8th Pay Commission: आठवें वेतन आयोग को लेकर केंद्र सरकार ने काफी हद तक तस्वीर स्पष्ट कर दी है. जैसे कि DA-DR का बेसिक पे यानी मूल वेतन में मर्ज करने का कोई प्रस्ताव नहीं होना, इसके लागू होने की तारीख, देरी होने पर एरियर... और भी काफी कुछ जानकारियां सामने आ चुकी हैं. हालांकि अभी भी 8वें वेतन आयोग के बारे में काफी कुछ सर्च किया जा रहा है. संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में सरकार ने कई सवालों के जवाब दिए हैं. इसको लेकर सरकार ने सदन पटल पर 8वें वेतन आयोग का दस्तावेज 'गजट' भी सामने रखा है. नोटिफाई किया गया ये गजट मुख्य रूप से 8th Pay Commission पर सरकार की अधिसूचना है. इसमें आयोग की रूपरेखा और कामकाज के बारे में बताया गया है.
8वें वेतन आयोग के दायरे में कौन-कौन?
केंद्र सरकार ने 3 नवंबर 2025 को अधिसूचना जारी कर आठवें केन्द्रीय वेतन आयोग के गठन का फैसला लिया. आयोग की अध्यक्ष जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को बनाया गया, जबकि प्रो. पुलक घोष को सदस्य (अंशकालिक) और पंकज जैन को सदस्य‑सचिव बनाया गया.
इस गजट के जरिये सरकार ने संसद में बताया है कि आठवां वेतन आयोग, सरकार के कर्मचारियों के वेतन, भत्ता, पेंशन और दूसरी सुविधाओं की समीक्षा कर सिफारिशें देगा. इसमें औद्योगिक‑गैर औद्योगिक केंद्र कर्मचारी, अखिल भारतीय सेवाएं, रक्षा बल, संघ शासित क्षेत्रों के कर्मचारी, CAG, संसद द्वारा बनाए गए नियामक निकाय (RBI छोड़कर), सुप्रीम कोर्ट‑हाई कोर्ट के कर्मचारी और संघ शासित क्षेत्रों के अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायिक अधिकारी शामिल हैं.
8वां वेतन आयोग क्या-क्या करेगा? |Terms of Reference
- केंद्र ने आयोग से कहा गया है कि वो सभी पात्र श्रेणियों के कर्मचारियों के वेतन‑भत्ता, अन्य नकद या वस्तु रूपी सुविधाओं की समीक्षा करे और जरूरी बदलाव सुझाए.
- सरकारी सेवा में बेहतर प्रतिभा आए, कामकाज में दक्षता, जवाबदेही और जिम्मेदारी बढ़े- इस लक्ष्य के साथ पे स्ट्रक्चर (pay structure) तैयार करना है.
- बोनस की मौजूदा योजनाओं को परखकर यह सुझाना है कि बेहतर प्रदर्शन और प्रोडक्टिविटी को कैसे, किन सिद्धांतों और मापदंडों पर इनाम दिया जाए.
- 8वें वेतन आयोग को DA यानी महंगाई भत्ते समेत तमाम भत्तों और उनकी शर्तों की समीक्षा कर उन्हें तर्कसंगत और सरल बनाने की सिफारिश करनी है.
- राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS/एकीकृत पेंशन योजना) के दायरे में आने वाले और दायरे से बाहर कर्मचारियों, दोनों के लिए मृत्यु‑सह‑सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी और पेंशन की समीक्षा कर सुझाव देने हैं.
किन बातों का ध्यान रखना होगा?
आयोग को ये देखते हुए सुझाव देने हैं कि देश की आर्थिक स्थिति क्या है. साथ ही राजकोषीय अनुशासन जरूरी है. इनके अलावा विकास और कल्याण योजनाओं के लिए पर्याप्त संसाधन बचे रहें, गैर‑अंशदायी पेंशन योजनाओं की लागत कितनी है, और राज्यों की वित्तीय हालत पर इन सिफारिशों का क्या असर पड़ेगा, क्योंकि ज्यादातर राज्य केंद्र के वेतन आयोग की सिफारिशें अपनाते हैं. निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की मौजूदा वेतन‑सुविधाओं पर भी नजर रखनी होगी.
DA-DR मर्जर पर केंद्र का क्या रुख है?
राज्यसभा में ये प्रश्न भी पूछा गया था कि क्या सरकार फिलहाल महंगाई भत्ता/महंगाई राहत (DA/DR) को मूल वेतन में मिलाकर तुरंत राहत देने पर विचार कर रही है. सरकार ने साफ किया कि अभी ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. साथ ही यह भी पूछा गया कि क्या पेंशन संशोधन का कोई प्रस्ताव नहीं है; जवाब में कहा गया कि आठवां वेतन आयोग वेतन के साथ‑साथ भत्तों और पेंशन से जुड़े मुद्दों पर भी सिफारिशें देगा, यानी पेंशन पूरी तरह दायरे से बाहर नहीं है.
8वें वेतन आयोग की डेडलाइन क्या है?
आयोग अपना तरीका खुद तय करेगा और जरूरत पड़ने पर सलाहकार, विशेषज्ञ और संस्थागत कंसल्टेंट रख सकेगा. मंत्रालय‑विभागों को जरूरी दस्तावेज और सूचना उपलब्ध करानी होगी और उम्मीद जताई गई है कि राज्य सरकारें और कर्मचारी संगठन पूरा सहयोग देंगे. आयोग का मुख्यालय दिल्ली है और इसे 18 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी है. जरूरत हो तो आयोग बीच में अंतरिम रिपोर्ट भी भेजी जा सकती है.
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