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'...तब तो फाड़ दिया था लालू को राहत देने वाला अध्‍यादेश!' राहुल गांधी पर अमित शाह का बड़ा वार

Amit Shah Interview: अमित शाह ने कहा, 'मैं देश के लोगों और विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि क्या कोई मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या मंत्री जेल से अपनी सरकार चला सकता है? क्या यह देश के लोकतंत्र के लिए उचित है?'

'...तब तो फाड़ दिया था लालू को राहत देने वाला अध्‍यादेश!' राहुल गांधी पर अमित शाह का बड़ा वार
  • केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी की नैतिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब उनकी नैतिकता कहां गई?
  • शाह ने 2013 के अध्यादेश का जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी ने लालू यादव को राहत देने वाले अध्यादेश को फाड़ा था.
  • शाह ने जेल से सरकार चलाने की व्यवस्था पर सवाल उठाया, कहा- यदि कोई फर्जी मामला है तो कोर्ट जमानत दे सकती है.
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नई दिल्‍ली:

Amit Shah Interview: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को अपने बेबाक इंटरव्‍यू के दौरान कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की नैतिकता पर सवाल उठाया. उन्होंने पूछा कि क्या लगातार तीन चुनाव हारने के बाद उनका नैतिक रुख बदल गया है? शाह ने एक इंटरव्यू में 2013 की घटना का जिक्र किया, जब राहुल गांधी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा लाए गए उस अध्यादेश को 'फाड़' दिया था, जिसमें लालू प्रसाद यादव को राहत दी जा रही थी. 

शाह ने इसकी तुलना संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 से करते हुए कहा कि जब कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कैबिनेट मंत्री 30 दिनों से अधिक जेल में रहते हैं, तो उन्हें पद से हटाने का विरोध क्यों हो रहा है?

राहुल जी ने मनमोहन सिंह जी द्वारा लाए गए उस अध्यादेश को क्यों फाड़ दिया था, जो लालू जी को बचाने के लिए था? अगर उस दिन नैतिकता थी, तो अब क्या हो गया? सिर्फ इसलिए कि आप लगातार तीन चुनाव हार गए हैं? नैतिकता के मानक चुनाव में जीत या हार से जुड़े नहीं होते. उन्हें सूरज और चंद्रमा की तरह स्थिर रहना चाहिए.

अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री

बताया जाता है कि तब मनमोहन सिंह की सरकार ने ये अध्यादेश चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव को दोषी ठहराए जाने के बाद लाया गया था, जिसमें दोषी सांसदों को अपनी सीट पर बने रहने के लिए तीन महीने की राहत दी गई थी. इस अध्यादेश ने दोषी सांसदों और विधायकों को अयोग्य ठहराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बेअसर कर दिया था. बाद में इस अध्यादेश को वापस ले लिया गया था.

'देश बताए- क्‍या जेल से सरकार चलाना सही है?'

अमित शाह ने संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 पर बोलते हुए कहा, 'यह विधेयक किसी भी ऐसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाने का प्रावधान करता है, जिन्हें लगातार 30 दिनों तक हिरासत में लिया गया हो.' उन्‍होंने सवाल किया- क्या यह 'उचित' है कि ऐसे संवैधानिक पदों पर बैठा कोई भी व्यक्ति जेल से सरकार चलाए?

आज देश में एनडीए के मुख्यमंत्रियों की संख्या ज्यादा है. प्रधानमंत्री भी एनडीए से हैं. इसलिए यह विधेयक सिर्फ विपक्ष के लिए सवाल नहीं उठाता है. यह हमारे मुख्यमंत्रियों के लिए भी सवाल उठाता है... इसमें 30 दिनों की जमानत का प्रावधान है. अगर कोई फर्जी मामला है, तो देश की हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट आंखें बंद करके नहीं बैठे हैं. उन्हें किसी भी मामले में जमानत देने का अधिकार है. अगर जमानत नहीं मिलती है, तो आपको पद छोड़ना होगा.

अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री

उन्होंने आगे कहा, 'मैं देश के लोगों और विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि क्या कोई मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या मंत्री जेल से अपनी सरकार चला सकता है? क्या यह देश के लोकतंत्र के लिए उचित है?'

ये भी पढ़ें : जेल से नहीं चलेगी सरकार...130वें संविधान संशोधन पर शाह ने खुलकर रखी बात, विपक्ष को दी खुली चुनौती

अमित शाह ने कहा, 'अभी नरेंद्र मोदी हैं, तो इसका सवाल नहीं उठता. लेकिन अगर देश का प्रधानमंत्री जेल जाता है, तो क्या आपको लगता है कि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का जेल से सरकार चलाना सही है?

