सरकार किसानों को न ठगे, आज की बातचीत में कृषि कानून वापस ले : अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने आज होने वाली बैठक में सरकार से नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को वापस लेने की मांग की है.

सरकार किसानों को न ठगे, आज की बातचीत में कृषि कानून वापस ले : अखिलेश यादव

अखिलेश यादव किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं. (फाइल फोटो)

खास बातें

  • अखिलेश यादव का सरकार पर निशाना
  • किसान आंदोलन को लेकर किया ट्वीट
  • बोले- बैठक में आज कानून वापस ले सरकार
नई दिल्ली:

किसान आंदोलन (Farmers Agitation) का आज 35वां दिन है. 22 दिन बाद आज (बुधवार) एक बार फिर किसानों और सरकार के बीच बातचीत होगी. सरकार जहां नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को किसानों के हित में बता रही है, तो वहीं दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसान इन कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हैं. इस मुद्दे पर विपक्षी दल लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हैं. कुछ देर पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने ट्वीट कर आज होने वाली बैठक में सरकार से नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की.

अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, 'भाजपा सरकार चंद अमीर मित्रों के फ़ायदे के लिए पूरे देश के किसान को न ठगे और आज की वार्ता में कृषि क़ानून वापस ले. सच तो ये है कि भाजपा का ज़मीनी कार्यकर्ता भी यही चाहता है क्योंकि वो आम जनता के बीच जाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है. भारत का राजनीतिक नेतृत्व इतना बंजर कभी न था.'

अखिलेश यादव लगातार मीडिया-सोशल मीडिया के जरिए किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं. बीते दिन उन्होंने ट्वीट किया था, 'भाजपा सरकार ने किसानों द्वारा बातचीत के लिए प्रस्तावित दिन की जगह बातचीत की तारीख़ को आगे बढ़ाकर ये साबित कर दिया है कि कड़कड़ाती ठंड में अपना जीवन न्यौछावर कर रहे किसान उनकी प्राथमिकता नहीं हैं. भाजपा लगातार किसानों का तिरस्कार कर रही है. किसान दंभी भाजपा को सड़क पर ले आएँगे.'

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किसान आंदोलन को भाजपा सरकार की विफलता करार देते हुए उन्होंने कहा, 'आज कृषि-कानूनों के ख़िलाफ़ हो रहे आंदोलन का एक महीना पूरा हो रहा है. भाजपा अपने प्रिय अमीर मित्रों व पूंजीपति प्रायोजकों का समर्थन करते हुए ऐसे रास्ते पर चल पड़ी है जो किसान, मज़दूर, निम्न व मध्यवर्ग सबके विरुद्ध जाता है. किसान-आंदोलन भाजपा सरकार की विफलता का जीवंत स्मारक है.'

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