंधन ने भी उम्मीदवार घोषित कर दिया है. विपक्ष ने एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के सामने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रहे बी सुदर्शन रेड्डी को खड़ा किया है. दोनों ही उम्मीदवारों के मजबूत प्रोफाइल ने उपराष्ट्रपति चुनाव का मुकाबला दिलचस्प बना दिया है. सीपी राधाकृष्णन और जस्टिस रेड्डी में कुछ समानताएं भी हैं तो कुछ मसलों में दोनों एक-दूसरे के बिल्कुल विपरीत हैं.
पक्ष और विपक्ष दोनों ने ही अपने-अपने अनुसार मजबूत कैंडिडेट उतारे हैं और जीत की उम्मीद में हैं. चुनाव में अभी थोड़ी देर है. आइए कुछ प्रमुख कसौटियों पर दोनों उम्मीदवारों की उम्मीदवारों को देखने-समझने की कोशिश करते हैं.
साउथ VS साउथ
भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन का चुनाव दक्षिण भारत से किया है. राधाकृष्णन तमिलनाडु के तिरुपुर से आते हैं. वे ओबीसी समुदाय से हैं. तमिलनाडु में अगले साल चुनाव भी होने वाले हैं, इस लिहाज से भी 'तमिलनाडु के मोदी' कहे जाने वाले राधाकृष्णन का चयन महत्वपूर्ण है.
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया ब्लॉक ने भी दक्षिण बनाम दक्षिण की लड़ाई रखी है. इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार जस्टिस रेड्डी भी दक्षिण भारत से हैं. वो आंध्र प्रदेश में सामान्य जाति से आते हैं.

पॉलिटिकल VS नॉन पॉलिटिकल
सीपी राधाकृष्णन राजनीति में चार दशक से ज्यादा का अनुभव रखते हैं. संघ (RSS) से उनका गहरा नाता रहा है. महज 16 वर्ष की आयु में ही वो संघ से जुड़े और बाद में जनसंघ में शामिल हुए. पार्टी संगठन में भी वो अहम भूमिकाओं में रहे. बीजेपी के टिकट पर कोयंबटूर से दो बार सांसद रहे हैं. झारखंड, तेलंगाना और पुडुचेरी के राज्यपाल के रूप में सेवा देने वाले राधाकृष्णन फिलहाल महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं.
जस्टिस रेड्डी का राजनीति से अबतक कोई लेना-देना नहीं रहा है. उनका पूरा करियर वकालत करते और जज की कुर्सी पर बीता है. 1971 में आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत होने के बाद उन्होंने वकालत की. आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में जज रहे, फिर गुवाहाई हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बनाए गए आर फिर सुप्रीम कोर्ट के जज बनकर 2011 में रिटायर हुए.


गेमप्लान VS गेमप्लान
सीपी राधाकृष्णन के रूप में एनडीए ने अपनी विचारधारा और राजनीतिक मूल्य वाले व्यक्ति का चयन किया. राधाकृष्णन, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से कई मायनों में अलग हैं. वो न केवल पार्टी लाइन के व्यक्ति हैं, बल्कि संघ और बीजेपी के अनुशासन से पूरी तरह वाकिफ हैं. साथ ही संघ और बीजेपी दोनों के सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों में भी रचे-बसे व्यक्ति हैं. चुनावी राज्य तमिलनाडु से और ओबीसी समुदाय से उम्मीदवार चुनना, भाजपा और एनडीए की स्ट्रेटजी दिखाता है.
वहीं दूसरी ओर, विपक्ष की रणनीति थी कि गैर-राजनीतिक और उच्च साख वाले चेहरे को मैदान में उतारा जाए. जस्टिस रेड्डी के रूप में विपक्ष ने उम्मीदवार का चयन करते समय टीएमसी, डीएमके जैसे सहयोगी दलों का ध्यान रखा. DMK दक्षिण भारत से उम्मीदवार चाहता था, जबकि TMC की मांग गैर-राजनीतिक चेहरे की थी. जस्टिस रेड्डी दोनों ही शर्तें पूरी करते हैं. सूत्रों के मुताबिक, यह केवल इंडिया ब्लॉक नहीं बल्कि पूरा विपक्षी उम्मीदवार होगा. AAP ने भी इस नाम पर समर्थन जताया है.



ये भी पढ़ें: बी सुदर्शन रेड्डी: किसान परिवार में जन्म, अधिवक्ता से सुप्रीम कोर्ट के जज तक का सफर, जानें 10 फैक्ट्स
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं