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गोवा में 'रेन डॉग्स' एग्जिबिशन की ओपनिंग, स्ट्रीट डॉग्स के इन मुद्दों पर होगी चर्चा

Rain Dogs Exhibition: चर्चा में मौजूद पैनलिस्ट गोवा और पूरे भारत में आवारा जानवरों की स्थिति पर विस्तार में चर्चा करेंगे. साथ ही इसमें सरकारी नियमों और समाज के दृष्टिकोण की भी बात होगी.

गोवा में 'रेन डॉग्स' एग्जिबिशन की ओपनिंग, स्ट्रीट डॉग्स के इन मुद्दों पर होगी चर्चा
स्ट्रीट डॉग्स को लेकर होगी चर्चा
  • सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में शिफ्ट करने का आदेश दिया था
  • गोवा के म्यूजियम ऑफ गोवा में रेन डॉग्स नामक स्ट्रीट डॉग्स की तस्वीरों की एग्जिबिशन आयोजित की जा रही है
  • फोटोग्राफर रोहित चावला ने कोविड काल में गोवा के बीचों पर आवारा कुत्तों की तस्वीरें लेकर बुक लिखी है
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स्ट्रीट डॉग्स यानी आवारा कुत्तों को लेकर देशभर में बहस जारी है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि दिल्ली-एनसीआर में मौजूद तमाम आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में शिफ्ट किया जाए. इसे लेकर पेट लवर्स और एक्टिविस्ट ने याचिका दायर की, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अब अपना आदेश सुरक्षित रखा है. इसी बहस के बीच गोवा में एक ऐसी एग्जिबिशन लग रही है, जिसमें लोग स्ट्रीट डॉग्स की कहानी को तस्वीरों में देख सकते हैं. मशहूर फोटोग्राफर रोहित चावला ने ये तस्वीरें कलेक्ट की हैं और इन्हें लेकर 'रेन डॉग्स' नाम की एक किताब भी लिखी है. 

आवारा जानवरों को लेकर होगी चर्चा

म्यूजियम ऑफ गोवा में 17 अगस्त को सुबह 11:30 से 'रेन डॉग्स' एग्जिबिशन की शुरुआत होगी. साथ ही इस दौरान इस मुद्दे पर चर्चा भी होगी. इस बातचीत में रोहित चावला के साथ काथरीना काकर, अतुल सारिन और हेमाली सोढी होंगे. 2023 में कान में भारत का पहला इंडस्ट्री क्राफ्ट गोल्ड लायन पुरस्कार पाने वाले और 2024 में स्पाइक्स एशिया और एब्बीज में दो ग्रैंड प्रिक्स अवॉर्ड पाने वाले रोहित 'रेन डॉग्स' के जरिए एक कहानी लोगों के बीच ला रहे हैं. इसे लेकर रोहित चावला कहते हैं कि स्ट्रीट डॉग्स की ये तस्वीरें उनकी जिंदगी और बेबसी को दिखाती हैं.

उनके साथ मौजूद पैनलिस्ट गोवा और पूरे भारत में आवारा जानवरों की स्थिति पर विस्तार में चर्चा करेंगे. साथ ही इसमें सरकारी नियमों और समाज के दृष्टिकोण की भी बात होगी. इसमें इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश होगी कि क्यों आवारा जानवरों की तरफ ध्यान देना हमारे विकसित और तेजी से शहरीकृत समाज में एक चिंता का विषय बना हुआ है. 

कैसे लिखी 'रेन डॉग्स' किताब?

कोविड के दौर में जब सब कुछ शांत था और महामारी से बचने के लिए हर कोई अपने घरों में था, तब रोहित चावला ने गोवा में मानसून के दौरान कई चीजों को एक्सपीरियंस किया. इस दौरान सारे बीच सूने पड़े थे और वहां आवारा कुत्तों के अलावा कोई और नहीं दिखता था. फोटोग्राफर के लिए ये एक नया अनुभव था, जिसमें उन्होंने खुद को अकेला पाया. जब वो बीच पर चलते थे तो उनके पीछे-पीछे आवारा कुत्ते भी चलने लगते, ये देखकर उन्होंने तस्वीरें लेना शुरू किया. जो आवारा कुत्ते गोवा के बीच पर पार्टी के बाद बचे हुए खाने को खाकर अपना जश्न मनाया करते थे, वो अब पूरी तरह से मायूस थे. इन्हें समाज ने पूरी तरह से भुला दिया था. इसी भाव से रोहित ने तस्वीरों का एक कलेक्शन तैयार किया, जिसे उन्होंने तीन साल बाद फिर से देखा और फिर इस पर किताब लिखने का मन बनाया, हालांकि इस किताब में रोहित के अलावा करीब 30 राइटर्स का योगदान है. जिन्होंने बिना किसी पैसे के इसमें अपना अनुभव शेयर किया और अब इसकी रॉयल्टी एनिमल वेलफेयर पर काम करने वाली संस्थाओं को दी जाएगी. फिलहाल उनकी एग्जिबिशन और स्ट्रीट डॉग्स पर चर्चा उन लोगों के लिए काफी खास हो सकती है, जो आवारा पशुओं को लेकर काम करते हैं. 

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