J&K 4G इंटरनेट केस: SC ने कहा- संभावना है तो बहाल करें, इसमें और देरी नहीं हो सकती

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, 'उपराज्यपाल जिन्होंने 4 जी की बहाली के संबंध में बयान दिया था, वह अब नहीं है. हमारे पास एक नए एलजी है और उनके विचारों का महत्व अब होगा.'

J&K 4G इंटरनेट केस: SC ने कहा- संभावना है तो बहाल करें, इसमें और देरी नहीं हो सकती

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर 4G इंटरनेट बहाली (Kashmir 4G Internet Restore) की याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि  यदि कोई संभावना है, तो इसे बहाल किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि केंद्र और जम्मू और कश्मीर प्रशासन इसकी जांच करें कि क्या ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें 4 जी हो सकता है. सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने कहा कि इस मामले में और देरी नहीं हो सकती है. कोर्ट ने केंद्र और जम्मू और कश्मीर प्रशासन को निश्चित जवाब के साथ आने के लिए कहा है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, 'उपराज्यपाल जिन्होंने 4 जी की बहाली के संबंध में बयान दिया था, वह अब नहीं है. हमारे पास एक नए एलजी है और उनके विचारों का महत्व अब होगा.'

कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 'हमने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अनुपालन किया है और इसमें एक समिति है जो कहती है कि 4 जी का अभी उपयोग नहीं किया जा सकता.' इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इसका आधार क्या है? अब मंगलवार (11 अगस्त) को इस मामले की सुनवाई होगी. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उपराज्यपाल के बदलने के चलते जवाब के लिए और समय मांगा 

पिछली सुनवाई में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह मीडिया में जम्मू कश्मीर के एलजी के कथित बयानों को सत्यापित करेगा जिसमें कहा गया है कि प्रदेश में 4 जी को बहाल किया जाए. जम्मू और कश्मीर प्रशासन का कहना था कि वो केंद्र के हलफनामे की जांच कर जवाबी हलफनामा दाखिल करेगा.

जम्मू कश्मीर 4जी सर्विस बहाली केस में सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल

दरअसल सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से हुज़ेफ़ा अहमदी ने कहा कि 4 जी इंटरनेट की बहाली के संबंध में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल द्वारा एक मीडिया वक्तव्य है जिसमें कहा गया है कि इंटरनेट को बहाल करने के लिए सिफारिश भेजी गई है. केंद्र द्वारा दायर हलफनामे में स्पष्ट कहा गया है कि समिति का कहना है कि इंटरनेट को बहाल नहीं किया जाना चाहिए लेकिन हम इस पर निर्णय लेने के लिए केंद्र शासित प्रदेश पर छोड़ देते हैं. यदि आईटी के प्रमुख कह रहे हैं कि 4 जी को बहाल किया जाना चाहिए तो उन्हें ऐसा करना चाहिए. 

इससे पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से इस संबंध में जवाब मांगा था. वहीं, केंद्र ने हलफनामा दाखिल कर कहा है कि 4G के मुद्दे पर गौर करने के लिए गठित विशेष समिति ने सेवाओं को फिर से शुरू करने के खिलाफ फैसला किया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने 21 जुलाई को दायर हलफनामे में, केंद्र सरकार के खिलाफ एक अवमानना याचिका के जवाब में, कहा कि समिति दो महीने बाद अपने फैसले की समीक्षा करेगी. इसका मतलब ये है कि कम से कम अगले दो महीने केंद्र शासित प्रदेश में 4 जी इंटरनेट बहाल नहीं होंगी. 

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को एक हफ्ते में 4जी मोबाइल सेवा की समीक्षा करने के लिए स्पेशल कमेटी के गठन संबंधी पूरी जानकारी का जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा था. केंद्र, जम्मू-कश्मीर  प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि कोर्ट के आदेशों के तहत इंटरनेट बैन की समीक्षा के लिए स्पेशल कमेटी का गठन किया गया है और कमेटी ने 4G संबंधी फैसले भी लिए हैं. 

AG के के वेणुगोपाल ने कहा था कि ये अवमानना का मामला नहीं है क्योंकि कमेटी का गठन किया गया है. कोर्ट ने कहा कि कुछ भी सार्वजनिक जानकारी में नहीं है. अदालत ने पूछा था कि क्या कमेटी के बारे में पब्लिक डोमेन में जानकारी दी गई है?  अदालत ने पूछा था कि जब मई के आदेश तहत कमेटी का गठन किया गया है तो इसे पब्लिक डोमेन में क्यों नहीं डाला गया. केंद्र ने कहा था कि वो जल्द ही सारी जानकारी का हलफनामा दाखिल करेगा.  

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