नोएडा के जिलाधिकारी सुहास एल यतिराज (Noida DM Suhas L. Yathiraj) टोक्यो पैरालंपिक्स में बैडमिंटन की मेंस फाइनल प्रतियोगिता (Tokyo Paralympics) में हार गए हैं. हालांकि उन्होंने सिल्वर मेडल अपने नाम किया. सुहास रविवार को फाइनल के कड़े मुकाबले में फ्रांस के अपने प्रतिद्वंद्वी लुकास माजुर से हार गए. माजुर ने उन्हें SL4 class मुकाबले में 15-21, 21-17 21-15 से हराया. सुहास से सबको गोल्ड मेडल जीतने की बड़ी उम्मीदें थीं. इस प्रतियोगिता में इंडिनेशिया के फ्रेडी सेतियावान ने कांस्य पदक जीता और उन्होने भारत के तरुण ढिल्लन को हराया.
38 साल के सुहास नोएडा के जिला मजिस्ट्रेट हैं. उनके एक टखने में परेशानी है. करीब 62 मिनट चले खेल के दौरान उन्होंने विश्व चैंपियन माजुर के सामने जबरदस्त चुनौती पेश की. सुहास क्वालीफाइंग ग्रुप में भी माजुर से हार गए थे. माजुर ने यूरोपीय चैंपियनशिप में भी तीन स्वर्ण पदक अपने नाम किए थे. हालांकि सुहास ने विश्व के नंबर एक खिलाड़ी को चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) के जिला मजिस्ट्रेट सुहास पैरालंपिक में पदक जीतने वाले पहले आईएएस अधिकारी भी बन गए हैं. सुहास ने सेमीफाइनल में इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान को 21-9, 21-15 से हराया था.
सुहास एक कंप्यूटर इंजीनियर से आईएएस अधिकारी बने हैं. 2020 से नोएडा के जिला मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात हैं. यह ऐसी भूमिका थी, जिसमें उन्हें कोविड-19 महामारी से लड़ाई में सबसे आगे देखा गया.
फाइनल मुकाबले से एक दिन पहले उनकी पत्नी रितु सुहास ने कहा था कि मैच जीतकर वह काफी खुश थे. उनका सपना पैरालंपिक में भारत के लिए खेलना था. उन्होंने अपने जीवन के करीब छह साल इसके लिए समर्पित किए. मैंने उन्हें परिणाम की चिंता के बिना अपना सर्वश्रेष्ठ खेल खेलने के लिए कहा.
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