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AI को लेकर झूठ बोल रही दुनियाभर की सरकारें तो 62 रुपये भी नहीं कमा पाते 7 करोड़... शुभांकर मिश्रा की कचहरी में सच और झूठ का सामना

हमारे देश में 7 करोड़ से ज्‍यादा लोगों की आबादी ऐसी है जो दिन भर के 62 रुपये भी नहीं कमा पाती है. इसका मतलब है कि ब्रिटेन जैसे पूरे देश जितनी आबादी गरीबी को लेकर संघर्ष कर रही है.

AI को लेकर झूठ बोल रही दुनियाभर की सरकारें तो 62 रुपये भी नहीं कमा पाते 7 करोड़... शुभांकर मिश्रा की कचहरी में सच और झूठ का सामना
  • एआई ने नौकरियों को प्रभावित करना शुरू कर दिया है, जिसके चलते भविष्य में कई लोग बेरोजगार हो सकते हैं.
  • भारत में 7 करोड़ से अधिक लोग 62 रुपये प्रतिदिन से कम कमा रहे हैं, जो गरीबी की गंभीर समस्या को दर्शाता है.
  • भारत की जीडीपी वृद्धि के बावजूद गरीबों की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है, जिससे असमानता बढ़ रही है.
  • एआई बहुत से लोगों के लिए चुनौती है. हालांकि यह पुरुषों से ज्‍यादा महिलाओं को ज्‍यादा परेशान करने जा रहा है.
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नई दिल्‍ली :

AI अब भविष्य की चुनौती नहीं है, बल्कि इसने इंसानों की नौकरियों को खत्म करना शुरू कर दिया है और धीरे धीरे एक ऐसा समय आएगा जब अगला नंबर आपका हो सकता है. वहीं बड़ा सवाल है कि क्‍या दुनियाभर की सरकारें आपको एआई का अधूरा सच बता रही हैं और क्‍या एआई पुरुषों से ज्‍यादा महिलाओं को परेशान करने जा रहा है. दूसरी ओर हमारे देश में  7 करोड़ से ज्‍यादा लोगों की आबादी ऐसी है जो दिन भर के 62 रुपये भी नहीं कमा पाती है. हमारे देश में आज आजादी के इतने साल बाद भी राजा का बेटा ही राजा बनता है. ऐसे में सरकारों को देखना होगा कि अगर यही चलता रहा तो इस लोकतंत्र में आम आदमी को क्या हासिल होगा? ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशते हैं शुभांकर मिश्रा के नए और बेहद ख़ास शो कचहरी में.  

सपनों को तोड़ देती है गरीबी

हमारे देश में 7 करोड़ से ज्‍यादा लोगों की आबादी ऐसी है जो दिन भर के 62 रुपये भी नहीं कमा पाती है. इसका मतलब है कि ब्रिटेन जैसे पूरे देश जितनी आबादी गरीबी को लेकर संघर्ष कर रही है. भारत में गरीबी की जड़ें इतनी गहरी है कि मेहनत कई बार अकेले काफी नहीं होती है और सपनों को तोड़ देती है. सवाल ये है कि आज भारत की जीडीपी समुद्र में उठती बड़ी-बड़ी लहरों की तरह है तो यह लहरें सभी नावों को एक साथ ऊपर क्‍यों नहीं उठा रही है?

आपके आसपास ही सालों से घट रही AI क्रांति 

क्‍या दुनिया की सारी सरकारें आपको एआई के बारे में आधा-अधूरा सच बता रही है. कहीं ऐसा तो नहीं होगा कि एक दिन आप उठेंगे और आपको पता चलेगा कि आपकी कंपनी में आपकी जरूरत नहीं है. कोई खतरा आसमान से नहीं आया, कोई युद्ध नहीं हुआ. लेकिन आपकी नौकरी, आपकी पहचान, आपकी जगह चुपचाप मशीनों ने हथिया ली और आपको भनक तक नहीं लगी.  यह सवाल सुनने में जितना डरावना है, उससे कहीं ज्‍यादा जरूरी है. क्‍योंकि जो क्रांति आपके आसपास पिछले कुछ सालों से खामोशी से चल रही है, वो सिर्फ टेक्‍नोलॉजी की नहीं है. ये इंसानी जिंदगी को दो हिस्‍सों में बांट देने वाली क्रांति है. जिसमें एक तरह वो लोग हैं जो इस टेक्‍नोलॉजी के साथ बदलने कके लिए तैयार है और दूसरी ओर वो करोड़ों लोग हैं जिनकी जिंदगी जीपीटी कोड एल्‍गोरिदम बदलने वाली है और सच कहें तो उन्‍हें इसका मतलब तक नहीं पता है. हम आपको बताएंगे कि वह कौनसी बात है जो आपसे छिपाई जा रही है. सवाल है कि AI ने अगर इंसानों की नौकरियां खत्म कर दीं तो आप क्या कमाएंगे और क्या खाएंगे? 

