
Kabootar Potty se Bimari: महाराष्ट्र सरकार ने बीएमसी को आदेश दिया है कि मुंबई में मौजूद सभी कबूतर खाने (जहाँ कबूतरों को दाना डाला जाता है) को तुरंत बंद किया जाए. इसकी वजह है — कबूतरों की बीट और पंखों से फैलने वाली बीमारियाँ, खासकर सांस से जुड़ी समस्याएं. राज्य विधान परिषद में इस मुद्दे को शिवसेना की नेता और मनोनीत सदस्य मनीषा कयांडे ने उठाया. उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में ये कबूतर खाने हैं, वहाँ रहने वाले लोगों की सेहत को खतरा है. कबूतरों का मल और पंख वातावरण में उड़ते हैं, जिससे फेफड़ों से जुड़ी बीमारियाँ जैसे एलर्जी और अस्थमा बढ़ सकते हैं. सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है ताकि शहरवासियों को सुरक्षित वातावरण मिल सके.'
आज के समय में ये बेहद ही कॉमन हो गया है कि लोग कबूतरों को दाना डालते हैं और खिलाते हैं. बीते कुछ समय से ये प्रचलन कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है. हालांकि किसी को खाना खिलाना भलाई का काम है लेकिन ऐसी भलाई का क्या फायदा जिसमें आपकी जिंदगी के लेने के देने हो जाएं. जी हां, आपको बता दें कि कबूतरों के पंखों और उनकी बीट से आपके लंग्स को बेहद नुकसान पहुंचता है. इसकी वजह से आप कई गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं. इस बारे में जानकारी लेने के लिए हमने बात की प्रोफेसर. (डॉ.) अरविंद कुमार से ( चेयरमैन, लंग ट्रांसप्लांट मेदांता गुरूग्राम). उन्होंने बताया कि किस तरह के कबूतर आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचाकर आपकी गंभीर बीमारी की चपटे में ला रहे हैं.
कबूतर से लंग्स को खतरा
डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि, कबूतर की जो बीट होती है जब वो गिरती है औप जब वो एक जगह पर सारे इक्ट्ठे होते हैं तो वहां बीट करते हैं, वहीं उड़ते हैं, पंख उड़ाते हैं तो वो चीज वहां से धूल के रूप में उड़ती है. अगर आप वहां हैं और आपने वो इन्हेल कर लिया तो एक तरह की हाईपर सेंसटिविटी न्यूमोनाइटिस कॉस करती है. जिसको कॉमन लैंग्वेज में बोले तो एक तरह की एलर्जिक स्वैलिंग लंग में पैदा करती है. लंग में स्वैलिंग हो जाती है एलर्जी की वजह से और जब वो सूज जाती है तो लंग में कार्बन और ऑक्सीजन का आदान-प्रादान रोक देती है. और कभी कभी ये प्रोसेस इतना सीरियस हो जाता है कि वो सूजने के बाद आगे बढ़ता रहता है और आखिर में सूजन सिकुड़न में बदल जाती है.
इसकी शुरूआत स्वैलिंग से होती है और फिर ये लंग्स कॉन्ट्रैक्टेड फाइब्रो यानि को वो बिल्कुल कठोर हो जाते हैं. जिसकी वजह से उनमें ओपन क्लोज होने की क्षमता खत्म हो जाती है. ऑक्सीजन और कॉर्बन के आदान प्रदान की क्षमता खत्म हो जाती है और फिर पेशेंट लंग फेलियर की आखिरी स्टेज में चला जाता है. कई बार लोगों की इसकी वजह से डेथ भी हो जाती है. डॉ. ने बताया कि भारत में लंग ट्रांसप्लांट का ये कॉमन इंडिकेशन है. कबूतरों को जो खाना खिलाने का जो कॉमन प्रचलन है ये वास्तव में बहुत बड़ा हेल्थ के लिए इश्यू है लोगों के लंग्स के लिए.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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