Kanji Kis Mausam Mein Pini Chahie: भारत की हर रसोई में कई सदियों पुराने राज़ छिपे हैं, और ऐसा ही एक स्वास्थ्य का राज़ है- कांजी. यह सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि पुरानी परंपरा और घर के प्यार से बना एक जादुई नुस्खा है. कांजी असल में सब्जियों (जैसे गाजर या चुकंदर) को पानी में डालकर धूप में सड़ाकर (खमीर उठाकर) तैयार किया जाने वाला हल्का खट्टा और ठंडा ड्रिंक है. सर्दियों का मौसम आते ही, दादी की रसोई में कांजी बनाने की तैयारी शुरू हो जाती थी. ताजी गाजरों को काटकर, राई और मसालों के साथ कांच के जार में बंद करके धूप में रखा जाता था.
Kanji Pine Ke Fayde In Hindi: यह कहानी आपको कांजी की उसी दुनिया में ले जाएगी, जहाँ आप जानेंगे कि कांजी कैसे बनती है, इसे पीने के क्या अद्भुत फायदे और कुछ नुकसान हो सकते हैं, और सबसे ज़रूरी: एक दिन में इसे कितनी मात्रा में और कब पीना सबसे अच्छा होता है. यह पेय न केवल पेट और हाजमे को दुरुस्त रखता है, बल्कि पूरे शरीर को अंदर से मजबूती देता है.
Kanji Kaise Banate Hain | Kanji Recipe : कांजी एक पुराना, घरेलू ठंडा पेय है जो सब्जी (जैसे गाजर या चुकंदर) को पानी में डालकर सड़ाकर (खमीर उठाकर) बनाया जाता है. इसे पीने से हमारा पेट और हाजमा एकदम दुरुस्त रहता है. यह पीने में हल्का खट्टा होता है.
सर्दियों में बनाते हैं गाजर की कांजी, जान लें कांजी कैसे बनाते हैं, कांजी पीने के फायदे-नुकसान, कांजी कब पीनी चाहिए और एक दिन में कितनी कांजी पी सकते हैं | 11 FAQs About Kanji Drink
1. सबसे पहले: कांजी क्या है? | Kanji Kya Hota hai?
सरल जवाब: कांजी एक तरह का घरेलू प्रोबायोटिक ड्रिंक है. जैसे दही या छाछ होती है, वैसे ही.
कैसे बनती है: चुकंदर, गाजर या चावल को पानी और नमक-मसालों के साथ मिलाकर 2 से 4 दिन धूप में रखा जाता है. इससे इसमें अच्छे बैक्टीरिया (Good Bacteria) पैदा होते हैं जो पेट के लिए अमृत हैं.
2. कांजी कब पीनी चाहिए? | Kanji Kab Pini Chahiye
सबसे अच्छा समय: सुबह खाली पेट या दोपहर के खाने से ठीक पहले.
मात्रा: रोज़ाना बस एक छोटा गिलास (150-200 मिली) ही काफी है. ज़्यादा पीने से पेट खराब हो सकता है.
मौसम: इसे आप गर्मी या सर्दी, किसी भी मौसम में पी सकते हैं, पर गर्मियों में यह ज़्यादा फ़ायदा करती है क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है.
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3. कांजी कब नहीं पीनी चाहिए? | Kanji Kab Nahi Pini Chahiye
- अगर आपको तेज़ सर्दी-खांसी या जुकाम है, तो न पिएं, क्योंकि यह ठंडी होती है.
- अगर दस्त (लूज़ मोशन) हो रहे हैं, तो भी इससे बचें.
- रात को सोने से पहले इसे पीना अच्छा नहीं है, क्योंकि इससे गैस बन सकती है.
- गर्भवती महिलाएं या छोटे बच्चे डॉक्टर से पूछकर ही पिएं.
4. कांजी पीने के बड़े फायदे (क्यों है यह खास?) | Kanji Peene Ke Fayde
यह सिर्फ एक ड्रिंक नहीं, यह पेट का डॉक्टर है!
- पेट और पाचन: कब्ज (Constipation) को ठीक करती है और खाना पचाने की शक्ति बढ़ाती है.
- खून और ताकत: चुकंदर की कांजी खून (आयरन) बढ़ाती है और शरीर की गंदगी (टॉक्सिन) को बाहर निकालती है.
- बीमारी से बचाव: यह शरीर की इम्यूनिटी (रोगों से लड़ने की शक्ति) को मजबूत करती है.
- स्किन के लिए: खून साफ होने से त्वचा पर चमक आती है.
- कमजोरी में सहारा: चावल की कांजी पीने से बुखार या थकान में तुरंत ऊर्जा (Energy) मिलती है.
5. कांजी तैयार होने में कितना समय लगता है, कांजी कितने दिन में बनती है? | Kanji Banane me Kitna Time Lagta Hai
धूप ज़रूरी: अच्छी धूप हो तो 2 से 4 दिन में कांजी पीने लायक खट्टी हो जाती है.