तीन तस्‍वीरें 

कुदरत का चमत्कार

पहली तस्‍वीर हिमाचल से आई है. हिमाचल प्रदेश के मंडी में बादल फटने से 20 लोगों की मौत हो गई. इनमें एक परिवार ऐसा भी था, जो इस तबाही में अपनी 11 महीने की बच्ची को पीछे छोड़ गया. इस बच्ची के माता-पिता और दादी की इस बाढ़ में दर्दनाक मौत हो गई और प्रशासन को लग रहा था कि शायद ये बच्ची भी जिंदा नहीं बचेगी, लेकिन तभी कुदरत का ऐसा चमत्कार हुआ कि जहां सबकुछ तबाह हो चुका था, वहां ये बच्ची सांस ले रही थी और इसे एक खरोंच तक नहीं आई थी.

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मंडी जिले की SDM ने इस बच्ची को गोद में लिया तो इस बच्ची को लगा कि शायद उसकी मां उसे गोद में ले रही है. खबर मिलने के बाद कई लोग इसे गोद लेने के लिए आगे आ रहे हैं.  ये तस्वीर कहती है कि पहाड़ सबको देखने में बहुत सुंदर लगते हैं, लेकिन एक कड़वा सच ये भी है कि इन पहाड़ों पर रहना आसान नहीं होता. 

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हर मिनट सात लोगों की मौत

दूसरी तस्‍वीर एक हादसे की है. पंजाब की होशियारपुर में एक सड़क हादसे में 9 लोगों की मौत हुई है. आंकड़ा कम लगता है ना. लेकिन जानते हैं कि भारत में हर साल 1 लाख 65 हजार, हर दिन 452 और हर मिनट सड़क हादसों में सात लोगों की मौत होती है वो भी तब जब भारत में पूरी दुनिया के एक पर्सेंट भी वाहन नहीं हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम सड़क पर ज़िन्दगी की कीमत को नहीं समझते. जिस दिन ये आंकड़े आपको परेशान करना शुरू करेंगे, उस दिन शायद इन लोगों को मरना नहीं होगा.

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भारत के कहने पर मिला सम्‍मान 

तीसरी तस्वीर है पाकिस्तान के कैप्टन शेरखान की है. ये तस्वीर गवाह है हिंदुस्तान की महान फौज की, जो ना सिर्फ शूरवीरता की मिसाल है बल्कि ये दुश्मन के सैनिकों का भी सम्मान करती है. कैप्टन शेरखान भारत के खिलाफ करगिल युद्ध लड़े थे, लेकिन उनकी मौत के बाद पाकिस्तान ने उनका ही शव लेने से इनकार कर दिया था.  उस वक्त भारतीय सेना ने ये लिखते हुए कर्नल शेरखान के शव को वापस लौटाया था कि उन्होंने अदम्य साहस से इस युद्ध को लड़ा और उन्हें उचित सम्मान मिलना चाहिए. भारतीय सेना के ख़त के बाद पाकिस्तान की सरकार ने अपने कैप्टन को मरणोपरांत निशान-ए-हैदर दिया, जो पाकिस्तान का सबसे बड़ा सैन्य सम्मान है. आज खबर आई है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल जनरल आसिफ मुनीर ने भी इन्हे श्रद्धांजलि दी है. सोचिए जिसका शव लेने से इनकार किया, आज उसे भी वहां सम्मान मिला. ये ना सिर्फ पाकिस्तान को बेनकाब करता है बल्कि भारतीय सेना के लिए पूरी दुनिया में सम्मान को और ऊंचा करता है.  

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