
- दिल्ली में बरसात से होने वाले हालात पर CJI बी आर गवई की बड़ी टिप्पणी
- दिल्ली में बारिश के दौरान ट्रैफिक के हालात को लेकर भी कही बड़ी बात
- केरल के एक मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने की टिप्पणी
दिल्ली में बरसात से होने वाले हालात पर CJI बी आर गवई ने सोमवार को बड़ी टिप्पणी की. चीफ जस्टिस ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा, दिल्ली में आप जानते हैं कि क्या होता है. अगर दो घंटे बारिश हो जाए तो पूरा शहर लकवाग्रस्त हो जाता है. उन्होंने ट्रैफिक जाम की समस्या को भी गंभीर बताया. सुप्रीम कोर्ट ने केरल के एक हाईवे पर 12 घंटे लगे जाम पर भी सवाल उठाया. कोर्ट ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को सड़क के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचने में 12 घंटे लगते हैं, तो वो टोल क्यों दे. CJI गवई ने ये टिप्पणी केरल के त्रिशूर जिले में NH 544 के एक टोल प्लाजा के मामले में सुनवाई के दौरान की.दरअसल हाईकोर्ट ने हाईवे की खराब हालत के कारण टोल वसूली को निलंबित कर दिया था.केरल हाईकोर्ट के इस फैसले को NHAI ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने NHAI की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. सोमवार को सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने पिछले हफ्ते इस हाइवे 12 घंटे से ज़्यादा समय तक लगे भारी यातायात जाम का बार-बार ज़िक्र किया. जस्टिस चंद्रन ने NHAI से कहा कि आपने कल का अखबार देखा -॥12 घंटे तक यातायात बाधित रहा. SG तुषार मेहता ने कहा - यह एक्ट ऑफ गॉड था, एक लॉरी गिर गई थी.जस्टिस चंद्रन ने कहा कि लॉरी अपने आप नहीं गिरी. वह एक गड्ढे में गिर गई और पलट गई . एसजी ने कहा कि NHAI ने उन जगहों पर वैकल्पिक रास्तों के तौर पर सर्विस रोड का निर्माण किया है, जहां अंडरपास का निर्माण चल रहा है; हालांकि, मानसून के कारण निर्माण कार्य प्रभावित हुआ. इस मौके पर, मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने पूछा कि 65 किलोमीटर के इस हिस्से के लिए टोल की कीमत क्या है.
यह बताए जाने पर कि यह 150 रुपये है, मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि अगर किसी व्यक्ति को सड़क के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचने में 12 घंटे लगते हैं, तो उसे 150 रुपये क्यों देने चाहिए? -जिस सड़क पर एक घंटा लगने की उम्मीद है, उसमें 11 घंटे और लग जाते हैं और उन्हें टोल भी देना पड़ता है. तब सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि एक फैसले में कहा गया है कि ऐसे मामले में, टोल न लगाने के बजाय, आनुपातिक रूप से टोल में कमी होनी चाहिए. जस्टिस चंद्रन ने हल्के-फुल्के अंदाज में टिप्पणी की कि 12 घंटे के जाम के लिए, राष्ट्रीय राजमार्ग को यात्रियों को कुछ भुगतान करना चाहिए. अगर यातायात नहीं होगा तो इस हिस्से को तय करने में अधिकतम एक घंटा लगेगा. अगर यातायात होगा तो अधिकतम तीन घंटे लगेंगे. 12 घंटे के लिए आनुपातिक कटौती का कोई सवाल ही नहीं है.
SG तुषार मेहता ने कोर्ट के सामने सड़क का एक वीडियो भी रखा. CJI गवई ने कहा कि कोस्टल एरिया में मानसून के दौरान हालात और भी खराब हो जाते हैं. मामले में पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट के ई गेट का हवाला दिया कि यहां हमेशा ट्रैफिक होता है. वकीलों को कोर्ट में जाने में घंटाभर लग जाता है. इस पर CJI गवई ने कहा कि दिल्ली की तो जानते हैं .. अगर दो घंटे बारिश हो जाए तो पूरा शहर लकवाग्रस्त हो जाता है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने केरल के मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया. 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने केरल के त्रिशूर जिले के पलियेक्कारा टोल प्लाजा पर टोल वसूली स्थगित करने के केरल हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने के प्रति अनिच्छा जताई थी.
मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल में राष्ट्रीय राजमार्ग 544 के एडापल्ली-मन्नुथी खंड की खराब स्थिति का हवाला दिया. पीठ ने कहा कि आप लोगों से टोल लेते हैं और सेवाएं नहीं देते सर्विस रोड का रखरखाव नहीं किया जाता. जस्टिस चंद्रन ने NHAI से कहा था कि अपील दायर करने और समय बर्बाद करने के बजाए आप कुछ करें. उन्होंने कहा कि भीड़भाड़ के दौरान एम्बुलेंस को भी गुजरने में परेशानी होती है.केरल हाईकोर्ट ने छह अगस्त को टोल वसूली को चार सप्ताह के लिए स्थगित करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट में NHAI की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि हाईकोर्ट के फैसले ने ‘गलत तरीके से ठेकेदार कंपनी को NHAI से नुकसान की वसूली करने की अनुमति दे दी। उन्होंने कहा कि परिचालन एवं रखरखाव (ओ एंड एम) अनुबंध के तहत रखरखाव की जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है.
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