अग्निपथ योजना को लेकर आशंकाएं हैं तो कुछ फायदे और चुनौतियां भी : लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा) डीएस हुड्डा

लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने कहा, "हर स्कीम की कुछ एडवांटेज होते हैं. सरकार ने भी बताए हैं. पेंशन और सेलरी कम होंगे तो मॉर्डेनाइजेशन हो सकती है, जो अभी इंडियन आर्मी में नहीं होती है."

नई दिल्‍ली :

सेना भर्ती की अग्निपथ योजना को लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्‍त) डीएस हुड्डा ने ऐसी नई योजना बताया है जिसमें पुरानी भर्ती के तरीके में बड़ा बदलाव लाया गया है. NDTV से बातचीत में लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने कहा, "जाहिर सी बात है कि शुरुआत में इस योजना को लेकर कई तरह की आशंकाएं होंगी. चूंकि यह योजना चार साल के लिए ही है, इसलिए ऐसी आशंकाओं का होना लाजमी है. इसी को लेकर प्रोटेस्‍ट हो रहे हैं." उन्‍होंने कहा कि शुरू में इस तरह की आशंकाएं होंगी कि योजना कैसे चलेगी, पहले लोग परमानेंट जॉब के लिए आते थे. अब चार साल के बाद क्या होगा, ये भी लोग सोच रहे हैं. जो भर्ती होंगे, उनमें से 25 प्रतिशत परमानेंट होंगे और बाकी सिविल नौकरी के लिए निकल जाएंगे.'' 

लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने कहा, "हर स्कीम की कुछ एडवांटेज होते हैं. सरकार ने भी बताए हैं. पेंशन और सेलरी कम होंगे तो मॉर्डेनाइजेशन हो सकती है, जो अभी इंडियन आर्मी में नहीं होती है. कुछ चेलैंजेस हैं, कि जो ट्रेनिंग पीरियड है 6 महीने का, उसमें आप सोलजर्स को ट्रेन कर सकते हैं. क्या 4 साल वालों का मोटिवेशन उस लेवल का होगा और इन चैलेंज को किस तरह से ओवरकम किया जाए, यहआर्मी के सामने एक बड़ा मुद्दा है. इस स्कीम की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि किस तरह से इस चैलेंजेस को ओवरकम किया जाए." उन्‍होंने कहा, "हर एक स्कीम इंप्लीमेंट होने में डाउट तो होंगे ही. मेरा एक सजेशन है कि इंप्लीमेंटेशन के जो आर्डर आ गए हैं, हमें ये देखना है कि कैसे इसे संभव किया जा सके कि हमारी आर्मी कमज़ोर न पड़े. मेरा सुझाव है कि इसे एक साल टेस्ट किया जाए, उसके बाद इसका रिव्यू होना चाहिए. अभी यह बोलना कि योजना अच्छी या बुरी होगी, ठीक नहीं हैं. क्‍या होगा, किसी को मालूम नहीं है, फिर बदलाव के बारे में सोचा जाए." उन्‍होंने कहा कि योजना के पीछे मकसद है कि जवान लोग आर्मी में आए. सैलरी में जो पैसा बचेगा उससे आर्मी की तकनीक में काम होगा. ओवरऑल क्या फर्क पड़ेगा, इन अग्निवीरों के आने पर पता चलेगा.  ये ग्रेजुअल अडोप्शन हैं. वो सोच रहे हैं कि 4 साल बाद सरकार नौकरी देगी, ये होगा या नहीं होगा. सोसाइटी की मिलिट्राइजेशन नहीं होगा. जरूरी है कि इन लोगों को कैसे अवजोर्ब किया जाए 4 साल में ये वैल्यूज सीखेगें, फिर देखेंगे कि कैसे इनका सोसाइटी में फायदा उठाया जाए. हथियार का गलत इस्‍तेमाल करने की बात का भी पता चलेगा. जब ये लोग वापस जाएंगे तो किस तरह से सरकार और प्राइवेट सेक्टर इसे आगे बढ़ाएंगे ये देखने वाली बात होगी." 

उन्‍होंने कहा कि इनको नौकरी के आगे मौका मिलेगा, ये देखने पर पता चलेगा. ये पैरा मिलेट्री  पुलिस में आसानी से अडजसिट हो सकते हैं. आर्मी काफी समय से मांग कर रही है कि ऐसे लोगों को इन कामों में अडजस्ट किया जाए. प्राइवेट सेक्‍टर किस तरह से इनको देखता है, जो इसकी 4 साल की नौकरी है वो कैसे काम करती है? वैसे मिलकर काम करे तो स्कीम पूरी हो सकती है. लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने एक अन्‍य सवाल पर कहा किचीफ ऑफ डिफेंस स्‍टॉफ (सीडीएस) के पद में देरी होनी नहीं चाहिए थी. ये प्रोसेस शुरू नहीं हुआ है 6 महीने हो गए है. ये पद बहुत ज़िम्मेदारी है, सरकार को जल्दी अप्वाइंट कर देना था. उन्‍होंने कहा कि ऑल इंडिया भर्ती पहले से ही है. ऐसा नहीं है कि किसी स्टेट का आदमी आर्मी ज्वाइन नहीं कर सकता लेकिन रेजीमेंट का खास कंपोजिशन है. लेकिन 75 प्रतिशत आर्मी ऑल इंडिया है. हम चाहते हैं कि पूरे देश से लोग आए. कई जगह से लोग नहीं आते, हमारा प्रयास है कि सब लोग आए. हर प्रांत से लोग आए और आर्मी से जुड़ें. 

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