विज्ञापन
This Article is From Mar 03, 2021

महिला अधिकारों के लिए फिर आगे आया सुप्रीम कोर्ट, पूछा बड़ा सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या सेना, नौसेना में परमानेंट कमीशन में शामिल होने के लिए पुरुषों की तरह ही महिला अधिकारियों के लिए मेडिकल मानदंड लागू किए जा सकते हैं?

महिला अधिकारों के लिए फिर आगे आया सुप्रीम कोर्ट, पूछा बड़ा सवाल
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

महिला अधिकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) फिर आगे आया है. भारतीय सेना (Army) और नौसेना (Navy) में परमानेंट कमीशन में महिला अधिकारियों (Women Officers) को लेकर कोर्ट ने बड़ा सवाल पूछा है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या सेना, नौसेना में परमानेंट कमीशन में  शामिल होने के लिए पुरुषों की तरह ही महिला अधिकारियों के लिए मेडिकल मानदंड (Medical Standards) लागू किए जा सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिलाएं प्रसव, रजोनिवृत्ति से गुजरती हैं और उनका शरीर प्रभावित होता है. इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया कि इस साल जनवरी से वेतन नहीं मिलने की शिकायत करने वाली महिला अधिकारियों को शुक्रवार तक वेतन का भुगतान करे. कोर्ट ने पहले इन महिला अधिकारियों को सेवा मुक्त करने पर रोक लगा दी थी. 

दरअसल अदालत उन महिला अधिकारियों की सुनवाई कर रही थी जिन्होंने परमानेंट कमीशन में शामिल होने के मामले में लैंगिक पक्षपात का आरोप लगाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था. उनके वकीलों ने पुरुषों और महिलाओं के लिए लागू दो अलग-अलग मानदंडों बताए जिनमें से एक चिकित्सा मानदंड और दूसरा सीआर- गोपनीय रिपोर्ट था. उन्होंने अदालत को बताया कि पुरुष अधिकारियों  के लिए 30 वर्ष की आयु में उनकी चिकित्सा स्थिति का आकलन किया जाता है जबकि महिलाओं के लिए यह 38 से 40 वर्ष की आयु में लागू किया जाता है.

इस पर जस्टिस डीवाई  चंद्रचूड़ ने कहा कि हम सोच रहे हैं कि क्या हम कह सकते हैं कि पुरुषों की तरह महिलाओं के लिए भी यही किया जाना चाहिए. वे प्रसव पीड़ा से गुजरती हैं और शरीर प्रभावित होता है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. जिन महिलाओं को परमानेंट कमीशन के लिए विचार करना चाहिए था, उनकी शारीरिक दुर्बलता की स्थिति पर अब नकार दिया गया है. 

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि कहीं भी ऐसा नहीं होता कि परमानेंट होने में 14 साल लगें. ये अधिकारी 37 से 45 वर्ष की आयु की हैं और समर्पण के साथ सेवा करते हैं और अब उनकी आजीविका खोने की संभावना है. पुरुष अधिकारी पीड़ित नहीं होंगे लेकिन ACR और मेडिकल स्थितियों के कारण महिला अधिकारी पीड़ित हैं. जिन याचिकाकर्ताओं को सेवा से मुक्ति दी गई उन्हें जनवरी से वेतन नहीं दिया गया है. 

सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय को शुक्रवार तक वेतन देने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि उनके परिवार हैं और हर कोई मासिक चेक पर निर्भर है. केंद्र ने अदालत को बताया कि हालांकि कुछ अधिकारियों को मार्च में मुक्त किया जाना था, उन्हें सेवा से मुक्त नहीं किया जाएगा. 

गौरतलब है कि फरवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने महिला अधिकारियों को सेना में परमानेंट कमीशन में शामिल होने की अनुमति दी थी. इस मामले की सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी. 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com