Navratri 2024 8th Day: शारदीय नवरात्रि के सात दिन बीत जाने के बाद आठवां दिन काफी अहम होता है. यह दिन दुर्गा माता के आठवें स्वरूप मां महागौरी को समर्पित है, जो देवों के देव महादेव की अर्धांगिनी के रूप में उनके साथ विराजमान रहती हैं. इनका वर्ण पूर्ण रूप से गौरा होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है. इसके अलावा उन्हें श्वेतांबरधरा नाम से भी जाना जाता है और वे अन्नपूर्णा का स्वरूप भी हैं. ऐसा माना जाता है कि, जो भी व्यक्ति मां महागौरी की आराधना करता है उसे सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है, साथ ही किसी भी प्रकार के कष्ट उनके निकट नहीं आते. साथ ही मां की आराधना से आलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति भी होती है, ऐसी मान्यता है. आइए जानते हैं मां का स्वरूप, मंत्र और भोग के बारे में.
अष्टमी तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 अक्टूबर दिन गुरुवार को 12:31 पी एम से होगी जिसका समापन 11 अक्टूबर को दिन शुक्रवार 12:06 पी एम पर होगा.
ऐसा है मां महागौरी का स्वरूप
देवीभागवत पुराण के अनुसार, आदिशक्ति के इस स्वरूप में मां महागौरी के वस्त्र और आभूषण आदि श्वेत हैं. उनका रंग भी गोरा है और चार भुजाएं हैं. माता के एक हाथ में त्रिशूल है तो दूसरे हाथ में डमरु वहीं तीसरे हाथ में अभय और चौथे हाथ में वरमुद्रा रहती है. मां ने अपनी कठिन तपस्या से गौर वर्ण प्राप्त किया था और तभी से उन्हें महागौरी के रूप में जाना जाता है.
मां महागौरी का भोग
नवरात्रि के आठवें दिन आप माता को भोग जरूर लगाएं. महागौरी को नारियल से बनी मिठाईयों का भोग बेहद पसंद है. इसके अलावा आप माता को हलवा या काले चने का भोग भी लगा सकते हैं.
इस मंत्र का करें जप
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः.
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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