
- केंद्र सरकार ने मौजूदा चार टैक्स स्लैब वाले GST सिस्टम को 2 टैक्स स्लैब में बदलने का प्रस्ताव दिया है.
- प्रस्ताव के अनुसार फूड आइटम, दवाएं, शिक्षा और रोजमर्रा के सामानों को 0 या 5% स्लैब में रखा जा सकता है.
- प्रस्ताव की समीक्षा तीन मंत्रियों के समूह द्वारा की जाएगी, जिसके बाद GST काउंसिल में अंतिम निर्णय लिया जाएगा.
निलेश कुमार | Good News for Middle Class: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर कई बड़ी घोषणाएं की, जिसमें GST पर बड़ी राहत का संकेत भी शामिल है. पीएम मोदी ने 'नेक्स्ट-जेन' जीएसटी का ऐलान करते हुए बताया कि दिवाली पर आम लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है. खबर है कि केंद्र सरकार ने मौजूदा 4 टैक्स स्लैब वाले GST सिस्टम को 2 टैक्स स्लैब में बदलने का प्रस्ताव दिया है. अभी जो 5, 12, 18 और 28 फीसदी वाली व्यवस्था है, इसके बदले केवल 5 और 18 फीसदी वाली व्यवस्था होगी. हालांकि इसके अलावा चुनिंदा डीमेरिट गुड्स (Sin Goods) के लिए हाई टैक्स स्ट्रक्चर लागू होगा, जो कि 40% हो सकता है.
'डीमेरिट गुड्स' के तहत वो सामान या सर्विसेज आती हैं, जिनका इस्तेमाल समाज के लिए हानिकारक माना जाता है. जैसे कि सिगरेट, गुटखा, तंबाकू, ऑनलाइन गेमिंग वगैरह. सरकारी सूत्रों के अनुसार, केंद्र ने विस्तृत प्रस्ताव बनाकर GST स्पेसिफिक तीन मौजूदा मंत्री समूह (GoMs) को भेजा है. प्रस्ताव पर GST काउंसिल के विचार करने से पहले ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स इसकी समीक्षा करेंगे. ये प्रस्ताव लागू होता है तो ये 2017 के बाद GST दरों में सबसे बड़ा बदलाव होगा, जिससे बड़ी संख्या में मिडिल क्लास, किसानों और प्रमुख उद्योगों को त्योहारी सीजन से पहले व्यापक लाभ मिलेगा.
आम लोगों को मिल सकती है बड़ी राहत
नई GST व्यवस्था को लेकर कहा जा रहा है कि ये आम लोगों के लिए बड़ी राहत लेकर आ सकती है. सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि फूड आइटम्स, दवाएं, शिक्षा और रोजमर्रा के सामानों को शून्य (Nil) या 5% की श्रेणी में रखने का प्रस्ताव है, ताकि ये किफायती बन सकें. वहीं कृषि उपकरणों पर GST को 12% से घटाकर 5% करने का प्रस्ताव है.

इंश्योरेंस प्रीमियम पर GST को 18% से घटाकर 5% या शून्य करने का भी प्रस्ताव है, जिसको लेकर लंबे समय से मांग की जा रही थी. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी इंश्योरेंस सेवाओं पर राहत की सिफारिश कर चुके हैं.
सूत्रों के अनुसार, टीवी, एसी, फ्रिज और वॉशिंग मशीन जैसी घर की जरूरत वाली चीजों पर GST दरों को मौजूदा 28% से घटाकर 18% तकि किया जा सकता है. वहीं ऑनलाइन गेमिंग और कुछ अन्य 'डीमेरिट गुड्स' पर 40% टैक्स लगाया जा सकता है.
12% और 28% स्लैब का क्या होगा?
जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा कि प्रस्ताव में दो-स्लैब GST संरचना है. मौजूदा 4-टियर प्रणाली की जगह 5% और 18% की दो-स्लैब वाली दरें होंगी. ऐसे में सवाल है कि 12% स्लैब और 28% स्लैब का क्या होगा? इन दोनों स्लैब में आने वाले सामानों पर कितना टैक्स लगेगा?

