सुप्रीम से छत्तीसगढ़ सरकार को नौकरी में 58 फीसदी आरक्षण देने के मामले में बड़ी राहत मिली है. फिलहाल 58 फीसदी आरक्षण के तहत नियुक्ति और पदोन्नति हो सकेंगी. हालांकि, इस तरह का आरक्षण लंबित याचिका के परिणाम के अधीन होगा. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 58 प्रतिशत आरक्षण लगाने को रद्द करने के फैसले पर अंतरिम रोक लगाई है.
19 फरवरी को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य के शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 58 फीसदी आरक्षण को असंवैधानिक करार दे दिया था. छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसुचित जातियां, जनजातियां और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए (संशोधन अंधानियम) 2011 को रद्द करने के छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला दिया है.
छत्तीसगढ़ राज्य का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी और समीर सोढ़ी ने किया. दरअसल, अधिनियम के माध्यम से, छत्तीसगढ़ सरकार ने 2012 में सार्वजनिक सेवाओं में अनुसूचित जनजातियों के लिए 32%, अनुसूचित वर्ग के लिए 12% और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 14% की सीमा तक आरक्षण प्रदान किया था. कुल आरक्षण 58% तक एकत्र किया गया था. अधिनियम को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 19.09.2022 को इस आधार पर रद्द कर दिया था कि यह इंद्रा साहनी के फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50% सीलिंग की सीमा के अनुरूप नहीं है.
छत्तीसगढ़ राज्य को सुनने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य को 58% आरक्षण के आधार पर नियुक्ति और पदोन्नति प्रक्रियाओं को फिर से शुरू करने की अनुमति देकर अंतरिम राहत दी. हालांकि, इस तरह का आरक्षण लंबित विशेष याचिका के परिणाम के अधीन होगा.
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