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This Article is From Jan 10, 2023

Emotional Detachment: ​कहीं आप भी इमोशनल डिटैचमेंट की समस्या के शिकार तो नहीं! ऐसे करें पहचान और बचाव

Emotional Detachment: हमारी जिंदगी में भावनाओं और अपनेपन का बहुत महत्व होता है. अपनेपन से ही रिश्ते बनते हैं और हमारे अपनों से जीवन खुशनुमा हो जाता है.

Emotional Detachment: ​कहीं आप भी इमोशनल डिटैचमेंट की समस्या के शिकार तो नहीं! ऐसे करें पहचान और बचाव
Emotional Detachment: इमोशनल डिटैचमेंट को ऐसे पहचानें.

हमारी जिंदगी में भावनाओं और अपनेपन का बहुत महत्व होता है. अपनेपन से ही रिश्ते बनते हैं और हमारे अपनों से जीवन खुशनुमा हो जाता है. अगर आप समाज में, परिवार में किसी व्यक्ति से भावनात्मक रूप से जुड़ाव महसूस नहीं कर रहे हैं तो कहीं ना कहीं आप भावनात्मक अलगाव के शिकार हो रहे हैं. आप लोगों से अलग हो रहे हैं, इसलिए आप लोगों की भावनाओं को उनके अनुभवों को सही ढंग से पहचान नहीं पा रहे हैं. अगर आप यह समस्या महसूस कर रहे हैं तो आपका मानसिक स्वास्थ्य इससे प्रभावित हो सकता है. इस समस्या से आप कैसे निकले आइए जानते हैं.


कैसे जानें इमोशनल डिटैचमेंट को- How To Know Emotional Detachment:

भावनाएं एक दूसरे को जोड़ने के लिए काफी मददगार होती हैं. जबकि भावनात्मक अलगाव आपको हर एक व्यक्ति से अलग कर सकता है. इसलिए सबसे पहले इमोशनल डिटैचमेंट को आप जानें. अगर कोई व्यक्ति भावनात्मक अलगाव से ग्रस्त है तो दुनिया से खुद को अलग और कटा हुआ महसूस करता है. हालांकि मनोविज्ञानी इसको कोई बीमारी का नाम नहीं देते हैं. लेकिन मान्यता यह है कि ऐसे लक्षण अगर आप में है तो आप डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं. इसलिए सबसे पहले आप भावनात्मक अलगाव के लक्षण को पहचानें.  क्योंकि भावनात्मक अलगाव आपके रोजमर्रा की जिंदगी, आपके रिश्ते, आपके संबंध बनाए रखने की क्षमता में बाधा डाल सकते हैं. 

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भावनात्मक अलगाव से निपटने के लिए आजमाएं ये टिप्स- Tips To Deal With Emotional Detachment:

भावनात्मक अलगाव या इमोशनल अटैचमेंट हमारे रिश्ते को खराब करता है. वहीं, रिश्ते बचाए रखना हमारी आज की बहुत बड़ी जरूरत है. इसीलिए भावनात्मक अलगाव से निपटने के लिए आप अपनी लाइफ में कुछ टिप्स आजमा सकते हैं. अगर आप में अपनी बातें दूसरों के साथ शेयर करने की आदत नहीं है तो उसे एक कॉपी में लिख सकते हैं. यानि अपनी भावनाएं और विचारों को आप लिखकर कह सकते हैं, इससे मन हल्का होता है. समस्या से निपटने के लिए आप ध्यान और चेतना का अभ्यास भी कर सकते हैं.  सकारात्मक दृष्टिकोण से जागरूकता आती है इसलिए अपना दृष्टिकोण हमेशा पॉजिटिव रखें. जिन पर आप भरोसा करते हैं उनको अपने करीब रखने की कोशिश करें. 

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नशे से दूर रहें, अच्छी नींद लें, इससे मस्तिष्क को आराम मिलता है. एक ऐसी जीवनशैली अपनाएं जिसमें आप संतुलित आहार लें, टीवी कम देखें, सोशल मीडिया का भी कम इस्तेमाल करें, अपने लोगों से ज्यादा से ज्यादा बातचीत करें. उनकी सुने और अपने अनुभव उनको शेयर करें. इसके अलावा कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी इस अवस्था में आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं. ऐसा करने के बाद भी आपको कुछ ऐसा महसूस होता है कि आपका मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो आप डॉक्टर की मदद ले सकते हैं.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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