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पद से चिपके रहने की मंशा... जेल से सरकार न चलाने के बिल पर अमित शाह ने विपक्ष को घेरा

एएनआई को दिए इंटरव्यू में शाह ने कहा, "विपक्ष चाहता है कि अगर वे जेल जाएं, तो वहीं से सरकार चलाएं. जेल सीएम हाउस या पीएम हाउस बने, अफसर जेल से आदेश लें. यह लोकतंत्र की गरिमा के खिलाफ है. हम इस सोच को पूरी तरह खारिज करते हैं."

पद से चिपके रहने की मंशा... जेल से सरकार न चलाने के बिल पर अमित शाह ने विपक्ष को घेरा
  • गृह मंत्री अमित शाह का एक महत्वपूर्ण इंटरव्यू एएनआई पर सुबह दस बजे प्रसारित होगा
  • अमित शाह इस इंटरव्यू में 130वें संविधान संशोधन विधेयक के बारे में सरकार का दृष्टिकोण साझा कर सकते हैं
  • उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद उत्पन्न विवाद पर भी अमित शाह अपने विचार रख सकते हैं
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नई दिल्ली:

गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को मौजूदा समय के सबसे अहम राजनीतिक और संवैधानिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी. एएनआई को दिए गए इस विशेष इंटरव्यू में शाह ने 130वें संविधान संशोधन विधेयक, उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से उपजे विवाद और आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव जैसे बड़े मुद्दों पर सरकार का पक्ष स्पष्ट किया. 

गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष द्वारा 130वें संविधान संशोधन विधेयक के  विरोध पर करारा हमला बोला और साफ कहा कि वह और बीजेपी पूरी तरह खारिज करते हैं कि देश किसी ऐसे व्यक्ति के बिना नहीं चल सकता जो जेल में हो. उन्होंने सवाल किया, "क्या कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई नेता जेल से देश चला सकता है?"

अमित शाह ने संसद के हालिया मानसून सत्र में यह बिल पेश किया था. इसमें प्रावधान है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री अगर किसी गंभीर अपराध में 5 साल से अधिक की सजा वाले मामले में गिरफ्तार होते हैं और 30 दिन से ज्यादा जेल में रहते हैं, तो उन्हें पद छोड़ना होगा. विपक्ष ने इसे असंवैधानिक बताते हुए कहा कि सरकार इस कानून का इस्तेमाल गैर-बीजेपी राज्यों को अस्थिर करने के लिए कर सकती है.

यह लोकतंत्र की गरिमा के खिलाफ है: अमित शाह

एएनआई को दिए इंटरव्यू में शाह ने कहा, "विपक्ष चाहता है कि अगर वे जेल जाएं, तो वहीं से सरकार चलाएं. जेल सीएम हाउस या पीएम हाउस बने, अफसर जेल से आदेश लें. यह लोकतंत्र की गरिमा के खिलाफ है. हम इस सोच को पूरी तरह खारिज करते हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि 130वें संशोधन में 30 दिन के भीतर जमानत नहीं मिलने पर नेता को पद छोड़ना अनिवार्य होगा, और प्रधानमंत्री ने खुद अपने पद को भी इसके दायरे में लाने पर जोर दिया. 

संविधान संशोधन पेश करने से रोकना लोकतांत्रिक नहीं है: अमित शाह

शाह ने कहा, "संविधान संशोधन पेश करने से रोकना लोकतांत्रिक नहीं है.  चर्चा और वोटिंग लोकतंत्र का हिस्सा हैं, लेकिन संसद को शोर-शराबे का अखाड़ा बनाना गलत है. उन्होंने कांग्रेस पर दोहरे मानदंड का आरोप लगाया. "मनमोहन सरकार के समय कांग्रेस ने दोषी सांसदों को बचाने के लिए अध्यादेश लाया था, जिसे राहुल गांधी ने सार्वजनिक रूप से फाड़ दिया था. अब वही राहुल, दोषी लालू यादव के साथ सरकार बना रहे हैं. अब लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य मिलकर एक संयुक्त समिति में इस विधेयक की समीक्षा करेंगे. 

उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर क्या बोले गृह मंत्री अमित शाह?

