बर्मिंघम: सभी जानवर अपने जीवन के दौरान उम्र बढ़ने का अनुभव नहीं करते हैं. कुछ जानवरों का शरीर हमारे शरीर की तरह उम्र बढ़ने के साथ-साथ धीरे-धीरे खराब नहीं होता है, लेकिन मनुष्य जब 30 साल की आयु तक पहुंचते हैं तो उनके मरने की संभावना लगभग हर आठ साल में दोगुनी हो जाती है. इसलिए भले ही आप शतायु होने के लिए भाग्यशाली हों, लेकिन हर साल आपके मरने की संभावना ज्यादा होगी.
यह हाई मोर्टेलिटी रेट कई हेल्थ प्रोब्लम्स का संकेत है, जैसे मांसपेशियों का कमजोर होना, कॉग्नेटिव डिक्लाइन, आंखों और सुनने की क्षमता कम होना और कई दूसरे बदलाव भी मानव उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को दर्शाते हैं. मनुष्य की उम्र इतनी कम होने का कारण यह फैक्ट हो सकता है कि हमारे पूर्वज डायनासोर के समय में विकसित हुए थे. अन्य स्तनधारियों की तुलना में मनुष्य का जीवन लंबा होता है और सभी स्तनधारियों में से केवल व्हेल ही संभवतः हमसे ज्यादा जीवित रहती हैं.
इन जीवों में नहीं दिखते उम्र बढ़ने के लक्षण:
हम जानते हैं कि व्हेल और डॉल्फिन की प्रजातियां मेनोपॉज से गुजरती हैं और सभी स्तनधारियों में उम्र के साथ किसी न किसी रूप में प्रजनन में गिरावट देखी जाती है. सभी अध्ययन किए गए स्तनधारियों में उम्र बढ़ने और उम्र के साथ मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी देखी गई है, लेकिन सरीसृपों और मछलियों की कई प्रजातियों में उम्र बढ़ने के लक्षण नहीं दिखते हैं. उदाहरण में कछुए, सैलामैंडर और रॉकफिश शामिल हैं.
कछुए मनुष्यों से ज्यादा जीते हैं:
2022 में साइंस में प्रकाशित सरीसृपों और उभयचरों की 77 प्रजातियों के एक अध्ययन से पता चला है कि सरीसृपों और उभयचरों की कई प्रजातियों में मृत्यु दर में उम्र का बढ़ना नहीं देखा जाता है. ऐसा लगता है मानो इन जानवरों की उम्र ही नहीं होती. इनमें से कुछ जानवर, जैसे कछुए, संभवतः मनुष्यों की तुलना में ज्यादा समय तक जीवित रहते हैं.
शायद अगर हम लंबे समय तक इन उम्र बढ़ने वाली प्रजातियों का अध्ययन करें तो उनमें उम्र बढ़ने के लक्षण दिखाई देंगे, लेकिन ग्रीनलैंड शार्क जैसे जानवरों का अध्ययन करें तो इनके लगभग 400 वर्ष जीवित रहने का अनुमान लगाया गया है.
अभी के लिए हम कम से कम यह कह सकते हैं कि सरीसृपों, उभयचरों और मछलियों में कुछ प्रजातियां न केवल सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले स्तनधारियों की तुलना में सबसे ज्यादा समय तक जीवित रहती हैं, बल्कि उनकी उम्र काफी धीमी होती है. इसके अलावा, इनमें से कुछ गैर-उम्र बढ़ने वाली प्रजातियां अपने पूरे जीवन भर बढ़ती रहती हैं, जिसका अर्थ है कि वृद्ध मादाएं ज्यादा अंडे देती हैं, जो कि स्तनधारियों में जो होता है उसके बिल्कुल विपरीत है.
ये जानवर मेनली शिकारियों द्वारा खाए जाने और बीमारियों से मरते हैं. जंगल में ज्यादातर जानवर बुढ़ापे से नहीं मरते हैं और 20वीं शताब्दी तक ज्यादातर संक्रामक रोगों से मरे.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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