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नौसेना में शामिल हुआ डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट DSC A-20, समुद्र के भीतर भी बढ़ी भारत की ताकत

भारतीय नौसेना को पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट DSC A-20 मिल गया है. कोच्चि नेवल बेस में कमीशन हुआ यह जहाज अंडरवॉटर मिशन, निरीक्षण और रिकवरी ऑपरेशन के लिए तैयार किया गया है. इससे नौसेना की ताकत और बढ़ गई है.

नौसेना में शामिल हुआ डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट DSC A-20, समुद्र के भीतर भी बढ़ी भारत की ताकत
  • भारतीय नौसेना में पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट कोच्चि नेवल बेस में कमीशन किया गया है
  • यह ए-20 श्रेणी का पहला जहाज है जो अंडरवॉटर मिशन, निरीक्षण और रिकवरी कार्य कर सकता है
  • टिटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड ने तीस मीटर लंबे और 390 टन वजन वाले जहाज का निर्माण किया है
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कोच्चि:

भारतीय नौसेना के बेड़े में पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट (DSC) शामिल हो गया है. कोच्चि नेवल बेस में कमीशन किया गया यह DSC ए-20 श्रेणी का पहला जहाज है, जो समुद्र के भीतर जाकर ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है. यह एक ऐसा युद्धपोत है जो अंडरवॉटर मिशन, निरीक्षण और रिकवरी कार्यों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है. इससे तटीय क्षेत्रों में डाइविंग, अंडरवॉटर निरीक्षण और सैल्वेज भी किया जा सकता है. इसके कमीशन होने से नौसेना की ऑपरेशनल क्षमता में काफी इजाफा हुआ है. 

कोलकाता में बना स्वदेशी जहाज 

इस जहाज को कोलकाता की टिटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड ने बनाया है. यह लगभग 30 मीटर लंबा, 13 मीटर चौड़ा है और इसका वजन 390 टन है. इसकी स्पीड करीब 18 किलोमीटर प्रति घंटा है. इसमें 18 नौसैनिकों के बैठने की व्यवस्था है. कैटामरैन डिज़ाइन के कारण यह अधिक स्थिर है और समुद्र में ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करता है. यह कोलकाता द्वारा निर्मित 5 ऐसे पोतों की श्रृंखला का पहला जहाज है.

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मरम्मत और प्रशिक्षण के लिए डिजाइन

यह क्राफ्ट बंदरगाह और तटीय गोताखोरी, मरम्मत और प्रशिक्षण के लिए डिजाइन किया गया है. इसे ऐसे समझें कि युद्धपोत या किसी जहाज में पानी की सतह से नीचे कोई परेशानी आती है, तो यह क्राफ्ट काफी काम आता है. इसमें आधुनिक डाइविंग सिस्टम लगे हैं, जो सुरक्षित और प्रभावी ऑपरेशन सुनिश्चित करते हैं.

दक्षिणी नौसेना कमान के तहत संचालन

यह पोत दक्षिणी नौसेना कमान के तहत काम करेगा। यह आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल का मजबूत उदाहरण है. यह पूरी तरह से स्वदेशी डिजाइन और तकनीक से बनाया गया है. इसके शामिल होने से नौसेना की अंडरवॉटर और डाइविंग क्षमताएं और मजबूत हुई हैं.

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