उन्‍होंने कहा, 'क्या इस देश में ऐसी कोई धारणा है कि पद पर बैठे व्यक्ति के बिना देश नहीं चलेगा? आपकी पार्टी के पास बहुमत है, तो आपकी पार्टी से कोई और आएगा और सरकार चलाएगा. जब आपको जमानत मिल जाएगी, तो आप वहां जरूर जा सकते हैं... हमें दो साल बाद सदस्यता क्यों गंवानी चाहिए? कांग्रेस के शासनकाल के दौरान यह प्रावधान था कि अगर सेशंस कोर्ट से दो साल से अधिक की सजा का आदेश आता है, तो आपकी सदस्यता अपने आप समाप्त हो जाती है.'

'मुझे गिरफ्तार किया गया तो मैंने इस्‍तीफा दे दिया था'  

शाह ने सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में अपनी गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए कहा कि सीबीआई ने उन्हें जैसे ही समन भेजा, उन्होंने अगले ही दिन इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने कहा कि जब तक उन पर लगे सभी आरोप पूरी तरह से रद्द नहीं हो गए, तब तक उन्होंने कोई संवैधानिक पद नहीं संभाला.

शाह ने कहा, 'जैसे ही मुझे सीबीआई से समन मिला, मैंने अगले ही दिन इस्तीफा दे दिया. बाद में मुझे गिरफ्तार किया गया. यह मामला चलता रहा, और फैसला भी आया कि यह राजनीतिक बदले की भावना से किया गया मामला था, और मैं पूरी तरह से निर्दोष हूं.

'जमानत मिल गई फिर भी मैं गृह मंत्री नहीं बना'

वह फैसला बाद में आया, मुझे जमानत पहले मिल गई थी... तब भी, मैंने शपथ नहीं ली और दोबारा गृह मंत्री नहीं बना. इतना ही नहीं, जब तक मुझ पर लगे सभी आरोप पूरी तरह से रद्द नहीं हो गए, तब तक मैंने कोई संवैधानिक पद नहीं संभाला. विपक्ष मुझे नैतिकता का क्या पाठ पढ़ा रहा है?'

शाह ने कहा कि इंडिया ब्लॉक इस विधेयक का विरोध कर रहा है, क्योंकि वे 'जेल से सरकार चलाना' चाहते हैं.

उन्होंने कहा, 'इंदिरा जी के कार्यकाल के दौरान, उन्होंने प्रधानमंत्री को बचाने की कोशिश की थी, और आज भी वे यही कोशिश कर रहे हैं कि अगर उन्हें कभी जेल जाना पड़े, तो वे आसानी से जेल से सरकार बना सकें. क्या जेल को मुख्यमंत्री आवास, प्रधानमंत्री आवास बनाया जाएगा और डीजीपी, मुख्य सचिव, कैबिनेट सचिव या गृह सचिव जेल से आदेश लेंगे, क्या इस तरह से कोई देश चलाया जा सकता है?'

'पहले नेता इस्‍तीफा दे देते थे, लेकिन दो साल से...'

उन्होंने अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का उदाहरण देते हुए कहा कि सत्ताधारी पार्टी 'राजनीतिक या सामाजिक नैतिकता को इस हद तक कम करने से असहमत है.' शाह ने कहा, 'यह नई परंपरा हाल ही में आई है. दो साल पहले ऐसा कोई मामला नहीं था. नेता आमतौर पर आरोप लगने के बाद इस्तीफा दे देते थे और फिर रिहा होने के बाद राजनीति में वापस आते थे. तमिलनाडु के कुछ मंत्रियों ने अपना इस्तीफा नहीं दिया. दिल्ली के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री ने अपना इस्तीफा नहीं दिया. हम राजनीतिक या सामाजिक नैतिकता को इस स्तर तक गिराने से असहमत हैं.'

अमित शाह ने विश्वास जताया कि यह विधेयक संसद में पारित हो जाएगा. उन्होंने कहा, 'मुझे पूरा यकीन है कि यह पारित हो जाएगा. कांग्रेस पार्टी और विपक्ष में ऐसे कई लोग होंगे जो नैतिकता और नैतिक आधार बनाए रखने का समर्थन करेंगे.'

संसद के मॉनसून सत्र के दौरान, गृह मंत्री शाह ने संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025, और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया था. इन विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया था.

संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, किसी भी प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या किसी भी मंत्री को पद से हटाने का प्रावधान करता है, जिन्हें कम से कम पाँच साल की सजा वाले आरोपों में लगातार 30 दिनों तक हिरासत में लिया गया हो.

अगर गिरफ्तार नेता इस्तीफा नहीं देते हैं, तो 31 दिन बाद उनका पद अपने आप खाली हो जाएगा. यह विधेयक रिहाई के बाद दोबारा नियुक्ति की अनुमति देता है, जिससे कुछ लचीलापन बना रहता है.

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