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आदान काल में इम्यूनिटी होने लगती है कमजोर, 2 महीने तक रहना पड़ता है सतर्क, शरीर में बढ़ने लगते हैं दोष

आयुर्वेदानुसार इस काल में सूर्य और वायु की प्रकृति प्रबल होती है जो शरीर से और धरती से शीतल गुणों को सोख लेती है. चरक संहिता में इसकी व्याख्या है.

आदान काल में इम्यूनिटी होने लगती है कमजोर, 2 महीने तक रहना पड़ता है सतर्क, शरीर में बढ़ने लगते हैं दोष
Aadan Kaal: आयुर्वेद में वर्तमान समय 'आदान काल' माना गया है.

आयुर्वेद हमें हेल्दी रहने के सरल और प्राकृतिक तरीके सिखाता है. यह सिर्फ इलाज नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल का सही मार्गदर्शन भी करता है. इससे हम न केवल स्वस्थ रहते हैं, बल्कि ऊर्जा से भरपूर भी महसूस करते हैं. आयुर्वेद में वर्तमान समय 'आदान काल' माना गया है. यह लगभग मध्य मई से मध्य जुलाई तक चलता है. यह वह समय है जब सूर्य उत्तर की ओर बढ़ता है और हमारे शरीर से ऊर्जा को शोषित करता है. इस दौरान हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने लगती है.

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आदान काल में बढ़ता है वात दोष

'आदान काल' में हमारे शरीर में 'कटु रस' यानी तीखा स्वाद बढ़ जाता है. आयुर्वेद के अनुसार, इस तीखे स्वाद की वृद्धि से शरीर में वात दोष बढ़ने लगता है. यह वात दोष शरीर में जमा होने लगते हैं, जो आगे चलकर बारिश के मौसम में शरीर में कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकते हैं. बता दें कि वर्षा ऋतु मध्य जुलाई से मध्य सितंबर तक रहती है.

इस दौरान रखें हल्की डाइट

आयुर्वेदानुसार इस काल में सूर्य और वायु की प्रकृति प्रबल होती है जो शरीर से और धरती से शीतल गुणों को सोख लेती है. चरक संहिता में इसकी व्याख्या है. इस काल में शरीर पर कई प्रभाव पड़ते हैं, जैसे कि गर्मी, पसीने और अन्य विकार. इन परिस्थितियों से निपटने के लिए आहार हल्का होना चाहिए.

खानपान का रखें खास ध्यान

आयुर्वेदाचार्यों का कहना है कि इस मौसम में खानपान का खास ध्यान रखने से लाभ मिलता है. खासकर वे लोग जो न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर जैसे मसल्स और नसों से जुड़ी बीमारियों या ऑटोइम्यून बीमारियों से पीड़ित हैं, उन्हें इस समय खास सावधानी बरतनी चाहिए. इन बीमारियों में शरीर की इम्यूनिटी खुद की सेल्स पर हमला करती है, जिससे तबीयत और बिगड़ सकती है.

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तीखा, खट्टा और तला भुना खाने से बचें

ऋतुचर्या सिद्धांतों को फॉलो करना भी इस काल में बेहद जरूरी है. ऋतुचर्या, यानी मौसम के अनुसार खान-पान, रहन-सहन और रूटीन में बदलाव करना स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद करता है. उदाहरण के लिए, ग्रीष्म ऋतु में हल्का, ठंडा और सुपाच्य भोजन लेना चाहिए. ज्यादा तीखा, खट्टा या तला हुआ भोजन करने से बचना चाहिए क्योंकि यह वात को और बढ़ा सकता है.

साथ ही, नियमित व्यायाम, योग और ध्यान से शरीर और मन दोनों को संतुलित रखा जा सकता है. तनाव से बचना और अच्छी नींद लेना भी जरूरी है, क्योंकि यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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