
नीतीश कुमार गुजरात में जेडीयू प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार नहीं करेंगे.
पटना:
जनता दल यूनाइटेड गुजरात के चुनावी मैदान में है लेकिन इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार नहीं करेंगे.
हालांकि जनता दल वहां पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में हर बार प्रत्याशी उतारती रही है लेकिन एक आदिवासी बहुल इलाके में छोटू भाई वसवा के अलावा कोई और विधायक नहीं बना. वसावा अब शरद गुट के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. राज्यसभा चुनावों के दौरान वासवा का वोट निर्णायक कांग्रेस प्रत्याशी अहमद पटेल की जीत में निर्णायक रहा था.
यह भी पढ़ें : नीतीश के पास ही रहेगा 'तीर' का चुनाव चिन्ह, HC को बताया- गुजरात में उतारे उम्मीदवार
जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी का कहना है कि पार्टी करीब 100 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी जो अधिकांश आदिवासी बहुल और पटेल लोगों के परम्परागत गढ़ में होंगे. त्यागी हाल में चुनाव आयोग के नीतीश कुमार के पक्ष में आए फैसले से उत्साहित हैं और इसके बाद उन्हें उम्मीद है कि पार्टी चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेगी.
VIDEO : जेडीयू नीतीश कुमार की
हालांकि नीतीश विरोधियों का कहना है कि चुनाव में जीत से ज़्यादा शरद गुट के उम्मीदवारों को हराना और पटेल वोट का बिखराव मकसद है. नेता मानते हैं कि बदली हुई परिस्थितियों में जब शंकर सिंह वाघेला को कोई गम्भीरता से नहीं ले रहा है वहीं जनता दल एक वोटकटवा की भी भूमिका निभा पाएगा इस पर शक है.
हालांकि जनता दल वहां पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में हर बार प्रत्याशी उतारती रही है लेकिन एक आदिवासी बहुल इलाके में छोटू भाई वसवा के अलावा कोई और विधायक नहीं बना. वसावा अब शरद गुट के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. राज्यसभा चुनावों के दौरान वासवा का वोट निर्णायक कांग्रेस प्रत्याशी अहमद पटेल की जीत में निर्णायक रहा था.
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जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी का कहना है कि पार्टी करीब 100 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी जो अधिकांश आदिवासी बहुल और पटेल लोगों के परम्परागत गढ़ में होंगे. त्यागी हाल में चुनाव आयोग के नीतीश कुमार के पक्ष में आए फैसले से उत्साहित हैं और इसके बाद उन्हें उम्मीद है कि पार्टी चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेगी.
VIDEO : जेडीयू नीतीश कुमार की
हालांकि नीतीश विरोधियों का कहना है कि चुनाव में जीत से ज़्यादा शरद गुट के उम्मीदवारों को हराना और पटेल वोट का बिखराव मकसद है. नेता मानते हैं कि बदली हुई परिस्थितियों में जब शंकर सिंह वाघेला को कोई गम्भीरता से नहीं ले रहा है वहीं जनता दल एक वोटकटवा की भी भूमिका निभा पाएगा इस पर शक है.
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