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन के नाम का समर्थन करते हुए कहा कि यह बिल्कुल स्वाभाविक है कि राष्ट्रपति पूर्व से, प्रधानमंत्री उत्तर और पश्चिम से हैं, तो उपराष्ट्रपति दक्षिण भारत से हो. साथ ही उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन का चयन 2026 के तमिलनाडु चुनावों से जोड़ना गलत है. 

शाह ने कहा कि राधाकृष्णन का राजनीतिक जीवन लंबा और बेदाग रहा है. वे दो बार सांसद रहे, भाजपा तमिलनाडु के अध्यक्ष रहे और झारखंड, तेलंगाना, पुडुचेरी व महाराष्ट्र के राज्यपाल रह चुके हैं. उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस से जुड़ाव कोई नकारात्मक पहलू नहीं है.“अटल बिहारी वाजपेयी और आडवाणी भी संघ से जुड़े थे. प्रधानमंत्री मोदी और मैं भी जुड़े हैं. इसे कमी मानना गलत है. 

धनखड़ ने क्यों दिया इस्तीफा अमित शाह ने बताया? 

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर उठ रहे सवालों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को साफ किया कि धनखड़ साहब ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया है और विपक्ष के "हाउस अरेस्ट" वाले आरोप पूरी तरह गलत हैं. एएनआई को दिए इंटरव्यू में शाह ने कहा, “धनखड़ साहब का इस्तीफा पत्र खुद स्पष्ट है. उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है और प्रधानमंत्री समेत सभी के प्रति आभार जताया है. विपक्ष के बयान ही सच का आधार नहीं हो सकते. इस पर बेवजह हंगामा नहीं होना चाहिए. 

शाह के बयान से पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश और राहुल गांधी ने इस्तीफे पर सवाल उठाए थे.  राहुल गांधी ने तो इसे "मध्यकालीन सोच" बताते हुए आरोप लगाया कि सरकार किसी भी चुने हुए प्रतिनिधि को मनमर्जी से हटा रही है. 

राहुल जी ने अध्यादेश क्यों फाड़ दिया था? 

शाह ने इंटरव्यू में 2013 की घटना का जिक्र किया, जब राहुल गांधी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा लाए गए उस अध्यादेश को 'फाड़' दिया था, जिसमें लालू प्रसाद यादव को राहत दी जा रही थी. शाह ने इसकी तुलना संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 से करते हुए कहा कि जब कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कैबिनेट मंत्री 30 दिनों से अधिक जेल में रहते हैं, तो उन्हें पद से हटाने का विरोध क्यों हो रहा है? 

राहुल जी ने मनमोहन सिंह जी द्वारा लाए गए उस अध्यादेश को क्यों फाड़ दिया था, जो लालू जी को बचाने के लिए था? अगर उस दिन नैतिकता थी, तो अब क्या हो गया? सिर्फ इसलिए कि आप लगातार तीन चुनाव हार गए हैं? नैतिकता के मानक चुनाव में जीत या हार से जुड़े नहीं होते. उन्हें सूरज और चंद्रमा की तरह स्थिर रहना चाहिए.

- अमित शाह

बी. सुदर्शन रेड्डी पर अमित शाह ने क्यों साधा निशाना? 

उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इंडिया गठबंधन पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी की 2011 की सलवा जुडूम संबंधी टिप्पणी ही वजह रही कि नक्सलवाद, जो खत्म होने की कगार पर था, दो दशक और जिंदा रहा. शाह ने सवाल उठाया कि राहुल गांधी बताएं कि आखिर विपक्ष ने ऐसे उम्मीदवार को क्यों चुना, जिसकी टिप्पणी ने नक्सलियों को बचाया. 

साल 2011 में जस्टिस रेड्डी और जस्टिस एसएस निज्जर ने छत्तीसगढ़ में सलवा जुडूम को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए भंग कर दिया था. उस समय राज्य में रमन सिंह के नेतृत्व में बीजेपी सरकार थी. शाह ने कहा कि सलवा जुडूम आदिवासियों की आत्मरक्षा, शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं के लिए बना था, लेकिन इस आदेश से सुरक्षा बलों को हटाना पड़ा, जिस कारण कई जगह हमले हुए और नक्सली फिर से सक्रिय हो गए. 

अमित शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के रिकॉर्ड में है सलवा जुडूम खत्म कर आदिवासियों का आत्मरक्षा का अधिकार छीना गया। नक्सलवाद खत्म होने की कगार पर था, लेकिन इस फैसले से वह दो दशक और जिंदा रहा. 

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