बताया जा रहा है कि 12% स्लैब के 99% आइटम को 5% में ले जाने की उम्मीद है. यानी ये आम लोगों के लिए एक बड़ राहत हो सकती है. वहीं 28% स्लैब को लेकर भी कहा जा रहा है कि इसके तहत आने वाले 90% आइटम को 18% में लाने की उम्मीद है. केवल लग्जरी सामान और डीमेरिट गुड्स ही हाई टैक्स स्लैब में रहेंगे.
किन सामानों पर कितने GST का प्रस्ताव?
- जरूरी सामान: भोजन, दवाइयां, शिक्षा और रोजमर्रा के सामानों को शून्य या 5% पर रखा जा सकता है.
- घर की जरूरत: टीवी, रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन पर GST 28% से घटाकर 18% हो सकता है.
- कृषि उपकरण: स्प्रिंकलर और फार्म मशीनरी पर GST 12% से घटाकर 5% किया जा सकता है.
- बीमा सेवाएं: बीमा सेवाओं पर GST को 18% से घटाकर 5% या शून्य किया जा सकता है.
- स्वास्थ्य सेवा: दवाओं और चिकित्सा उपकरणों पर GST कम करने का प्रस्ताव है ताकि वे किफायती बनें.
- पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स: फिलहाल पेट्रोलियम उत्पादों को GST से बाहर रखा जाएगा.
- विशेष दरें: हीरे पर 0.25% और सोने-चांदी पर 3% की विशेष दरें शायद नहीं बदली जाएंगी.
- ऑनलाइन गेमिंग: ऑनलाइन गेमिंग को 'डीमेरिट' गतिविधि मानकर 40% GST स्लैब में रखा जाएगा.

...और क्या प्रस्ताव शामिल हैं?
कपड़ा और उर्वरक सेक्टर में इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को ठीक करने का प्रस्ताव है. ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स और नमकीन जैसे क्षेत्रों में वर्गीकरण संबंधी मुद्दों को हल करने की जरूरत बताई गई है. प्रशासनिक और अनुपालन सुधारों का भी प्रस्ताव है. निर्बाध GST पंजीकरण के लिए एक तकनीकी प्रक्रिया के माध्यम से 95% आवेदनों को 3 दिनों के भीतर मंजूरी दिए जाने का प्रस्ताव है.
प्री-फिल्ड GST रिटर्न व्यवस्था के तहत, मैनुअल त्रुटियों और बेमेल आंकड़ों (mismatches) को कम करने के लिए पहले से भरे हुए GST रिटर्न का प्रस्ताव रहेगा. एक्सपोर्टर्स के लिए ऑटोमैटिक रिफंड की व्यवस्था का भी प्रस्ताव दिया गया है.
क्या सरकार का खजाना कम होगा?
वर्तमान GST राजस्व हिस्सेदारी की बात करें तो 18% स्लैब के अंतर्गत आने वाले सामानों से सरकारी खजाने में सबसे ज्यादा राजस्व आता है. इस कैटगरी के सामानों से सरकारी राजस्व का 65% हिस्सा आता है. दूसरे नंबर पर आते हैं 28% टैक्स स्लैब वाले सामान, जिनसे 11% आता है. वहीं 12 फीसदी वाले टैक्स स्लैब से 5% और 5 फीसदी वाले टैक्स स्लैब से 7% राजस्व आता है. केंद्र को उम्मीद है कि अनुपालन में बढ़ोतर और टैक्स बेस के विस्तार से राजस्व में होने वाले किसी भी संभावित नुकसान की भरपाई हो जाएगी.

फिलहाल प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसकी समीक्षा तीन मंत्रियों वाला समूह (GoMs) करेगा. उनकी सिफारिशें GST काउंसिल को भेजी जाएंगी, जो उन्हें स्वीकार, संशोधन या अस्वीकार कर सकती है. GST काउंसिल की बैठक सितंबर या अक्टूबर में हो सकती है. यानी दिवाली पर आपको गुड न्यूज मिलने की पूरी संभावना रहेगी.
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