
Navratri Starts, Shardiya Navratri 2025, Bhog : आज नवरात्रि का पहला दिन है. सुबह-सुबह सभी ने आज घटस्थापना की है. हर नवरात्रि में हम नवरात्रि के नौ रंगों, नौ देवियों को पूजते हैं. नवरात्रि के हर दिन माँ के एक नए स्वरूप की पूजा की जाती है. हर स्वरूप का अपना ही आध्यात्मिक महत्व है. हर देवी की अपनी कथा और माता की आरती है. इस दौरान लोग दुर्गा माँ की आरती का पाठ (Durga Ki Aarti) करते हैं और तिथि के अनुसार ही माँ के स्वरूप की पूजा करते हैं. यहाँ नवरात्रि से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब है. नवरात्रि में किस दिन किस माता को पूजते (Durga Maa ki Puja) हैं, नवरात्रि में कौन से दिन माँ के किस चीज का भोग लगाते हैं, नवरात्रि में कौन सी आरती करते हैं, नवरात्रि में किस दिन कौन सा रंग पहनते हैं वगैरह. तो जुड़े रहें इस लेख में.
दिन | तिथि (नवरात्रि का दिन) | देवी का नाम | स्वरूप | प्रिय भोग |
नवरात्रि का पहला दिन | प्रतिपदा | शैलपुत्री | माँ दुर्गा का पहला रूप, हिमालय की पुत्री | घी |
नवरात्रि का दूसरा दिन | द्वितीया | ब्रह्मचारिणी | तपस्विनी रूप, ज्ञान और तप की प्रतीक | मिश्री व पंचामृत |
नवरात्रि का तीसरा दिन | तृतीया | चंद्रघंटा | सौंदर्य और शांति की देवी, सिंह पर सवार | दूध व मिठाई |
नवरात्रि का चौथा दिन | चतुर्थी | कुष्मांडा | ब्रह्मांड की सृष्टिकर्त्री | मालपुआ |
नवरात्रि का पांचवा दिन | पंचमी | स्कंदमाता | भगवान कार्तिकेय की माता | केले |
नवरात्रि का छठा दिन | षष्ठी | कात्यायनी | शक्ति स्वरूपा, राक्षसों का नाश करने वाली | शहद |
नवरात्रि का सातवां दिन | सप्तमी | कालरात्रि | विनाशकारी रूप, बुरी शक्तियों का नाश | गुड़ और हलवा |
नवरात्रि का आठवां दिन | अष्टमी | महागौरी | सौम्य और शांत स्वरूप, शांति और पवित्रता की देवी | नारियल और पूड़ी-चने का भोग |
नवरात्रि का नौवां दिन | नवमी | सिद्धिदात्री | सिद्धियाँ देने वाली देवी, सभी शक्तियों की स्रोत | हलवा, पूड़ी, चना (कन्या पूजन का भोग) |

Happy Navratri 2025
शारदीय नवरात्रि यहां से पढ़ें दुर्गा जी की आरती: जय अम्बे गौरी, मैया जय अम्बे गौरी
जय दुर्गा माता, मैया जय श्यामा माता।
तुमको नतमस्तक हृदय, सेवा करें हमारा।।
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
सरस्वती मां के संग, सुमन चढ़ाएं हम।
ज्ञान, शक्ति और प्रेम से, भरे संसार हमारा।।
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय जय जय दुर्गा मां, सुख-शांति दाता।
दुष्ट दलन तुम्हारे बिना, अधूरा सारा जीवन हमारा।।
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चंडीमाँ की महिमा अपार, त्रिपुरा सुंदरी तुम।
मंगलमयी हो माँ हमारी, वरदान दै जिनको तुम।।
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय दुर्गा माता, मैया जय श्यामा माता।
तुमको नतमस्तक हृदय, सेवा करें हमारा।।
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
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नवरात्रि के नौ दिनों का महत्व, किस दिन कौन सा रंग पहनें और किस दिन कौन सी आरती पढ़ें
नवरात्रि के पहले दिन : माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है, इस दिन उनकी आरती "जय अम्बे गौरी" या "शैलपुत्री माता की आरती" होती है. रंग- भगवा या लाल, महत्व- शक्ति, साहस और ऊर्जा का प्रतीक
दूसरे दिन : माँ ब्रह्मचारिणी की आरती की जाती है, जिसे "ब्रह्मचारिणी माता की आरती" कहा जाता है. रंग- गुलाबी या गुलाबी के हल्के शेड, महत्व- तप और संयम का प्रतीक
तीसरे दिन : माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है और उनकी आरती "चंद्रघंटा माता की आरती" होती है. रंग- पीला, महत्व- शांति और सौंदर्य का प्रतीक
चौथे दिन : माँ कूष्मांडा की आरती की जाती है, जिसे "कूष्मांडा माता की आरती" कहा जाता है. रंग- नारंगी, महत्व- स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक
पांचवे दिन : माँ स्कंदमाता की पूजा होती है, और उनकी आरती "स्कंदमाता की आरती" होती है. रंग- सफेद, महत्व- पवित्रता और शांति का प्रतीक
छठे दिन : माँ कात्यायनी की आरती की जाती है, जिसे "कात्यायनी माता की आरती" कहा जाता है. रंग- नीला या गहरा नीला, महत्व- साहस और बलिदान का प्रतीक
सातवें दिन : माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है और उनकी आरती "कालरात्रि माता की आरती" होती है. रंग- ग्रे या जामुनी (बैंगनी), महत्व- अंधकार का नाश करने वाली शक्ति
आठवें दिन : माँ महागौरी की आरती की जाती है, जिसे "महागौरी माता की आरती" कहा जाता है. रंग- गुलाबी या हल्का पीला, महत्व- सौम्यता और शुद्धता का प्रतीक
और नौवें दिन : माँ सिद्धिदात्री की आरती की जाती है, जिसे "सिद्धिदात्री माता की आरती" कहा जाता है. रंग- लाल या सुनहरा, महत्व- सिद्धि, शक्ति और पूर्णता का प्रतीक
इसके अलावा, नवरात्रि के सभी नौ दिनों में आप "जय अम्बे गौरी" की सामूहिक आरती भी कर सकते हैं, जो सभी देवी रूपों के लिए उपयुक्त है. साथ ही, पूरे नवरात्रि में दुर्गा चालीसा और अर्गला स्तोत्र का पाठ भी किया जाता है, जिससे पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है.
नोट :
जय अम्बे गौरी, जो सभी रूपों की सामूहिक आरती मानी जाती है, नवरात्रि के हर दिन गाई जा सकती है. दुर्गा चालीसा और अर्गला स्तोत्र का पाठ भी सभी नौ दिनों में किया जाता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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