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जेल जाते ही चली जाएगी पीएम से लेकर सीएम तक की कुर्सी, जानें किन नेताओं ने गिरफ्तारी के बाद भी नहीं दिया था इस्तीफा

PM CM Removal Bill: बताया गया है कि संसद में पेश होने वाले इस बिल को पहले संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में भेजा जा सकता है. जिसमें तमाम विपक्षी दलों की भी राय ली जाएगी. यानी इसमें अभी कुछ वक्त लग सकता है.

जेल जाते ही चली जाएगी पीएम से लेकर सीएम तक की कुर्सी, जानें किन नेताओं ने गिरफ्तारी के बाद भी नहीं दिया था इस्तीफा
जेल हुई तो देना होगा इस्तीफा
  • संसद में 130वें संविधान संशोधन बिल के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार मंत्रियों का पद जाएगा
  • पांच साल या उससे अधिक की सजा वाले मामलों में 30 दिन तक बेल न मिलने पर देना होगा इस्तीफा
  • गृहमंत्री अमित शाह ने इस बिल को अच्छे शासन और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए आवश्यक बताया है
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आपने लोगों को कहते सुना होगा कि पीएम, सीएम या फिर मंत्री अगर कोई जुर्म भी कर ले तो इनका कोई क्या बिगाड़ सकता है. कई बार ऐसा देखा भी गया है कि गंभीर मामलों में गिरफ्तारी के बाद भी मंत्री अपनी कुर्सी से चिपके रहते हैं और पद छोड़ने के लिए तैयार नहीं होते. अब ऐसे नेताओं के लिए संसद में 130 संविधान संशोधन बिल पेश होने जा रहा है, जिसमें कहा गया है कि अगर किसी मंत्री या फिर खुद प्रधानमंत्री पर कोई गंभीर आपराधिक आरोप लगते हैं और उन्हें हिरासत में लिया जाता है तो उनकी कुर्सी तुरंत चली जाएगी. आइए इस पूरे विधेयक को समझते हैं और जानते हैं कि ये कैसे काम करेगा. 

विपक्ष को नहीं मांगना पड़ेगा इस्तीफा?

जब भी किसी सरकार के मंत्री पर कोई आरोप लगते हैं तो विपक्ष सबसे पहले इस्तीफे की मांग करता है, अब इस बिल के आने के बाद विपक्ष का ये काम भी लगभग खत्म हो जाएगा. यानी नेता जी ने अगर कोई अपराध किया है और पुलिस उन्हें गिरफ्तार करती है तो तुरंत उनका रुतबा भी छिन जाएगा. ये नियम प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री या मंत्री पर लागू होगा. 

इस विधेयक को लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि यह बिल अच्छे शासन और संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि एक मंत्री जो गंभीर अपराधों के आरोप में गिरफ्तार है, वह पद पर बने रहने से संवैधानिक मूल्यों और अच्छे शासन के लिए खतरा हो सकता है. 

कब देना होगा इस्तीफा?

  • जिन मामलों में पांच साल या फिर इससे ज्यादा की सजा होगी, उनमें हटाए जाने का ये नियम लागू होगा. 
  • मंत्री या सीएम को अगर 30 दिन तक बेल नहीं मिलती है तो उन्हें तुरंत पद त्यागना होगा. 
  • गिरफ्तार होने के 30 दिन बाद भी अगर इस्तीफा नहीं दिया तो 31वें दिन उन्हें पद से हटा हुआ माना जाएगा. 

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इन नेताओं ने नहीं दिया इस्तीफा

पिछले दिनों ऐसे कई मामले देखे गए, जिनमें किसी मंत्री या फिर मुख्यमंत्री ने गिरफ्तारी के बाद भी इस्तीफा नहीं दिया. दिल्ली में भी ऐसा ही देखा गया था, जब दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और मंत्री सत्येंद्र जैन ने गिरफ्तारी के बाद भी इस्तीफा नहीं दिया था. अब अगर ये बिल बास होता है तो गिरफ्तारी के बाद मंत्री या मुख्यमंत्री अपने पद पर नहीं बने रह सकते हैं. 

सुप्रीम कोर्ट ने भी कई ऐसे मामलों में मंत्रियों को हटाने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी को पद से हटने का निर्देश दिया था. इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि एक मंत्री जो गंभीर अपराधों के आरोप में गिरफ्तार है, वह पद पर बने रहने के योग्य नहीं है.

जेपीसी में भेजा जाएगा बिल?

बताया गया है कि संसद में पेश होने वाले इस बिल को पहले संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में भेजा जा सकता है. जिसमें तमाम विपक्षी दलों की भी राय ली जाएगी. जेपीसी में भेजे जाने के बाद इस बिल को संसद से पास कराया जा सकता है और फिर मंत्रियों के लिए ये कानून बनेगा. यानी इसमें कुछ और महीने लग सकते हैं. वहीं विपक्षी दलों ने इसका विरोध करने की बात कही है. 

वापस भी मिल जाएगा पद 

अब कुछ लोगों को ये लग सकता है कि राजनीतिक कारणों से या फिर गलत आरोपों के चलते भी मंत्री जी लेपेटे में आ सकते हैं और जेल जा सकते हैं. ऐसे में उन्हें पद से हटाया जाना नाइंसाफी होगा, लेकिन इस बिल में ये भी प्रावधान है कि ऐसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों या मंत्रियों को हिरासत से रिहा होने पर राष्ट्रपति या राज्यपाल फिर से नियुक्त होने से नहीं रोक सकते हैं. यानी रिहाई के बाद मंत्रीपद वापस लिया जा सकता है. 

अभी क्या है प्रावधान?

अब तक मंत्रियों के उनकी गिरफ्तारी के बाद भी अपने पद पर बने रहने पर कोई रोक नहीं थी. यानी जब तक वो दोषी करार नहीं दिए जाते, तब तक उन्हें पद से नहीं हटाया जा सकता है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट अगर आदेश देता है तो इसका पालन करना जरूरी होता है. कुछ साल पहले की राजनीति में ये देखा जाता था कि गंभीर आरोप लगने या फिर गिरफ्तारी होने के बाद मंत्री या मुख्यमंत्री तुरंत इस्तीफा देते थे, हालांकि अब ये परंपरा बदली है और कई मंत्री ऐसा होने पर भी अपने पद पर बने रहते हैं. इसके पीछे की वजह वो उनके खिलाफ की गई राजनीतिक साजिश को बताते हैं. 
 

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