- FSSAI ने दूध, खोया और पनीर में मिलावट रोकने के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है
- देशभर में दुग्ध उत्पादों में मिलावट और मिसब्रांडिंग की शिकायतों के आधार पर सघन जांच के आदेश
- \सभी खाद्य व्यवसाय संचालकों की लाइसेंस स्थिति और उत्पादों के सैंपल की जांच अनिवार्य है
दूध, खोया और पनीर में मिलावट करने वालों की अब खैर नहीं है क्योंकि सरकार इन मिलावटखोरों पर नकेल कसने जा रही है. इस मामले में अधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने मिलावट की बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है.
प्राधिकरण ने कठोर कार्रवाई के दिए निर्देश
FSSAI से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों से दुग्ध उत्पादों में मिलावट और मिसब्रांडिंग के कई शिकायत मिली है, जो उपभोक्ताओं के लिए गंभीर जोखिम पैदा करते हैं. ऐसे में देशव्यापी दुग्ध उत्पादों के उत्पादन, बिक्री और भंडारण से जुड़े प्रतिष्ठानों की सघन जांच के आदेश दिए गए हैं. साथ ही बिना लाइसेंस और अवैध रूप से चल रही इकाइयों पर भी कड़ी कार्रवाई करने को कहा गया है. नियामक के अनुसार, मिलावटी या एनालॉग उत्पादों को असली दुग्ध उत्पाद बताकर बेचना कानून का स्पष्ट उल्लंघन है और ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई की जाएगी.
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लाइसेंसधारकों की भी होगी जांच
जानकारी के अनुसार, खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को निर्धारित प्रक्रिया के मुताबिक दूध, पनीर और खोया के सैंपल लेने तथा कारोबारों की लाइसेंस या पंजीकरण स्थिति की पुष्टि करने के लिए कहा गया है. इसमें लाइसेंसधारी के साथ-साथ बिना लाइसेंस वाले खाद्य व्यवसाय संचालकों (FBOs) की जांच भी शामिल है.
उल्लंघन करने पर होगी कड़ी कार्रवाई
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जहां सैंपल मानक के तहत नहीं मिले या संदिग्ध पैटर्न सामने आते हैं, वहां ट्रेसेबिलिटी जांच जरुरी होगी, ताकि मिलावट के सोर्स का पता चले और अवैध निर्माण इकाइयों व आपूर्ति शृंखलाओं की पहचान की जाए. वहीं उल्लंघन करने वाले पर असुरक्षित खाद्य पदार्थों की जब्ती, लाइसेंस का निलंबन या रद्दीकरण, अवैध इकाइयों को बंद करना, मिलावटी उत्पादों की वापसी और नष्ट करने जैसी कार्रवाई की जाएगी.
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FoSCoS पर एक्शन की देने होगी जानकारी
प्राधिकरण ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे सभी कार्रवाई और आंकड़े फूड सेफ्टी कम्पलायंस सिस्टम (FoSCoS) पर तत्काल दर्ज करें, ताकि राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी समेकन और विश्लेषण हो सके.
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