ठंडा मौसम: अगर धूप कम हो या मौसम ठंडा हो, तो 5 दिन भी लग सकते हैं.

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6. कांजी को कैसे संभाल कर रखें? \ Kanji ko Store Kaise Kare
जब कांजी तैयार हो जाए और खट्टी हो जाए, तो उसे तुरंत फ्रिज में रख दें. फ्रिज में यह 5 से 7 दिन तक खराब नहीं होती. बाहर रखने पर यह और ज़्यादा खट्टी होकर खराब हो सकती है.
7. कांजी खराब हो गई है, कैसे जानें? | Kaise Pata Chalega ki Kanji Kharab Ho Gayi
- अगर कांजी में बहुत गंदी बदबू आ रही हो.
- अगर उस पर सफेद रंग की मोटी झाग या परत जम गई हो.
- अगर वह चिपचिपी महसूस हो, तो उसे फेंक दें.
8. कांजी बनाने का सबसे आसान तरीका (चुकंदर-गाजर की) | Kanji Kaise Banaye
ज़रूरी सामान:
- 2 चुकंदर और 1 गाजर (टुकड़ों में कटी हुई)
- 1 लीटर पानी
- 1 चम्मच सरसों के दाने (पिसे हुए)
- आधा चम्मच नमक और थोड़ी सी लाल मिर्च.
कांजी बनाने की विधि | Kanji Banane ki Vidhi:
- एक कांच की बोतल या जार लें.
- कटे हुए चुकंदर और गाजर को पानी के साथ बोतल में डालें.
- ऊपर से नमक, मिर्च और पिसे हुए सरसों के दाने मिला दें.
- बोतल का ढक्कन हल्का ढीला बंद करें.
- इसे लगातार 3-4 दिन तेज़ धूप में रखें.
- जब कांजी का रंग गहरा हो जाए और उसमें हल्की खट्टी महक आने लगे, तो समझो तैयार है.
- अब छानकर फ्रिज में रखें और पिएं.

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9. कांजी कितनी मात्रा में पीनी चाहिए? | 1 Din Me Kitni Kanji Pini Chahiye
कांजी ज़ाना एक गिलास यानी लगभग 150 से 200 मिलीलीटर (ml) की मात्रा में पीनी चाहिए. ह मात्रा काफी है और यह सुनिश्चित करती है कि आपके पेट को फ़ायदा मिले, पर ज़्यादा पीने से पेट में गड़बड़ी या गैस न हो. ध्यान रहे कि आप ज्यादा कांजी न पीए क्योंकि ज़्यादा पीने से यह पाचन पर भारी पड़ सकती है या एसिडिटी/पेट दर्द कर सकती है. आप इसे सुबह खाली पेट या दोपहर के खाने से 30 मिनट पहले पी सकते हैं.
10. आयुर्वेद में कांजी क्या है? | Ayurveda me Kanji Drink Kya Hai
आयुर्वेद में, कांजी को एक बहुत ही पाचक (हाजमा सुधारने वाला) और शक्तिवर्धक पेय माना जाता है. यह पारंपरिक रूप से एक किण्वित (Fermented) पेय है, और आयुर्वेद इसके गुणों पर ज़ोर देता है-
कांजी का आयुर्वेदिक महत्व | Is Kanji drink healthy?
अग्नि (पाचन अग्नि) प्रदीप्त करना: कांजी में हल्की खटास और मसाले (जैसे सरसों) होते हैं, जो हमारी पाचन अग्नि (Agni) को तेज़ करते हैं. इससे भोजन आसानी से पचता है.
दोषों का संतुलन: यह मुख्य रूप से वात (Vata) और कफ (Kapha) दोषों को संतुलित करने में मदद करती है.
आमा (Toxins) को निकालना: यह शरीर की गंदगी या 'आमा' (Aam/Toxins) को बाहर निकालने में मदद करती है, जिससे शरीर अंदर से साफ होता है.
प्रोबायोटिक लाभ: किण्वन प्रक्रिया के कारण यह स्वस्थ आंत बैक्टीरिया को बढ़ावा देती है, जो पेट के स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
संक्षेप में, आयुर्वेद कांजी को एक प्राकृतिक डिटॉक्स टॉनिक मानता है जो पाचन को मजबूत करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को बढ़ाता है.
11. क्या कांजी ठंडी होती है? कांजी की तासीर क्या होती है? | Kanji ki Taseer Kaise Hoti Hai Garam Ya thandi
1. गर्मी में फायदा: यह खासतौर पर गर्मियों के मौसम में बहुत फायदेमंद होती है, क्योंकि यह शरीर की बढ़ी हुई गर्मी को शांत करती है और डिहाइड्रेशन से बचाती है.
2. सर्दियों में सावधानी: चूंकि इसकी तासीर ठंडी होती है, इसलिए सर्दियों या बरसात के मौसम में इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए. अगर आपको आसानी से सर्दी-जुकाम हो जाता है, तो सर्दियों में रात के समय इसे पीने से बचना चाहिए. कांजी ठंडी होती है और गर्मियों के लिए बेहतरीन है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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