Maharashtra elections 2024: महाराष्ट्र में 1995 के बाद से किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है. यह साफ है कि तब से राज्य में गठबंधन की सरकार का दौर आ गया है और वह आज भी जारी है. आज भी राज्य में ऐसे ही हालात है कि कोई भी एक भी दल अपने दम पर सरकार बनाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहा है. गठबंधन की राजनीति में राज्य में दो गठबंधन सत्ता की बागडोर हाथ में लेने के लिए चुनावी मैदान में हैं. इनमें महायुति में बीजेपी 149 सीटों पर, शिवसेना 81 और एनसीपी 59 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं. कुल हिसाब बना 289 सीट हैं. गठबंधन ने 4 सीटें अपने अन्य सहयोगियों को दिया है. इनमें आरपीआई आठवले, युवा स्वाभिमान पार्टी, राष्ट्रीय समाज पक्ष और जनसुराज्य पक्ष शामिल है. इन सभी दलों को एक एक सीटें मिली हैं. यहां पर एनसीपी नेता नवाब मलिक मानखुर्द शिवाजीनगर सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट शिवसेना का प्रत्याशी भी है. यानी यहां फ्रेंडली फाइट है. महायुति से गौर करने की बात यह है कि ज्यादातर मुस्लिम बहुल सीटों पर एनसीपी लड़ाई लड़ रही है. एनसीपी ने नवाब मलिक की बेटी सना मलिक को भी टिकट दिया है. वहीं, महाविकास आघाड़ी (एमवीए) में कांग्रेस 101, शिवसेना यूबीटी 95 और एनसीपी शरद पवार 86 सीटों पर चुनावी मैदान में हैं.
अजित पवार ने कर दिया विरोध
महाराष्ट्र और झारखंड का चुनाव इस बार पहला ऐसा चुनाव है जिस चुनाव में बीजेपी और उसके फायरब्रैंड ने खुलकर हिंदुत्व का कार्ड खेल रही हैं. इसकी शुरुआत योगी आदित्यनाथ की और फिर उनके दिए नारे के अलग-अलग रूप बनते गए. सवाल यह उठ रहा है कि बीजेपी के सहयोगी दल एनसीपी को इससे काफी दिक्कत हो रही है. एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने इस बारे में अपनी बात सार्वजनिक कर दी है. पार्टी राज्य में 59 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
शरद पवार बनाम अजित पवार
राज्य में पीएम नरेंद्र मोदी ले लेकर बीजेपी तमाम बड़े नेता चुनाव प्रचार में ताकत झोंक रहे हैं. ऐसे में माना तो यह जा रहा था कि बीजेपी के सभी स्टार प्रचारकों को सहयोगी दलों की सीटों पर भी इस्तेमाल किया जाएगा. लेकिन अब बीजेपी के हिंदुत्व वाले कार्ड को अजित पवार ने रोकने का मन बना लिया है. अजित पवार ने साफ कर दिया है कि जहां जहां महायुति की ओर से उनकी पार्टी चुनाव लड़ रही है वहां पर उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की जरूरत नहीं है. उन्होंने साफ कर दिया है कि वे इस प्रकार के हिंदुत्व वाले विचारों के समर्थक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वे सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास पर चलते हैं. दूसरा एक अहम मुद्दा राज्य में सीएम पद को लेकर भी है. अजित पवार साफ बोल चुके हैं कि वे भी सीएम पद पर पहुंचना चाहते हैं. लेकिन उन्होंने साफ कर दिया था कि यह नंबर पर निर्भर करता है.
चुनाव बाद क्या पलटी मार लेंगे अजित पवार
अजित पवार की इन बातों से जहां चुनाव बाद के बदलते समीकरण की ओर इशारा किया है वहीं यह भी कहा जा सकता है कि कहीं ये महायुति का सोचा समजा एजेंडा तो नहीं है. अजित पवार जिन सीटों पर पर चुनाव लड़ रहे हैं उनमें से ज्यादा पश्चिमी महाराष्ट्र में आती हैं. इस क्षेत्र में एनसीपी शरद पवार की पार्टी को टिकट ज्यादा मिला है और यहां पर चाचा भतीजे की पार्टी के बीच लड़ाई सीधी देखने को मिलेगी. यह अलग बात है कि लोकसभा के चुनाव में शरद पवार ने साफ कर दिया था कि वे ही एनसीपी और पार्टी वोटरों के लीडर हैं. उनका स्ट्राइक रेट करीब 80 फीसदी रहा था जबकि अजित पवार को 25 फीसदी की स्ट्राइक से सक्सेस मिली थी. यही कारण था कि इस लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार से राज्य में महायुति की सीटें कम हुई उससे बीजेपी ने भी सबक सीखा और चुनाव में हिंदुत्व का मुद्दा अहम बना दिया. बीजेपी कुछ सीटें के उदाहरण देकर भी समझाती भी है कि कैसे वोट बंटने से सीटें हार गए.
अजित के पास क्या विकल्प
उधर, कुछ जानकारों का मानना है कि चुनाव बाद परिणामों पर नजर के बाद अजित पवार आगे की रणनीति पर काम कर सकते हैं. यह अलग बात है कि इस बार उनके चाचा शरद पवार किसी भी हालत में उनकी वापसी को मंजूर करने के मूड में दिख नहीं रहे हैं. ऐसे में अजित पवार यदि चाहें भी तो उनके पास चुनाव के बाद महायुति से बाहर निकलकर अपना अस्तित्व तलाशने का विकल्प कम ही दिख रहा है. लेकिन परिणाम उन्हें नई सरकार के गठन के समय कितनी ताकत देतें हैं यह देखना होगा.
लोकसभा चुनाव बाद महायुति का दांव लाएगा रंग?
अब लोकसभा चुनाव को ज्यादा समय नहीं हुआ है ऐसे में इतने कम समय में अजित पवार के लिए ज्यादा कुछ बदलने की उम्मीद नहीं दिखती. यहीं, एमवीए के हौसले बुलंद है. लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी और महाराष्ट्र की सरकार ने कई ऐसे कदम उठाए हैं जिससे पार्टी ने माहौल बदलने का प्रयास किया है. सरकार ने जो स्कीम लॉन्च की हैं उससे वोटरों पर कुछ असर होने की उम्मीद विपक्ष को भी लग रही है. शरद पवार ने इस बारे में कहा है कि सरकार की योजनाओं का असर चुनाव में देखने को मिल सकता है.
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