संसद का मानसून सत्र (Monsoon session) 18 जुलाई से 12 अगस्त तक तय था, लेकिन इसको विपक्ष का द्वारा हंगामा करने का हवाला देते हुये चार दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. इस पर तमाम विपक्षी दल विरोध जता रहे हैं. कांग्रेस (congress) ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसका विरोध किया और मोदी सरकार पर निशाना साधा. कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद गोरव गगोई ने कहा कि संसद का सत्र चाक दिन पहले खत्म करने पर मोदी सरकार एक्सपोज हो गई है कि वह देश के किसी भी गंभीर मुद्दे पर कोई चर्ता नही नहीं करना चाहती है. महंगाई, बेरोजगरी से सरकार को कोई लेना- देना नहीं है. विपक्ष पर तमाम तरह के आरोप लगाकर उनके सांसदों को निलंबित किया जाता है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने कहा कि प्रोडक्टिविटी की बात कर पीएम मोदी देश की आंखों में धूल झोंक रहे हैं, क्योंकि बिना अकाउंटिब्लिटी प्रोडक्टिविटी हो ही नहीं सकती. किसी भी अध्यादेश पर चर्चा के बाद कानून पारित होने चाहिए. इससे कानून में दोनों पहलू सामने आते हैं और सुधार के साथ कानून बनते हैं.सरकार की तरफ से 32 विधेयक पेश या पारित किए जाएंगे. सच ये है कि इस सत्र में लोकसभा में 7 और राज्यसभा में 5 बिल पास किए गए.
हमने 13 मुद्दों पर चर्चा की मांग की थी, लेकिन एक मुद्दे महंगाई और जीएसटी पर चर्चा हो पाई. विपक्ष ने संसद नहीं चलने दिया तो बिल कैसे पास होते? इस सवाल के जवाब में जयराम रमेश ने कहा कि हमने महंगाई पर बहस की मांग की. इस बहस को कराने में दो हफ़्ते का समय लिया गया. जब बहस हो गई तो संसद चलने लगी. फिर क्यों नहीं पास कराया? हम तो देर तक बैठने को तैयार थे. मैंने सत्र एक हफ़्ते बढ़ाने का सुझाव भी दिया था.
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