देश जालियांवाला बाग की 100वीं बरसी पर आज(शनिवार) शहीदों को याद कर रहा है. वर्ष 1919 में अमृतसर में हुए इस नरसंहार में हजारों लोग मारे गए थे लेकिन ब्रिटिश सरकार के आंकड़ें में सिर्फ 379 की हत्या दर्ज की गई है.ब्रिटिश सरकार ने इस हत्याकांड में अब तक माफी नहीं मांगी है. हालांकि जब डेविड कैमरन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने इस घटना पर खेद प्रकट किया था.100वीं बरसी पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू सहित तमाम गणमान्य हस्तियों ने मेमोरियल पहुंचकर शहीदों को याद किया. भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त सर डोमिनिक एस्किथ ने सुबह जलियांवाला बाग स्मारक पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी.इस दौरान उन्होंने विजिटर डायरी में लिखे अपने नोट में जलियांवाला बाग की घटना को ब्रिटिश-भारत इतिहास की सबसे शर्मनाक घटना करार दिया.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविदं ने जलियावाला की तस्वीर ट्वीट करते हुए कहा-सौ साल पहले हमारे प्रिय स्वतंत्रता सेना जलियावाला बाग में शहीद हुए थे. उस सभ्यता पर कलंकस्वरूप उस भयानक नरसंहार को भारत कभी भुला नहीं सकता. इस मौके पर हम जलियांवाला के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा- जलियांवाला बाग के भयानक नरसंहार के शहीदों को हम श्रद्धांजलि देते हैं. उनकी वीरता और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. आज, जब हम भयावहर जलियांवाला बाग नरसंहार के सौ सालों को देखते हैं तो शहीदों की स्मृति हमें भारत के निर्माण के लिए और भी अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है, जिस पर उन्हें गर्व होगा.
Today, when we observe 100 years of the horrific Jallianwala Bagh massacre, India pays tributes to all those martyred on that fateful day. Their valour and sacrifice will never be forgotten. Their memory inspires us to work even harder to build an India they would be proud of. pic.twitter.com/jBwZoSm41H
— Chowkidar Narendra Modi (@narendramodi) April 13, 2019
पंजाब सरकार ने की है ब्रिटेन से माफी मांगने की मांग
अमृतसर में हुए जलियावाला बाग नरसंहार के 100वें वर्ष में प्रवेश करने पर फरवरी में ही पंजाब विधानसभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित हुआ था, जिसके तहत केंद्र पर दुनिया के सबसे बड़े नरसंहारों में शामिल जलियावाला बाग कांड के लिए ब्रिटिश सरकार से माफी की मांग करने के लिए दवाब डालने की बात कही गई. इस नरसंहार में सैकड़ों लोग मारे गए थे.प्रस्ताव के अनुसार, 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन हुए नरसंहार के लिए माफी शहीदों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी.संसदीय कार्य मंत्री ब्रह्म मोहिंद्र यह प्रस्ताव लाए जो मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अगुआई में एक वॉइस नोट के जरिए सर्वसम्मति से पारित हो गया.मोहिंद्र ने कहा, "यह 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के पवित्र दिन जलियावाला बाग में अंग्रेज शासन के रॉलट अधिनियम के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठे हुए मासूम लोगों पर किया गया एक नृशंस कृत्य था।"
मंत्री ने कहा, "यहां तक कि तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने भी उस गैर-जिम्मेदाराना कृत्य की गंभीरता महसूस की थी जो जनरल डायर को ब्रिटिश आर्मी से समय से पहले ही सेवानिवृत्त करने से साबित होता है।"उन्होंने कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्र नाथ टैगोर ने भी इसके विरोध में अपनी नाइटहुड की उपाधि लौटा दी थी.मोहिंद्र ने कहा कि नरसंहार से प्रभावित भारतीयों को शांत करने के लिए भारत सरकार के पास ब्रिटिश सरकार से माफी मंगवाने का सबसे उपयुक्त समय है.
उधम सिंह ने लिया था बदला
देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए सैकड़ों युवाओं ने जान की बाजी लगा दी थी. ऐसे ही एक महान क्रांतिकारी थे, पंजाब में जन्में भारत माता के अमर सपूत ऊधम सिंह. ऊधम सिंह ने 1919 में हुए बर्बर जलियांवाला बाग नरसंहार का 13 मार्च,1940 को बदला लिया था. जब प्रतिशोध स्वरूप लंदन जाकर पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गर्वनर माइकल ओ डायर की हत्या कर दी थी. इस आजादी के दीवाने ने 13 मार्च,1940 को उस पर ताबड़तोड़ गोलियां चला कर प्रतिशोध लिया और बहादुरी की एक मिसाल कायम की.
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