
Sawan: भगवान शिव का प्रिय त्योहार सावन आगामी 11 जुलाई ( Sawan 2025) से शुरू हो रहा है. महादेव के भक्तों ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है. इस बार सावन की शुरुआत शुक्रवार 11 जुलाई से और समापन 9 अगस्त शनिवार के दिन पूर्णिमा के साथ होगा. इस बार सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ेगा. सावन में व्रत, पूजा और खाने को लेकर खास ध्यान रखा जाता है. इस दौरान कई चीजों का सेवन करने की मनाही होती है, जिसमे दही, कढ़ी और रायता भी शामिल है. सावन में इन चीजों के सेवन करने से कई बीमारियां होती है. आइए जानत है सावन मे दही, कढ़ी और रायता ना खाने के वैज्ञानिक और धार्मिक कारणों के बारे मे.
क्या है धार्मिक मान्यता?
आयुर्वेद की माने तो, दूध और दही से बनी किसी भी चीज का सावन मास में सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे कई तरह की बीमारियां शरीर को जकड़ सकती है. सावन मास में कच्चा दूध भी नही पीना चाहिए. इसका कारण यह है कि भगवान शिव को कच्चा दूध चढ़ाया जाता है, इसलिए इसे इस दौरान पीना वर्जित है. कढ़ी और रायता का भी सेवन करने से बचना चाहिए.
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कढ़ी और दही ना खाने के वैज्ञानिक कारण
सावन का महीना ठंडा होता है और मौसम मे नमी बनी रहती है. सावन मास में कढ़ी और रायता ना खाने का वैज्ञानिक कारण यह है कि इससे पाचन तंत्र पर असर पड़ता है. दही में एसिड वात होता है, जिससे शरीर में कई दिक्कत होने लगती है. इन दिनों में पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है. जैसा कि यह बारिश का पूरा महीना होता है और कही भी घास उग आती है, जिसे गाय, भैंस और बकरी चरने लगती है, जिनमें कीड़े-मकोड़े होते हैं, ऐसे में इस मौसम में दूध स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता है. इसलिए सावन के महीने में इन चीजों का सेवन न करने की सलाह दी जाती है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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