विज्ञापन
This Article is From Dec 21, 2020

किसान नेताओं ने कहा- सरकार के पत्र में कुछ भी नया नहीं, केंद्र को पेश करना होगा ठोस समाधान

कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने करीब 40 किसान संगठनों के नेताओं को रविवार को पत्र लिखकर कानून में संशोधन के पूर्व के प्रस्ताव पर अपनी आशंकाओं के बारे में उन्हें बताने और अगले चरण की वार्ता के लिए सुविधाजनक तारीख तय करने को कहा है.

"हम चर्चा कर रहे हैं कि सरकार के पत्र का किस तरह जवाब दिया जाए.’’

नई दिल्ली:

किसान नेताओं ने सोमवार को कहा कि अगर सरकार ‘‘ठोस समाधान'' पेश करती है तो वे हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन दावा किया कि वार्ता के लिए अगले तारीख के संबंध में केंद्र के पत्र में कुछ भी नया नहीं है. भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि वह नए कृषि कानूनों में संशोधन के पूर्व के प्रस्ताव पर बात करना चाहती है. टिकैत ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘इस मुद्दे पर (सरकार के प्रस्ताव), हमने उनके साथ पहले बातचीत नहीं की थी. फिलहाल हम चर्चा कर रहे हैं कि सरकार के पत्र का किस तरह जवाब दिया जाए.'' नौ दिसंबर को छठे चरण की वार्ता स्थगित कर दी गयी थी.

कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने करीब 40 किसान संगठनों के नेताओं को रविवार को पत्र लिखकर कानून में संशोधन के पूर्व के प्रस्ताव पर अपनी आशंकाओं के बारे में उन्हें बताने और अगले चरण की वार्ता के लिए सुविधाजनक तारीख तय करने को कहा है ताकि जल्द से जल्द आंदोलन खत्म हो. एक और किसान नेता अभिमन्यु कोहार ने कहा, ‘‘उनके पत्र में कुछ भी नया नहीं है. नए कृषि कानूनों को संशोधित करने का सरकार का प्रस्ताव हम पहले ही खारिज कर चुके हैं. अपने पत्र में सरकार ने प्रस्ताव पर हमें चर्चा करने और वार्ता के अगले चरण की तारीख बताने को कहा है.''

उन्होंने कहा, ‘‘क्या उन्हें हमारी मांगें पता नहीं हैं? हम बस इतना चाहते हैं कि नए कृषि कानून वापस लिए जाएं.'' अग्रवाल ने पत्र में कहा है, ‘‘विनम्रतापूर्वक अनुरोध है कि पूर्व आमंत्रित आंदोलनरत किसान संगठनों के प्रतिनिधि शेष आशंकाओं के संबंध में विवरण उपलब्ध कराने तथा पुन: वार्ता हेतु सुविधानुसार तिथि से अवगत कराने का कष्ट करें.'' अग्रवाल ने पत्र में कहा कि देश के किसानों के ‘‘सम्मान'' में एवं ‘‘पूरे खुले मन'' से केंद्र सरकार पूरी संवेदना के साथ सभी मुद्दों के समुचित समाधान के लिए प्रयासरत है.

अग्रवाल ने कहा कि इसलिए सरकार द्वारा आंदोलनरत किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ कई दौर की वार्ता की गई. किसानों और केंद्र सरकार के बीच पांचवें दौर की बातचीत के बाद नौ दिसंबर को वार्ता स्थगित हो गई थी क्योंकि किसान यूनियनों ने कानूनों में संशोधन तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रखने का लिखित आश्वासन दिए जाने के केंद्र के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया था.

यह भी पढ़ें- "पीएम, अमित शाह को जिम्मेदार ठहराया जाए": खुदकुशी की कोशिश करने वाले किसान की प्रतिक्रिया

दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान कड़ाके की सर्दी में पिछले लगभग चार सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं और नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. इनमें ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं.  दोआबा किसान समिति के महासचिव अमरजीत सिंह रर्रा ने कहा कि किसान सरकार के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं लेकिन उन्हें ठोस समाधान के साथ आना होगा. रर्रा ने कहा, ‘‘हमने उनके प्रस्ताव का अध्ययन कर लिया है और बार बार उनसे कहा है कि हम चाहते हैं कि कानून वापस लिए जाएं.''

क्रांतिकारी किसान यूनियन के गुरमीत सिंह ने कहा कि किसान नेताओं के अगले कदम के लिए मंगलवार को बैठक करने की संभावना है. उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने प्रस्ताव पहले ही भेज चुके हैं और सरकार के प्रस्तावों को लेकर हमने मुद्दे से अवगत भी कराया है. उन्हें बताना चाहिए कि हम उनसे क्या सब कह चुके हैं.''

गुरमीत सिंह ने कहा, ‘‘मंगलवार को संयुक्त मोर्चा की बैठक होगी और फैसला किया जाएगा कि सरकार को क्या जवाब देना चाहिए. हम सरकार के पत्र का आकलन करेंगे और फिर इस पर फैसला करेंगे.'' सरकार के साथ वार्ता में अब तक परिणाम क्यों नहीं निकले हैं, यह पूछे जाने पर उन्होंने आरोप लगाया कि तीनों कानून ‘‘किसान विरोधी'' हैं और सरकार किसानों और आम लोगों के बजाए कारोबारियों का पक्ष ले रही है .

केंद्र सरकार सितंबर में पारित तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे.
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com