- साल 2025 में चांदी ने निवेशकों को 150 प्रतिशत तक शानदार रिटर्न दिया है
- इलेक्ट्रिक व्हीकल और सोलर पैनल निर्माण में चांदी की मांग तेजी से बढ़ रही है जबकि सप्लाई सीमित है
- वैश्विक आर्थिक तनाव और डॉलर के उतार-चढ़ाव के कारण निवेशकों का विश्वास चांदी की ओर बढ़ा है
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हमें बताएं।FAQ on Silver Price: अगर आप अब तक केवल सोने (Gold) को ही निवेश का राजा समझते थे, तो यह खबर आपकी आंखें खोल देगी. साल 2025 में चांदी ने वह कर दिखाया है जिसकी उम्मीद बड़े-बड़े दिग्गजों को भी नहीं थी. जहां शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहा, वहीं, चांदी ने 150% से लेकर 160% तक का धमाकेदार रिटर्न देकर निवेशकों को मालामाल कर दिया है.
सीधे शब्दों में कहें तो, जिसने साल की शुरुआत में चांदी में ₹1 लाख लगाए थे, आज उसकी वैल्यू ₹3 लाख के पार पहुंच गई है. आखिर चांदी अचानक इतनी कीमती क्यों हो गई और क्या 2026 में भी यह सेफ निवेश बनी रहेगी? आइए जानते हैं.
चांदी के सुपरहिट होने की 3 बड़ी वजहें
- इलेक्ट्रिक व्हीकल और सोलर पैनल में चांदी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है. डिमांड बढ़ रही है, लेकिन सप्लाई कम है.
- दुनिया का सबसे बड़ा चांदी प्रोसेसर चीन जनवरी 2026 से कड़े एक्सपोर्ट नियम लागू कर रहा है, जिससे ग्लोबल मार्केट में चांदी की किल्लत होने वाली है.
- वैश्विक तनाव और डॉलर में उतार-चढ़ाव के बीच निवेशकों का भरोसा चांदी पर बढ़ा है.
निवेश से पहले पढ़ें चांदी पर 10 अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
एक्सपर्ट का मानना है कि 2025 जैसी 150% की बढ़त शायद दोबारा न मिले, लेकिन चांदी अभी भी बुलिश है. 2026 में 20% से 40% तक के रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है.
ब्रोकरेज हाउस के अनुसार, घरेलू बाजार में चांदी ₹2.60 लाख प्रति किलो तक के स्तर को छू सकती है.
जब शेयर बाजार या करेंसी गिरती है, तब लोग अपनी कैपिटल बचाने के लिए कीमती धातुओं में पैसा लगाते हैं. चांदी अब सिर्फ आभूषण नहीं, बल्कि एक स्ट्रक्चरल हेज यानी सुरक्षा कवच बन गई है.
एक्सपर्ट्स के अनुसार, चांदी में निवेश का सबसे अच्छा तरीका बाय ऑन डिप्स है. यानी जब भी कीमत में ₹10,000-15,000 की गिरावट आए, तब खरीदारी करें.
अगर आप केवल मुनाफे के लिए निवेश कर रहे हैं, तो सिल्वर ETF या Fund बेहतर हैं. इसमें शुद्धता की चिंता नहीं होती और आप इसे आसानी से बेच सकते हैं.
चांदी सोने से ज्यादा अस्थिर है. यह जितनी तेजी से ऊपर जाती है, उतनी ही तेजी से गिरती भी है. इसलिए इसमें जोखिम सोने से थोड़ा ज्यादा है.
जी हां. भारत अपनी जरूरत की काफी चांदी इंपोर्ट करता है. ग्लोबल सप्लाई चेन में चीन की पाबंदियों से भारतीय बाजार में चांदी की कीमतों में उछाल आ सकता है.
ग्रीन एनर्जी, सोलर एनर्जी, इलेक्ट्रिक गाड़ियां (EV) और 5G टेक्नोलॉजी में चांदी का इस्तेमाल इसकी कीमतों को सपोर्ट करेगा.
बिल्कुल नहीं. एक्सपर्ट कहते हैं कि अपने पोर्टफोलियो का केवल 10-15% हिस्सा ही चांदी या सोने में रखना चाहिए.
अगर जियोपॉलिटिकल से युद्ध जैसी स्थिति बनती है और सप्लाई की भारी कमी होती है, तो यह मुमकिन है कि चांदी की कीमतें 3 लाख को पार कर जाएं, हालांकि इसके लिए अभी इंतजार करना होगा.
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